क्या है I2U2 और इसे क्यों कहा जा रहा है पश्चिम एशिया का क्वाड? भारत की भूमिका के बारे में यहां समझिए

I2U2 में भारत की भागीदारी से बदल जाएंगे कई समीकरण.

PM Modi, I2U2

Source- TFIPOST HINDI

भारत विश्व में अपनी पकड़ मजबूत करने के प्रयासों में जुटा हुआ है। वो अलग-अलग देशों के साथ समूह बनाकर स्वयं को ताकतवर करने की कोशिशें कर रहा है। अब हाल ही में भारत ऐसे ही एक और शक्तिशाली समूह का हिस्सा बना है जिसका नाम है I2U2। दरअसल, भारत ने अमेरिका, इजराइल और संयुक्त राष्ट्र अमीरात (UAE) के साथ मिलकर एक नई चौकड़ी तैयार की है। इसको ही I2U2 का नाम दिया गया है। इस नए QUAD में I2 का मतलब भारत और इजराइल है तो वहीं U2 से तात्पर्य अमेरिका और यूएई से हैं। इसे पश्चिमी एशिया का क्वाड माना जा रहा है। इस क्वाड में भारत की भूमिका काफी अहम होने वाली है।

14 जुलाई को इस क्वाड समूह की पहली वर्चुअल बैठक का आयोजन होने जा रहा है जिसके लिए समूह के शीर्ष नेता एक साथ आएंगे। I2U2 की पहली बैठक में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, इजराइल के नए प्रधानमंत्री यायर लापिड और यूएई के राष्ट्रपति मोहम्मद बिन भाग लेंगे। यह समूह पानी, ऊर्जा, परिवहन, अंतरिक्ष, स्वास्थ्य और खाद्य सुरक्षा जैसे छह पारस्परिक तौर पर पहचाने गए क्षेत्रों में संयुक्त निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए काम करेगा।

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भले ही I2U2 की पहली बैठक का आयोजन 14 जुलाई को हो रहा हो परंतु समूह की नींव पिछले वर्ष अक्टूबर में ही पड़ गई थी। तब इन्हीं चार देशों के विदेश मंत्रियों ने इस बैठक में हिस्सा लिया था। भारत की तरफ से विदेश मंत्री एस. जयशंकर बैठक में शामिल होने के लिए इजराइल गए थे। तब इस समूह को ‘इंटरनेशनल फोरम फॉर इकोनॉमिक कोऑपरेशन’ का नाम दिया गया। उस दौरान बैठक में समुद्री सुरक्षा, बुनियादी ढांचे, डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर और परिवहन जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई थी। उसके बाद पिछले महीने ही I2U2 समूह बनाने के ऐलान किया गया था। ध्यान देने वाली बात है कि इस समूह के माध्यम से चारों देशों के रिश्ते में प्रगाढ़ता आएगी।

भारत के नजरिए से देखा जाए तो I2U2 समूह काफी महत्वपूर्ण हो जाता है। एक तरह से देखें तो भारत इस समूह में लीडर की भूमिका निभाता हुआ नजर आ सकता है क्योंकि I2U2 में जो बाकी तीन देश हैं उनके साथ भारत के संबंध काफी अच्छे हैं। अमेरिका भी यह कह चुका है कि I2U2 में भारत की भागीदारी काफी अहम होने वाली है।

वहीं, इजरायल के पूर्व NSA ने अपने एक बयान में कहा है कि भारत नए देशों में लाने वाले अब्राहम समझौते के दायरे को बढ़ाने में सहायता कर सकता है। उन्होंने कहा कि I2U2 का गठन विश्व के हितों को ध्यान में रखकर किया गया। इजरायल और यूएई में रणनीतिक साझेदारी की घोषणा की संभावना है। भारत की भूमिका यूरोप और इजरायल के मध्य एक सेतु के समान है जो भारत के व्यापारिक भागीदार हैं।

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बताते चलें कि भारत के लिए भी I2U2 जैसे समूह का हिस्सा होना बेहद ही अहमियत रखता है क्योंकि देखा जाए तो एक तरफ कपटी चीन एशिया में अपना वर्चस्व कायम करने के लिए छोटे देशों को अपने जाल में फंसा रहा है। ऐसे में भारत के लिए विश्व में अपनी पकड़ मजबूत करना बेहद जरूरी है। दूसरी ओर इन दिनों अरब नाटो की चर्चाएं तेज हो रही है। ईरान के साथ तनाव के बीच पश्चिमी एशिया में एक नया एयर डिफेंस एलायंस बनाने की तैयारी हो रही है। नए गठबंधन को मिडिल ईस्‍ट एयर डिफेंस एलायंस नाम दिया गया है।

अमेरिका इस गठबंधन का नेतृत्‍व करेगा और इसमें इजरायल, यूएई, सऊदी अरब, जॉर्डन और मिस्र जैसे देश शामिल हो सकते हैं। अरब नाटो के धरातल पर उतरने से पहले भारत पश्चिमी देशों में I2U2 के माध्यम से स्वयं को ताकतवर बना सकता है क्योंकि I2U2 में इजरायल और यूएई शामिल हैं और यहीअरब नाटो का हिस्सा भी बन सकते हैं। देखा जाए तो भारत पहले ही अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ एक क्वाड समूह में शामिल हैं। इसके अलावा चीन, रूस और ब्राजील जैसे देशों के संगठन ब्रिक्स में भारत की भूमिका को अहम माना जाता है। अब पश्चिमी देशों के साथ इस नई साझेदारी से भारत पश्चिमी देशों में भी मजबूत होने जा रहा है।

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