इंडियन एयरफोर्स के फाइटर जेट्स अब होंगे AI से लैस

भारतीय वायुसेना बदल रही है!

Indian Air force

Source- TFIPOST

‘बदलते समय के साथ जो खुद को ढाल ले वही सफल होता है’, इसी को ध्यान में रखते हुए भारत अपने सशस्त्र बलों की क्षमताओं को बढ़ाने हेतु कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के उपयोग पर लंबे समय से काम कर रहा है। सरकार ने भारत की समग्र रक्षा रणनीति में कृत्रिम बुद्धिमत्ता को शामिल करने के अंतर्निहित उद्देश्य के साथ एक महत्वाकांक्षी रक्षा परियोजना शुरू की है। यह रक्षा बलों की परिचालन दक्षता और प्रभावशीलता को काफी उच्च स्तर तक ले जाने वाला है।

सरकार की योजनाओं में सशस्त्र बलों को मानवरहित टैंकों, जहाजों, हवाई वाहनों और स्वचालित रोबोटिक राइफलों से लैस करना शामिल है। यह भारत को अपनी सुरक्षा के लिए खतरों का मुकाबला करने हेतु और मजबूत करेगा। यह कदम सेना, नौसेना और वायु सेना को किसी बाहरी हमले का सामना करने के लिए तैयार करने हेतु एक बड़ी रणनीति का हिस्सा माना जाता है जिसमें स्वचालित हथियार और एआई अधिक भूमिका निभाएंगे।

हाल ही में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक कार्यक्रम में हिस्सा लिया था जिसमें उन्होंने ऐसे 75 गैजेट्स का उद्घाटन किया, जिन्हें भारत की सीमाओं पर सुरक्षाबल निगरानी के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। चीनी भाषा के ट्रांसलेटर से लेकर निगरानी करने वाले रोबोट और स्वचालित पनडुब्बी तक हर तरह की AI तकनीक पर काम किया जा रहा है। इसी बीच अब खबर है कि भारतीय वायु सेना भी अपने फाइटर जेट्स को AI से जोड़ने जा रही है।

और पढ़ें: हो सकता है कि आपने कभी ध्यान न दिया हो, लेकिन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आपके साथ ही है!

भारतीय वायु सेना (IAF) ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) को अपनी युद्धक क्षमताओं में एकीकृत करने के लिए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (CoE) की स्थापना की है। हाल ही में वाइस चीफ ऑफ द एयर स्टाफ एयर मार्शल संदीप सिंह ने वायु सेना में उड़ान (Unit for Digitisation, Automation, Artificial Intelligence and Application Networking) के तत्वावधान में आईएएफ के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उद्घाटन किया। IAF ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा, “एनालिटिक्स, मशीन लर्निंग, नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग, न्यूरल नेटवर्क्स और डीप लर्निंग एल्गोरिदम के सभी पहलुओं को संभालने के लिए IAF के एआई सेंटर में एक बिग डेटा एनालिटिक्स और एआई प्लेटफॉर्म को कमीशन किया गया है।”

उद्घाटन समारोह में सभा को संबोधित करते हुए एयर मार्शल सिंह ने कहा कि “भारतीय वायुसेना ने अपनी युद्धक प्रक्रियाओं में उद्योग 4.0 और एआई-आधारित प्रौद्योगिकियों को शामिल करने के लिए सक्रिय कदम उठाए हैं। हाई-एंड कंप्यूट और बड़ी डेटा स्टोरेज क्षमताओं के साथ एआई सीओई, फुल-स्पेक्ट्रम एआई सॉफ्टवेयर सूट के साथ आईएएफ की परिचालन क्षमता में काफी वृद्धि करेगा।” सिंह ने आगे कहा कि एआई-आधारित अनुप्रयोगों को विभिन्न सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू), एमएसएमई और कृत्रिम बुद्धि के क्षेत्र में अग्रणी शिक्षाविदों के समन्वय में आंतरिक विशेषज्ञता के साथ विकसित किया जा रहा है।

हवाई युद्ध में कृत्रिम बुद्धिमत्ता

युद्ध के कठिन समय में जब एक-एक पल कीमती हो तो ऐसे में सही रास्ता खोजना और समय पर निर्णय लेने की क्षमता सर्वोपरि है। हालांकि, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) स्वयं निर्णय लेने का कार्य करता है लेकिन एयरोस्पेस और रक्षा विश्लेषक गिरीश लिंगन्ना के अनुसार उन्हें पूरी तरह से प्रतिस्थापित नहीं किया जा सकता है। उनका मानना है कि “हवाई युद्ध में एआई मानव ऑपरेटरों की जगह नहीं लेगा बल्कि उनकी सहायता करेगा। सरल कार्यों को एआई संभालेगा ताकि अधिक जटिल निर्णय लेने का कार्य पायलट संभाल सके।” आज दुनिया भर में सेनाएं अपने युद्ध में आधुनिक तकनीकों को शामिल करने के लिए लगातार काम कर रही हैं और इसमें एआई पर ख़ास ध्यान दिया जा रहा है। अमेरिका और चीन में तो जैसे एआई में वर्चस्व हासिल करने की दौड़ चल रही है।

बताते चलें कि भारतीय सेना के लिए डीआरडीओ (DRDO) और भारत डायनामिक्स लिमिटेड (BDL) लगातार ऐसे हथियार बना रही है जो AI तकनीक के जरिये उसके काम को आसान बना रहे हैं। इनमें भीड़ में भी स्कैन करने के बाद चेहरा पहचानने वाले उपकरण हों या ड्रोन में लगने वाले कैमरे, बहुत सारे उपयोगी उपकरण शामिल हैं।युद्ध में मानव की भागीदारी तेजी से घट रही है और भारत को युद्ध के नए तरीकों के संबंध में अन्य देशों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलना होगा। जिस तरह अन्य देश और विशेषकर चीन कृत्रिम बुद्धिमत्ता में भारी निवेश कर रहे हैं, ऐसे में आवश्यक है कि भारत भी अपनी सैन्य तैयारियों में किसी भी तरह से अन्य देशों से पीछे न रहे। भारत के पास नयी जेनरेशन के आइडिया हैं, पुरानी जेनरेशन का अनुभव है, कर्मठ और ईमानदार वैज्ञानिक हैं और सभी संसाधन उपलब्ध हो इसका ध्यान रखने वाली सरकार है। यह सभी भारत को एआई के क्षेत्र में आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। साथ ही एआई का इस्तेमाल न केवल उच्च गुणवत्ता निगरानी सुनिश्चित करेगा बल्कि इसके परिणामस्वरूप संपार्श्विक क्षति को कम किया जा सकेगा और इससे रक्षा में तैनात सैनिकों को भी नुकसान नहीं होगा।

और पढ़ें: ‘अब परिंदे भी पर नहीं मार पाएंगे’, घुसपैठ को नाकाम करने हेतु AI का इस्तेमाल कर रही है भारतीय सेना

TFI का समर्थन करें:

सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की राइट’ विचारधारा को मजबूती देने के लिए TFI-STORE.COM से बेहतरीन गुणवत्ता के वस्त्र क्रय कर हमारा समर्थन करें।

Exit mobile version