ईडी ने कांग्रेस नीत विपक्ष को दिया रियलिटी चेक

सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा पढ़ाया पाठ कि ईडी की कार्यशैली पर प्रश्न नहीं उठा पाएगा विपक्ष

SC

“गए थे हरि भजन को, ओटन लगे कपास”, आज कांग्रेस की वास्तविक स्थिति यही हो चुकी है। एक तरफ तो वो हाथ-पैर मार रही है तो वहीं दूसरी तरफ उसे लताड़ ही मिल रही है। अब प्रवर्तन निदेशालय शक्तियों को चुनौती देते हुए विपक्षी दलों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली थी पर मिला कुछ नहीं।

सुप्रीम कोर्ट ने दो टूक संदेश दिया

सुप्रीम कोर्ट ने दो टूक संदेश देते हुए पहले तो याचिका ख़ारिज की और फिर स्पष्ट कर दिया कि गिरफ्तारी, रेड, समन, बयान समेत PMLA एक्ट में ED को दिए गए सभी अधिकार एकदम न्यायसंगत हैं। कोर्ट के जवाब के बाद ईडी ने अंततः कांग्रेस नीत विपक्ष को रियलिटी चेक दिया और सामना करा दिया कि बेमतलब विलाप करने से कोई फर्क नहीं पड़ता है।

दरअसल, बुधवार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के कड़े प्रावधानों की संवैधानिक वैधता की पुष्टि की गयी। न्यायमूर्ति एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने कई चुनौतियों और याचिकाओं को खारिज कर दिया। पीएमएलए के तहत सख्त प्रावधानों और कानून के तहत प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को दी गयी व्यापक शक्तियों से संबंधित इन याचिकाओं को राजनीति से प्रेरित होते हुए स्वयं कांग्रेस और उससे जुड़े लोगों ने दायर किया था

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सुनवाई करने वाली बेंच, जिसमें जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और सीटी रवि कुमार भी शामिल थे, उन्होंने माना कि ईडी को गिरफ्तारी, तलाशी और जब्ती करने और अपराध की आय संलग्न करने की शक्ति संवैधानिक रूप से मान्य है और वो मनमानी के दोष से ग्रस्त नहीं है। यह फैसला देते हुए कि कानून के तहत अपराध की आय की परिभाषा को एक विस्तृत दृष्टिकोण दिया जाना चाहिए, अदालत ने रेखांकित किया कि मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल गतिविधि की हर प्रक्रिया, काला धन, कब्जा और छुपाना, पीएमएलए के तहत एक अपराध के रूप में माना जाएगा और यह कि ईडी को अपराध की आय को वैध बनाने के प्रयास को अनिवार्य रूप से प्रदर्शित करने की आवश्यकता नहीं है।

कांग्रेस और विपक्ष के हाथ खाली 

बस अब क्या रहा कांग्रेस और विपक्ष के हाथ में। जैसे-जैसे पहले राहुल गांधी को ईडी ने समन भेजा, फिर उनसे पूछताछ हुई, फिर सोनिया को दो बार समन भेजा और फिर उनसे भी पूछताछ हुई तो इससे स्वाभाविक सी बात है कि कार्रवाई होने का डर तो बना ही हुआ है। ऐसे में कांग्रेस आलाकमान के पिट्ठू बन चुके, कांग्रेस महासचिव और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के ही बयान को देखें तो उससे उनकी कुंठित मानसिकता प्रदर्शित होती है। गहलोत ने ईडी को निशाना बनाते हुए कहा कि, ईडी का जो तमाशा हो रहा है ऐसा कभी नहीं सुना था। उन्होंने कहा कि, “सोनिया गांधी को ईडी ने तीसरी बार बुलाया है और आगे पता नहीं कब तक बुलाते रहेंगे, आज देश में ईडी ने आतंक मचा रखा है।”

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सत्य कहा, आतंक ही तो मचा रखा है, सच को सच कहने पर एक पत्रकार के सवाल पर बिलबिला उठे यह वही गहलोत हैं जिन्होंने अमन चोपड़ा के पीछे राजस्थान पुलिस लगा दी थी वो भी बिना किसी औचित्य के, पर नहीं आतंक तो ईडी ने मचा रखा है भाई, ईडी को हटाओ, ईडी से बचाओ गांधी परिवार को। चूंकि ईडी की ही कार्रवाई ने विपक्ष की टीएमसी जैसी पार्टी की पश्चिम बंगाल की ममता सरकार के मंत्री पार्थ चटर्जी को सबूतों के साथ धरदबोचा, ऐसे में कांग्रेस क्यों न बिलबिलाए जिसके ऊपर से लेकर नीचे तक सभी कहीं न कहीं लिप्त हैं।

अब ईडी के प्रकोप से बचने के लिए याचिकाओं का सैलाब तो ले आए पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने सारे मंसूबों पर पानी फेर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने ईडी से जुडी याचिकाओं पर कांग्रेस नीत विपक्ष को एक तगड़ा रियलिटी चेक दे दिया कि रहने दो, शांति से न्याय के अनुरूप चल लो नहीं तो बात अगर आगे बढ़ गई तो कई नेताओं के राजनीतिक जीवन में पतछड़ का मौसम क्षणभर में आ जाएगा।

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