विश्व के 10 में से 9 सबसे अमीर अरबपतियों की संपत्ति में अरबों का नुकसान, एक भारतीय अरबपति की संपत्ति बढ़ी

और यह भारतीय अरबपति मुकेश अंबानी नहीं हैं!

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Source- TFI

कैसा होगा अगर भारी बाढ़ के कारण सबके घर ढह जाएं लेकिन केवल एक घर ज्यों का त्यों बना रहे? श्रेय उस घर के मालिक की किस्मत को मिलेगा या फिर घर की मजबूत दीवारों को? महामारी के दौरान लॉक डाउन के कारण कई उद्योगों को भारी नुकसान हुआ है, वर्ष 2022 में हालात सामान्य होने के बाद भी ऐसे कई उद्योगपति हैं जो अभी भी नुकसान ही झेल रहे हैं। वर्ष 2022 में परिस्थितियां अनुकूल हो जाएंगी इस बात की चर्चा तेज थी और यह भी कहा जा रहा था कि यह वर्ष सबके लिए बहुत सामान्य रहेगा लेकिन ध्यान देने वाली बात है कि इस वर्ष के पहले ही छह महीने में दुनिया के 500 सबसे अमीर लोगों ने 1.4 ट्रिलियन डॉलर (110 लाख करोड़) गंवा दिए हैं। सिवाय एक भारतीय बिजनेसमैन के। जी हां, हम बात कर रहे हैं मशहूर बिजनेसमैन गौतम अदानी की।

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अदानी का एम्पायर बढ़ते ही जा रहा है

ब्लूमबर्ग बिलेनियर्स इंडेक्स के अनुसार, इस दौरान दुनिया के सबसे अमीर बिजनेसमैन यानी टेस्ला के मालिक एलन मस्क ने 4.73 लाख करोड़ रुपए गंवाए। वहीं, दुनिया के दूसरे सबसे अमीर बिजनेसमैन और ई-कॉमर्स कंपनी अमेजन के मालिक जेफ बेजोस की संपत्ति 4.68 लाख करोड़ रुपए कम हो गई है। रिलायंस इंडस्ट्री के मालिक मुकेश अंबानी जो दुनिया के 11वें सबसे अमीर आदमी हैं उनकी सम्पत्ति में 28.89 हजार करोड़ रुपए की गिरावट आई है। इस गिरावट के बाद इनकी कुल सम्पत्ति घटकर 5.08 लाख करोड़ रुपए रह गई लेकिन ऐसे समय में केवल एक ही बिजनेसमैन गौतम अदानी प्रसन्नचित होकर बैठे हैं। अदानी की संपत्ति में इस वर्ष के पहले छह महीने में 1.76 लाख करोड़ रुपए की बढ़ोत्तरी हुई है और इसी के साथ अब अदानी समूह की कुल संपत्ति 10,210 करोड़ अमेरिकी डॉलर हो गई है और अदानी ने अंबानी को काफी पीछे छोड़ दिया है।

अगर आजादी के बाद के दशकों में टाटा और बिड़लाओं ने भारत की विकास गाथा को आकार दिया तो अदानी और अंबानी 21वीं सदी में धन सृजन के पर्याय बन गए हैं। अदानी पहली पीढ़ी के उद्यमी हैं उन्हें उनकी संपत्ति  अंबानी की तरह अपने पिता से विरासत में नहीं मिली और यह उनकी सफलता को और अधिक उल्लेखनीय बनाता है। अदानी को एक ऐसा समूह बनाने में केवल तीन दशक लगे जिसकी सात सूचीबद्ध कंपनियां आज 153 बिलियन डॉलर का संयुक्त बाजार पूंजीकरण कमा रही है।

आइए अदानी की उन सात सूचीबद्ध कंपनियों के बारे में जानते हैं-

अदानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन भारत का सबसे बड़ा निजी पोर्ट ऑपरेटर है जिसके 13 पोर्ट और टर्मिनल देश के पूर्वी और पश्चिमी दोनों तटों पर स्थित हैं। अदानी एंटरप्राइजेज भारत का सबसे बड़ा कोयला व्यापारी, सबसे बड़ा कोयला खनन ठेकेदार और साथ ही सबसे बड़ा निजी हवाई अड्डा संचालक है जिसके पास आठ हवाई अड्डे हैं। अदानी ग्रीन एनर्जी दुनिया की सबसे बड़ी सौर ऊर्जा डेवलपर्स में से एक है। अदानी ट्रांसमिशन भारत में सबसे बड़ी निजी क्षेत्र की ट्रांसमिशन और वितरण कंपनी है और अदानी विल्मर देश का सबसे बड़ा खाद्य तेल ब्रांड है।

अदानी टोटल गैस भारत में सबसे बड़े शहर गैस वितरण व्यवसाय का संचालन करती है और अंत में अदानी पावर भारत में सबसे बड़ा निजी थर्मल पावर  उत्पादक है। अदानी इंफ्रास्ट्रक्चर एम्पायर सोलर मैन्युफैक्चरिंग, लॉजिस्टिक्स, इंडस्ट्रियल लैंड, डिफेंस एंड एयरोस्पेस, फ्रूट्स, डेटा सेंटर्स, रोड एंड रेल, रियल एस्टेट और लेंडिंग में भी मौजूद है।

कई क्षेत्रों में अपना पैर जमा रहे हैं अदानी

देश के जाने माने बिजनेसमैन गौतम अदानी ने कोरोना के घातक लहर के बीच अपने व्यवसाय को नये आयाम पर पहुंचाया है। एक ऐसा समय जब देश ही नहीं पूरी दुनिया के दिग्गज बिजनेसमैन कई क्षेत्रों में नुकसान उठा रहे हैं, दूसरी ओर अदानी हर क्षेत्र में सफलता के झंडे गाड़ते नजर आ रहे हैं। हाल ही में अदानी ने हरित ऊर्जा में भी कदम रखा है जिसका उन्हें काफी लाभ भी मिला है। फरवरी में बिजनेस स्टैंडर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, अदानी ग्रीन एनर्जी के शेयरों में पिछले तीन वर्षों में 5500% से अधिक की वृद्धि हुई है।

इस तरह से विभिन्न क्षेत्रों में अदानी अपने साम्राज्य को फैला रहे हैं। अदानी के अधिग्रहण की अगर बात की जाये तो अदानी ने 17 अरब डॉलर खर्च कर लगभग 32 अधिग्रहण किये हैं लेकिन जब ओला और बायजु जैसे फर्म अधिग्रहण और विस्तार के कारण कर्ज में डूबते जा रहे हैं ऐसे में आखिर अदानी की संपत्ति कैसे बढ़ गयी? इसका उत्तर बहुत सरल है और वह है अदानी के सोचने की क्षमता।

अदानी को है बिजनेस की सबसे बेहतर समझ

उदहारण के तौर पर अदानी इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में भी अपनी पकड़ बना रहे हैं और ऐसे में उन्हें सीमेंट की आवश्यकता थी और भारत में सीमेंट की उपलबधता एक बड़ी समस्या है। ऐसे में अदानी ने अम्बुजा और ACC सीमेंट कंपनी को ही खरीद लिया। अब वह अपनी कंपनी से सीमेंट बनाकर अपने इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं में इस्तेमाल करेंगे। यह है उनकी “स्वयं विक्रेता, स्वयं उपभोक्ता स्ट्रेटेजी”। यह उदहारण है जो इंगित करता है कि कोई भी अधिग्रहण वह बहुत ही सोच समझ कर करते हैं बिना सोचे विचारे वह किसी से एक तिल तक न खरीदें!

साथ ही अदानी ऐसे बिज़नेस में पैसा लगाते हैं जिसे वह जानते हैं कि भविष्य में इसकी मांग बढ़ेगी, यह उनकी दूरदर्शी सोच को दर्शाता है। उनकी इसी सोचने की क्षमता, बिजनेस कैपेब्लिटी, मार्केटिंग स्ट्रेटेजी, सही लोगों के साथ कनेक्शन और सही समय पर सही कदम उठाना, उनके यही गुण उन्हें एक सफल उद्योगपति बनाते हैं।

भले ही अदानी की संपत्ति इस समय में बढ़ी हो लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि उनके कारण गरीब के मुंह से निवाला छीन गया है। हाल ही में आई एक रिपोर्ट यह सिद्ध करती है कि महामारी के बाद जहां अमीरों की संपत्ति घटी है वहीं गरीबों को कोई नुकसान नहीं हुआ है। कुछ रिपोर्ट्स तो यह भी बताती है कि कोरोना के बाद देश में अमीरों की संपत्ति में बढ़ोत्तरी हुई है, मिडिल क्लास वाले अपर मिडिल क्लास में पहुंचे हैं और गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले लोगों की स्थिति में भी काफी सुधार आया है। ऐसे में जो लोग कहते हैं कि “अमीर जब और अमीर बनेगा तो गरीब और गरीब होता जायेगा” यह तथ्य बिल्कुल गलत है!

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