कांग्रेस को छत्तीसगढ़ में मिलने जा रहा है एक और “सिंधिया” मोमेंट !   

छत्तीसगढ़ में 'कांग्रेस की कांग्रेस' से ही मारामारी जारी है

Bhupesh Baghel

कांग्रेस जहां-तहां अपने हालात के लिए भाजपा को ज़िम्मेदार ठहराती है पर वो स्वयं के भीतर झांककर यह नहीं देखती कि ऐसे भी क्या कारक रहे हैं जो देश की वयोवृद्ध पार्टी की दशा, दुर्दशा में ऐसी परिवर्तित हो गयी कि देशभर में उसकी 2 राज्यों में सरकार बची हैं जिनका कार्यकाल शीघ्र ही खत्म हो जाएगा और चुनाव आ जाएंगे। ऐसे एक राज्य की जंग छत्तीसगढ़ से सरेआम हो गयी है जहां दोनों प्रमुख नेताओं की कलह अब इस्तीफे तक पहुंच गयी और रार कम होने का नाम नहीं ले रही। इस लेख में हम जानेंगे कि कैसे कांग्रेस को छत्तीसगढ़ में एक और “सिंधिया” मोमेंट मिलने जा रहा है!

कांग्रेस आलाकमान से रुष्ट थे टीएस सिंहदेव

दरअसल, छत्तीसगढ़ के कैबिनेट मंत्री टीएस सिंहदेव के पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग से दिए इस्तीफे ने कांग्रेस की राज्य इकाई के भीतर आसन्न कलह को फिर से सामने ला दिया है। जिस प्रकार ढाई-ढाई साल वाले फॉर्मूले पर छत्तीसगढ़ के सीएम पद का बंटवारा नहीं हुआ, देव उन्हीं कारणों से कांग्रेस आलाकमान से रुष्ट थे और बीते दिनों उसकी सुगबुगाहट सरेआम हो ही गयी थी। कभी देव अपना दमखम दिखाते हुए दिल्ली कूच करते तो कभी आलाकमान से मिलते, इससे राज्य सरकार में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा था वो तो सबको विदित ही था।

ध्यान देने वाली बात है कि कोरोनाकाल में जिस प्रकार ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने दमखम के साथ भाजपा को सरकार बनाकर दे दी, उसके बाद अनुमान यह लगाया जा रहा था कि यह सिंधिया मोमेंट अब राजस्थान में दिखेगा जहां अशोक गहलोत और सचिन पायलट में सबकुछ ठीक पहले दिन से ही नहीं चल रहा था। पर राजस्थान तो नहीं पर इस बार “सिंधिया मोमेंट” छत्तीसगढ़ में होने की ओर है क्योंकि दोनों नेता राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और राज्य के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव की कलह अब जगजाहिर होने के साथ ही मंत्री जी के विभाग से इस्तीफे देने तक पहुंच गयी है।

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ज्ञात हो कि शनिवार शाम टीएस सिंहदेव ने अपना चार पन्नों का पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग से इस्तीफा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को भेजा। पत्र में टीएस सिंहदेव ने राज्य सरकार पर प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकान बनाने के लिए राशि आवंटित नहीं करने का आरोप लगाया। यह एक इस्तीफा राज्य में घूर्णी नेतृत्व के लंबे समय से चले आ रहे मुद्दे को वापस लाता है, जिसे टीएस सिंह देव द्वारा विद्रोह के संकेतों के बावजूद कांग्रेस नेतृत्व ने पिछले साल टाल दिया था। लेकिन इस बार ये पासा “लौटती-पलटती छाया” की तरह वापस आ गया और टीएस सिंहदेव के इस्तीफे के प्रमुख अंश इस बात की ओर संकेत देते हैं कि कैसे भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली सरकार भ्रष्टाचार में आकंठ डूबी हुई है। टीएस सिंहदेव के इस्तीफे द्वारा किए गए दावों में यह भी है कि मुख्य सचिव अमिताभ जैन ने मुख्यमंत्री समग्र ग्रामीण विकास योजना के तहत सचिवों की एक समिति बनाकर अपना एकाधिकार स्थापित किया था। पत्र में दावा किया गया है कि इस समिति द्वारा सभी परियोजनाओं के लिए अंतिम मंजूरी दी जा रही है।

बघेल को भेजे इस्तीफ़े में क्या कहा गया?

उन्होंने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को भेजे इस्तीफ़े में कहा है कि, “प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत प्रदेश के आवास विहीन लोगों को आवास बनाकर दिया जाना था जिसके लिए मैंने कई बार आपसे चर्चा कर राशि आवंटन का अनुरोध किया था किंतु इस योजना में राशि उपलब्ध नहीं की जा सकी। फलस्वरूप प्रदेश के लगभग 8 लाख लोगों के लिए आवास नहीं बनाए जा सके।”

टीएस सिंहदेव ने अपने इस्तीफ़े में लिखा है कि, “नियम विरुद्ध मुख्यमंत्री समग्र ग्रामीण विकास योजना के अंतर्गत कार्यों की अंतिम स्वीकृति हेतु रूल्स ऑफ बिजनेस के विपरीत मुख्य सचिव की अध्यक्षता में सचिवों की एक समिति गठित की गयी। कार्यों की स्वीकृति हेतु मंत्री के अनुमोदन उपरांत अंतिम निर्णय मुख्य सचिव की समिति द्वारा लिये जाने की प्रक्रिया बनायी गयी जो प्रोटोकॉल के विपरीत और सर्वथा अनुचित है।”

इस्तीफ़े में टीएस सिंहदेव ने आगे लिखा है कि, “उन्होंने दो सालों तक आदिवासी इलाकों में विमर्श के बाद पंचायत एक्सटेंशन इन शेड्यूल एरिया क़ानून के नियम बनाये लेकिन उन्हें विश्वास में लिए बिना, उसमें संशोधन कर दिया गया।”

इस इस्तीफे के बाद सभी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की प्रतिक्रिया का इंतज़ार कर रहे थे पर उनकी प्रतिक्रिया ने तो परिस्थति ही बदल दी। सीएम भूपेश बघेल ने कहा है कि, उन्हें अभी तक पंचायत विभाग से टीएस सिंहदेव का इस्तीफा नहीं मिला है। बघेल ने कहा कि उन्हें मीडिया के माध्यम से सिंहदेव के कदम के बारे में पता चला। उन्होंने कहा कि वह इस्तीफा पत्र प्राप्त करने के बाद इस पर विचार करेंगे। मैंने उनसे (सिंहदेव) बात नहीं की है। मैंने कल रात उन्हें फोन करने की कोशिश की, लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका।

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कांग्रेस सरकार के मध्यावधि पूरा होने के बाद से है मतभेद

ज्ञात हो कि बीते वर्ष कांग्रेस सरकार के मध्यावधि पूरा होने के बाद सिंहदेव और सीएम बघेल के बीच मतभेद सामने आए थे। गार्ड ऑफ चेंज की भी अफवाहें थीं जिसे 2018 में कांग्रेस की चुनावी जीत के बाद कथित तौर पर सहमति दी गयी थी। कथित समझौते के अनुसार, राज्य सरकार के पिछले 2.5 वर्षों के कार्यकाल का नेतृत्व टीएस सिंहदेव को करना था। टीएस सिंहदेव और भूपेश बघेल दोनों को कथित तौर पर एक निर्णय होने तक एक साथ काम करने के लिए कहा गया था। हालांकि, मध्यावधि पूरा होने के बाद, कांग्रेस के राज्य प्रभारी पीएल पुनिया ने इस बात से इनकार किया कि उनके नेतृत्व में कोई बदलाव हुआ है।

बाद में राज्य में छिड़ी रार और सिरफुटव्वल में बीते वर्ष से यह दिखना शुरू हो गया कि कैसे छत्तीसगढ़ की सरकार में सबकुछ सही नहीं चल रहा है। यहां तक कि कांग्रेस आलाकमान ने टीएस सिंहदेव और बघेल के बीच तनाव को कम करने के लिए हस्तक्षेप किया। अगस्त 2021 में, राहुल गांधी ने दिल्ली में अपने आवास पर राज्य के दोनों नेताओं के साथ बंद कमरे में बैठक की।

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हालांकि, आज की सभी विसंगतियां इस बात की गवाही देती हैं कि अंतर्कलह कभी शांत ही नहीं हो पायी। राज्य के दो दिग्गजों के बीच बढ़ती असमानता कांग्रेस की रही बची दो सरकारों में से एक के गिरने की आहट लेकर आयी है। ऐसे में कल को छत्तीसगढ़ में भी “सिंधिया मोमेंट” हो गया तो निश्चित रूप से यह अपनी बात पर न टिकने वाले कांग्रेस आलाकमान के मुंह पर करारा तमाचा होगा कि अब भी यदि प्रभावी नेताओं और कार्यकर्ताओं को नहीं संभाला तो कांग्रेस सच में विलुप्त ही हो जाएगी।

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