राज्य के बाद अब BMC का भी होगा भगवाकरण

शिंदे और फडणवीस की जोड़ी ने दिया उद्धव को एक और झटका !

BMC

Source- TFIPOST.in

भाजपा ने अप्रत्यशित कदम उठा, अप्रत्यशित जीत को हासिल करना अपना पैशन बना लिया है। महाराष्ट्र की ही बात करें तो एक माह के भीतर ही भाजपा ने राज्यसभा चुनाव से लेकर सरकार में पुनः वापसी के साथ यह सिद्ध कर दिया कि “सरकारें आएँगी-जाएँगी” पर ध्येय एक ही रहेगा हर चुनाव में अप्रत्याशित जीत। अब राज्य में सत्ता परिवर्तन के बाद सबसे बड़ा चर्चित विषय BMC चुनाव होने वाला है जिसका वास्तव में असल इंतज़ार हो रहा था, ये तख्तापलट तो Buy 1 Get 1 Free की स्कीम में हाथ लग गया। असल में तो BMC चुनावों की प्रतीक्षा हो रही थी। इसी बीच भाजपा ने शिंदेमय शिवसेना के साथ मिलकर उद्धव के गुट के शिवसैनिकों को अपने पाले में करने की कोशिशों को तेज़ कर दिया है। उद्धव ठाकरे की शिवसेना को एक नया झटका देते हुए, ठाणे के 66 नगरसेवक एकनाथ शिंदे खेमे में शामिल हो गए हैं।

दरअसल, राज्य में भाजपा सरकार की पुनः वापसी के बाद नया लक्ष्य बीएमसी चुनाव होने जा रहे है। देश के सबसे अमीर नगर निगम, मुंबई के नागरिक निकाय बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) का चुनाव जल्द ही होने वाला है और इसके लिए तारीखों की घोषणा किसी भी क्षण हो सकती है। इसी बीच अब ठाणे के 66 नगर सेवक एकनाथ शिंदे को मजबूत करने के लिए उद्धव खेमे को छोड़ भाजपा और शिंदे की शिवसेना को मजबूत करने के लिए आ गए हैं।

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अब पार्षदों ने भी उद्धव को झटका दे दिया

बता दें कि, बुधवार रात सभी पार्षदों ने शिंदे से उनके आवास पर मुलाकात की। शिवसेना के 67 पार्षदों में से 66 के दलबदल के साथ, उद्धव ठाकरे ने ठाणे नगर निगम पर प्रभावी रूप से अपना नियंत्रण खो दिया है। यह उद्धव ठाकरे के लिए दूसरा बड़ा झटका है। ज्ञात हो कि महाराष्ट्र में तीन-पक्षीय महा विकास अघाडी सरकार 29 जून को राजनीतिक द्वंद्व के बाद गिर गई थी। एकनाथ शिंदे ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की मदद से अपनी नई सरकार बनाई और शिवसेना के नेता का भी लगभग टैग अपने नाम कर लिया। ऐसे में अपनी जवाबदेही का निर्वहन करते हुए शिंदे ने BMC की तैयारियों को मजबूत करते हुए अपना धड़ा मजबूत करने के लिए खेला कर दिया।

जिस प्रकार पहले विधायक और सांसद उद्धव ठाकरे को टाटा-बाय-बाय कर गए अब पार्षदों ने भी अपनी चाल चलते हुए उद्धव ठाकरे को झटका देते हुए भाजपा को मजबूत करने का निर्णय लिया। जो शिवसेना 3 दशक से बीएमसी पर एकछत्र राज कर रही है, जिसके सामने भाजपा जैसी पार्टियां बीएमसी में उभरी हैं, आज उसी उद्धव ठाकरे की शिवसेना का अस्तित्व धूमिल होते जा रहा है और एकनाथ शिंदे की शिवसेना का प्रादुर्भाव हो रहा है। बीएमसी के इस चुनाव में निश्चित रूप से भाजपा बहुमत में सरकार बनाने जा रही है क्योंकि अब उद्धव पर न चुने हुए प्रतिनिधियों को साथ है और न ही कार्यकर्ताओं का हाथ है। ऐसे में हार स्वाभाविक है, पैसे का हेर-फेर करने का अवसर हाथ से जाने को है क्योंकि यह बीएमसी ही थी जो उद्धव ठाकरे की शिवसेना के लिए “आय का स्त्रोत थी।”

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अब चूंकि शिवसेना को न माया मिली न राम वाली स्थिति है ऐसे में भाजपा का बीएमसी का किला फ़तेह करना इस बार आसान हो गया है। बीते 2017 के चुनाव के की बात करें तो अकेले-अकेले लड़ने वाले इन सभी दलों में शिवसेना ने 84 तो भाजपा ने 82 सीटें हासिल की थीं। इस बार भी भाजपा को मिली बढ़त ने साफ़ कर दिया था कि उसका जनाधार शिवसेना से कहीं कम नहीं है। इस चुनाव में यह फिर सिद्ध हो जाएगा कि इस बार बीएमसी का भगवाकरण होना तय है और इसमें सबसे बड़ी सहभागिता देवेंद्र फडणवीस और एकनाथ शिंदे के बल-बुद्धि-विवेक की होगी।

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