झारखंड में इस्लामिस्ट ‘आतंक’ मचा रहे हैं, सीएम सोरेन क्या कर रहे हैं?

हिंदुओं पर 'अत्याचार' के विरुद्ध सख्त कार्रवाई क्यों नहीं?

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Source- TFIPOST.in

शिक्षा में जिस दिन तुष्टिकरण घुस जाए, समझ लीजियेगा उस दिन देश गर्त में धंसता चला जाएगा। अब इसके कुछ अंश देश के उस राज्य में दिखने लगे हैं जो समृद्ध खनिज संसाधन के लिए जाना जाता है। हेमंत सोरेन की सरकार आने के बाद राज्य के कई मुद्दे शिक्षा की ओर परिवर्तित हो गए, लेकिन यह परिवर्तन दुर्भाग्यवश सकारात्मक नहीं नकारात्मक थे। इसी कारणवश अब राज्य में इस्लामिस्टों का हाहाकार चरम पर है और उनकी प्रवृत्ति हिन्दू और देश विरोधी है यह भी साफ़ साफ़ स्पष्ट हो गया है। ताजा मामला झारखंड के जामताड़ा जिले का है जहाँ दो वार्डों में प्राथमिक विद्यालयों के छात्रों को ऐसे स्कूलों में मुस्लिम आबादी का हवाला देते हुए रविवार के बजाय शुक्रवार को अवकाश दिया जा रहा है और यही नहीं सामान्य विद्यालय को उर्दू विद्यालय का नाम दिया जा रहा है।

शुक्रवार को स्कूल बंद रखने का आदेश

दरअसल, जबसे झारखण्ड में झामुमो के नेतृत्व वाली और कांग्रेस साझेदारी की हेमंत सोरेन सरकार आई है उस दिन से राज्य की शिक्षण प्रणाली में कोई न कोई कष्ट बाहर आ ही जाते हैं। हालिया उदाहरण जामताड़ा के उन विद्यालयों का है जहाँ सामान्य रूप से रविवार को दी जाने वाली छुट्टी को शुक्रवार में परिवर्तित कर दिया है। स्थानीय सूत्रों के अनुसार यह बहुसंख्यक मुस्लिम आबादी वाले गांवों करमाटांड और नारायणपुर में संचालित प्राथमिक विद्यालयों में किया जा रहा है। ज्ञात हो कि, इन स्कूलों में अन्य जातियों के छात्र भी पढ़ते हैं। हालांकि, 70 फीसदी छात्र मुस्लिम परिवारों से आते हैं। शुक्रवार को स्कूल बंद करने का एक मुख्य कारण यह है कि मुसलमान शुक्रवार की नमाज अदा करते हैं अर्थात जुम्मे की नमाज़ होती है।

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विद्यालयों को उर्दू विद्यालय में बदलना

यही नहीं अब इन विद्यालयों को उर्दू विद्यालय के नाम से भी संबोधित किया जाने लगा है जो वास्तव में उर्दू विद्यालय हैं ही नहीं। यह सत्य है कि जबसे राज्य में हेमंत सोरेन की सरकार आई है उस दिन से राज्य की शिक्षण प्रणाली गर्त में चली गई है। कभी राज्य की शिक्षण व्यवस्था को बदलने के प्रयास हुए, कभी किताबों में हेमंत सोरेन अपने पिता राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन की जीवनी पढाने के निर्देश दे रहे हैं, कभी स्कूल पोशाक पर विवाद बढ़ा ,यही सब सोरेन सरकार ने अब तक राज्य की शिक्षण व्यवस्था को दिया है।

उर्दू विद्यालयों के नाम से रजिस्टर्ड

शिक्षा विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार जिले में 1,084 प्राथमिक विद्यालय संचालित हैं, जिनमें से केवल 15 विद्यालय उर्दू विद्यालयों के नाम पर पंजीकृत हैं। हालांकि, ग्राम शिक्षा समिति और स्थानीय लोगों के दबाव के कारण दर्जनों अन्य स्कूलों को भी कथित तौर पर उर्दू स्कूलों के रूप में अधिसूचित किया गया था। इस मामले में स्कूल के शिक्षक टिप्पणी करने से कतरा रहे हैं। डिप्टी कमिश्नर फैज़ अहमद ने कहा कि पूरे मामले की जांच के आदेश दिए जाएंगे। उन्होंने कहा कि जांच के बाद ही मामले का पता चलेगा और उसके मुताबिक कार्रवाई की जाएगी। राज्य के शिक्षा सचिव राजेश शर्मा ने भी कहा कि इस मामले की जांच की जाएगी।

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यह तब है राज्य की व्यवस्था की ज़िम्मेदारी और जवाबदेही हेमंत सोरेन की बनती थी पर सोरेन ने ऐसा नहीं किया। सोरेन ने एजेंडा चलाया और राज्य में तुष्टिकरण की राजनीति कर रहे है। यदि इन सभी बातों पर सोरेन सरकार ने कार्रवाई नहीं की उससे यह साफ़ प्रतीत होता है कि इन सभी कर्मकांडों पर हेमंत सोरेन का समर्थन है था और रहेगा।

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