‘आरे बचाओ’ विरोध को लेकर बड़ी मुश्किल में फंसे शिवसेना के ‘चश्मोचिराग’ आदित्य ठाकरे

शिवसेना के पप्पू खुद ही पार्टी की कब्र खोद रहे हैं!

aditya thaakre

Source- TFIPOST.in

सरकार गई, लगभग पार्टी भी गई ऐसे में शिवसेना के होते-होते रह गए उत्तराधिकारी आदित्य ठाकरे अब अपने नाम अनेकानेक विवादों को “आ बैल मुझे मार” की भांति अपनी ओर आमंत्रित कर रहे हैं।  हालिया मामला आरे कॉलोनी से जुड़ा हुआ है जिसके निर्णय को शिंदे सरकार ने आकर सबसे पहले पलट दिया।

एक अधिकारी ने सोमवार को कहा कि राष्ट्रीय बाल अधिकार निकाय ने मुंबई पुलिस से शिवसेना की युवा सेना प्रमुख आदित्य ठाकरे के खिलाफ ‘आरे बचाओ’ विरोध के दौरान बच्चों का “उपयोग” करने के लिए प्राथमिकी दर्ज करने को कहा है। विरोध प्रदर्शन के दौरान बच्चों और प्रमुख रूप से नाबालिग बच्चों का उपयोग करने के लिए अब आदित्य ठाकरे नप चुके हैं।

दरअसल, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) की रजिस्ट्रार अनु चौधरी ने मुंबई के पुलिस आयुक्त विवेक फनसालकर को पत्र लिखकर प्राथमिकी दर्ज करने का अनुरोध किया है। अपने पत्र में, उन्होंने उल्लेख किया कि एनसीपीसीआर को धृतिमान जोशी से एक शिकायत मिली थी जिसमें आरोप लगाया गया था कि आदित्य ठाकरे ने विरोध या राजनीतिक अभियानों में तथाकथित ‘आरे बचाओ’ विरोध में नाबालिग बच्चों का इस्तेमाल किया है। ज्ञात हो कि, जोशी सह्याद्री राइट्स फोरम के कानूनी प्रमुख हैं।

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बता दें, 10 जुलाई को महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री आदित्य ठाकरे ने तथाकथित प्रदर्शनकारियों का नेतृत्व किया। उन्होंने आरे साइट पर मुंबई मेट्रो कार शेड 3 बनाने के सरकार के फैसले का आदित्य ठाकरे और अन्य कार्यकर्ताओं ने सेव आरेके बैनर तले विरोध किया था। उन्होंने विरोध प्रदर्शन की तस्वीरें सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी अपलोड कीं और इसके बाद मामले ने तूल पकड़ लिया क्योंकि उसमें बच्चों की तस्वीरें भी थीं।

 इसके बाद, मुंबई के पुलिस आयुक्त विवेक फनसालकर ने कहा, “ट्विटर लिंक के माध्यम से बच्चे तख्तियां लिए हुए विरोध प्रदर्शन में भाग लेते दिख रहे हैं।” उन्होंने कहा कि एनसीपीसीआर ने मामले का संज्ञान लिया है और उनका मानना ​​है कि प्रथम दृष्टया इस तरह का कृत्य किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम की धारा 75 के उल्लंघन है। उन्होंने कहा, “उपरोक्त के मद्देनजर, आयोग आपसे अनुरोध करता है कि आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ एक ही बार में प्राथमिकी दर्ज करके मामले की तत्काल जांच की जाए।”

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आयोग ने यह भी कहा कि बच्चों का बयान दर्ज करने के लिए किशोर न्याय अधिनियम के तहत बच्चों की पहचान कर उन्हें बाल कल्याण समिति के समक्ष पेश किया जाना चाहिए। इस पत्र की प्राप्ति के तीन दिनों के भीतर प्राथमिकी की प्रति और बच्चों के बयान के साथ एक कार्रवाई रिपोर्ट आयोग के साथ साझा की जा सकती है। इसके बाद ठाकरे परिवार के आदित्य ठाकरे के कानूनी ज्ञान की कमी और बालकबोध दोनों का अंग प्रदर्शन हुआ, ऐसे चश्मोचिराग घरों को रौशन नहीं उनकी कब्र खोद देते हैं।

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