आखिरकार केजरीवाल ने सिसोदिया को फंसवा ही दिया, 144 करोड़ के घोटाले में CBI कर सकती है जांच

पिछले महीनों से निरंतर केजरीवाल एजेंसियों को हिंट दे रहे थे कि सिसोदिया को भी पकड़ो- वही हो गया!

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Source- TFIPOST.in

सब मिले हुए हुए हैं जी, यह अरविंद केजरीवाल का वो तकियाकलाम है जिसको बोलकर वो राजनीति में आए, फिर सत्ता प्राप्ति की और अब इसी के साथ वो स्वयं को भी मिला चुके हैं। मसलन, जिन भ्रष्टाचारी तत्वों को आड़े हाथों लेते हुए केजरीवाल सब मिले हुए हुए हैं जी कहा करते थे आज वो उन्हीं के लिए संदर्भित किया जाने लगा है। इस बार अरविंद केजरीवाल अपने साथी मनीष सिसोदिया के साथ लंबे फंसते नज़र आ रहे हैं। मामला इस नई आबकारी नीति से जुड़ा हुआ है जिसको लेकर केजरीवाल सरकार का प्रचंड विरोध हुआ था। अब नीति के चक्कर में सिसोदिया जल्द जेल कूच कर सकते हैं।

दरअसल, शुक्रवार 22 जुलाई को, दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली सरकार की 2021-22 की नई आबकारी नीति के खिलाफ सीबीआई जांच की सिफारिश कर दी है। सक्सेना के कार्यालय से एक मीडिया विज्ञप्ति से पता चला है कि मुख्य सचिव की 8 जुलाई की एक रिपोर्ट में शराब लाइसेंसधारियों को निविदा के बाद अनुचित लाभ प्रदान करने के लिए जानबूझकर कई कानून उल्लंघनों का संकेत दिया गया था।

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अनुचित लाभ लाभ पहुंचाने का आरोप

एलजी ने सीधे तौर पर दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया का नाम लेते हुए रिपोर्ट को राजनीतिक स्तर पर पर्याप्त आर्थिक पक्ष के संकेत के रूप में टिप्पणी की। इसके अलावा, उन्होंने यह भी शामिल किया कि इस आबकारी नीति को स्थापित करने का एकमात्र उद्देश्य सरकार में व्यक्तियों के वित्तीय लाभ के लिए निजी शराब बैरन को लाभ पहुंचाना था, जिससे सिसोदिया को बढ़ावा मिला। इसके अलावा, कार्यों का वर्णन करते हुए, सक्सेना ने कहा कि “आबकारी विभाग के प्रभारी मंत्री, मनीष सिसोदिया ने वैधानिक प्रावधानों और अधिसूचित आबकारी नीति के उल्लंघन में बड़े वित्तीय प्रभाव वाले बड़े निर्णय / कार्यों को लिया और निष्पादित किया।”

दिल्ली का एक्साइज विभाग मनीष सिसोदिया के अधीन है और नई एक्साइज ड्यूटी में गड़बड़ी के आरोप हैं। आरोप है कि नई एक्साइज पॉलिसी के जरिए शराब लाइसेंसधारियों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया। लाइसेंस देने में नियमों की अनदेखी की गई। टेंडर के बाद शराब ठेकेदारों के 144 करोड़ रुपए माफ किए गए। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस नीति के जरिए कोरोना के बहाने लाइसेंस की फीस माफी की गई। रिश्वत के बदले शराब कारोबारियों को लाभ पहुंचाया गया। आरोप है कि नई आबकारी नीति के तहत उठाए गए कदमों से राजस्व को भारी नुकसान पहुंचा है और यह नई नीति शराब कारोबारियों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से लाई गई।

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केजरीवाल ने बताया केस झूठा

यही नहीं, इस पूरे कर्मकांड में अपने निजी संबंधियों को लाभ पहुंचाया गया उसके भी अंश पाए गए हैं और इसी बाबत पर जांच जारी है। अरविंद केजरीवाल ने जिस प्रकार हमेशा स्वयं को सत्यवादी ही बताया है इसलिए जैसे ही उनको यह पता चला की उनके साथी सिसोदिया पर जांच बैठ रही है तो केजरीवाल ने वही राग अलापना शुरू कर दिया जिसके वो आदी रहे हैं। सीएम केजरीवाल ने दावा किया कि ‘कुछ दिनों में CBI मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार करने वाली है। 3-4 महीने पहले मुझे इनके लोगों ने बताया था कि मनीष जी गिरफ्तार होने वाले हैं। मैंने पूछा कि क्या केस है। मुझे कहा कि कोई केस नहीं है, केस ढूंढ रहे हैं, कुछ बना रहे हैं।’

अब ये तो समय बताएगा कि 144 करोड़ के बड़े घोटाले के मुख्य अभियुक्त बनकर सामने आए मनीष सिसोदिया पर आरोप कब तक सिद्ध होते हैं। वहीं दिल्ली में घर-घर शराब की नीति वाली नई आबकारी नीति के तहत खुले 849 नए ठेके अब हर दिल्लीवासी की समस्या बन गए हैं। माहौल बिगड़ने लगा है, लोगों के घरों के 100 मीटर की दूरी पर ठेकों के होने से बहुत अराजक माहौल बन ही चुका है। ऐसे में उपराज्यपाल का जाँच बैठाना कोई आम बात नहीं है। इस बार सत्येंद्र जैन के बाद सबसे बड़ा नाम यदि निकलता है तो इन्हीं डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया का ही होगा।

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