आखिर क्यों फेसबुक अब टिक टॉक बनता जा रहा है ?

टिक टॉक की बढ़ती लोकप्रियता फेसबुक के सिर का दर्द बनती जा रही है!

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Source- TFIPOST.in

फेसबुक जब शुरू हुआ था तो उस समय वह केवल एक सामाजिक नेटवर्किंग वेबसाइट के रूप में काम करता था जो उपयोगकर्ताओं को नए और पुराने दोस्तों से मिलने और मौजूदा संबंधों को बनाए रखने में मदद करने के लिए डिज़ाइन किया गया था। लेकिन फिर समय बदला और समय के साथ फेसबुक में भी कई बदलाव आये। केवल नए दोस्त बनाने और चैटिंग करने वाली वेबसाइट लोगों के लिखे पोस्ट के लिए भी अपनी वेबसइट पर जगह देने लगी। जिससे कि फेसबुक को भी फायदा हुआ और पोस्ट लिखने वालों को अपने विचार रखने का भी एक जरिया मिला। फिर समय बदला और मार्केट में टिकटॉक आया। इस चीनी एप ने आते ही 60 सेकंड की वीडियो के साथ अपना दबदबा कायम करना शुरू कर दिया। लोग टिक टॉक पर अधिक समय व्यतीत करने लगे।

टिक टॉक जुलाई 2021 तक दुनिया भर में 3 बिलियन डाउनलोड हासिल कर चुका था। जो कि किसी भी सोशल मीडिया प्लेटफार्म के लिए एक बड़ी उपलब्धि थी। इसके अलावा, 2021 के आंकड़ों के अनुसार,  टिक टॉक एंड्रॉयड उपकरणों पर 30 मिलियन मासिक सक्रिय उपयोगकर्ता और iOS पर 120 मिलियन मासिक सक्रिय उपयोगकर्ताओं ने इसे एक नयी उपलब्धि प्राप्त की।  बिजनेस स्टैंडर्ड की एक रिपोर्ट के अनुसार, सोशल नेटवर्क के इतिहास में पहली बार मेटा प्लेटफॉर्म का स्टॉक 25 प्रतिशत तक गिर गया, जिससे कि फेसबुक का $200 बिलियन से अधिक का नुकसान हो चुका है।

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टिक टॉक की बढ़ता वर्चस्व देख जुकरबर्ग हैरान

अब टिक टॉक की बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए फेसबुक दर्शकों को लुभाने के लिए टिक टॉक की नकल करने की कोशिश कर रहा है। हाल ही में इंस्टाग्राम ने एक नई घोषणा की जिसमें उसने दावा किया कि अब से 15 मिनट की समय सीमा के तहत पोस्ट किए गए किसी भी वीडियो को रील में बदल दिया जाएगा। इसके अलावा यदि वह वीडियो किसी सार्वजनिक खाते से पोस्ट किया जाता है तो वह स्वचालित रूप से कंपनी के एल्गोरिदम में फीड हो जाएगा।

दूसरी ओर, फेसबुक की रणनीति में अपने iOS और एंड्रॉयड ऐप पर क्लासिक न्यूज फीड को विभाजित करना शामिल है। उपयोगकर्ताओं को तुरंत ‘होम टैब’ पर ले जाया जाएगा। सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने कहा कि ‘होम पेज’ पर कंपनी का “डिस्कवरी इंजन” उस सामग्री को बढ़ावा देगा जो उसे लगता है कि उपयोगकर्ता की इसमें बेहतर रुचि होगी। फेसबुक के ये संशोधन फेसबुक और इंस्टाग्राम को न केवल टिक टॉक की एक नक़ल में तब्दील कर रहे हैं बल्कि ये मानो एक तरह से सबूत है कि फेसबुक उद्योग अस्तित्व के संकट का सामना कर रहा है। इस नए बदलाव पर फेसबुक के संस्थापक, मार्क जुकरबर्ग, का कहना है की, “लोगों के पास बहुत सारे विकल्प हैं कि वे अपना समय कैसे व्यतीत करना चाहते हैं, और टिकटॉक जैसे ऐप की लोकप्रियता बहुत तेज़ी से बढ़ रही है।”

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खुद को बचाने के लिए फेसबुक की रणनीति

पिछले कुछ वर्षों से फेसबुक के अस्तित्व पर कई बार संकट के बादल मंडराए हैं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर हज़ारों एप लांच होते हैं और फिर कुछ समय बाद लोगों में सफल न हो पाने के कारण गायब भी हो जाते है। लेकिन फेसबुक ऐसी कोई भी स्थिति नहीं चाहता जो उसके अस्तित्व पर हमला करे। इस वजह से मार्क जुकरबर्ग अपनी कंपनी को बचाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे है।

इसी प्रयास के चलते 2012 में, फेसबुक ने $1 बिलियन के लिए इंस्टाग्राम‘ का अधिग्रहण किया। जुकरबर्ग इंस्टाग्राम का अधिग्रहण करना चाहते थे क्योंकि वे जानते थे कि इंस्टाग्राम जिस तरह से लोकप्रिय होता जा रहा है यह फेसबुक के लिए खतरा साबित हो सकता है। इसलिए उन्होंने इंस्टाग्राम का अधिग्रहण कर लिया जिससे कि उनका प्रतिस्पर्धी भी खत्म हो गया और इंस्टाग्राम को फेसबुक से जोड़ कर उनसे मुनाफा भी प्राप्त हुआ।

2014 में, जुकरबर्ग के फेसबुक ने 19 बिलियन डॉलर में मैसेजिंग ऐप व्हाट्सएप‘ का अधिग्रहण किया। व्हाट्सएप लोगों के बीच एक लोकप्रिय होता चैटिंग प्लेटफार्म बनता जा रहा था जो एक बार फिर फेसबुक के लिए बड़ा खतरा साबित हो सकता था। इसलिए इसे खरीदकर भी जुकरबर्ग ने एक और प्रतिस्पर्धी को रेस से हटाया। फिर कंपनी ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की धारणा पर काम करते हुए फेसबुक का नाम बदलकर ‘मेटा‘ कर दिया। यह कदम था उन युवाओ को आकर्षित करने के लिए जिनका झुकाव एआई तकनीक की ओर बढ़ रहा है।

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लेकिन अब टिक टॉक इसका नया प्रतिस्पर्धी बनकर उभरा है। इसमें कोई हैरानी वाली बात नहीं है कि चीनी सोशल मीडिया एप ने बड़ी संख्या में लोगों को आकर्षित किया है। टिक टॉक की बढ़ती लोकप्रियता फेसबुक के सर का दर्द बनती जा रही है क्योंकि यह फेसबुक के उपयोगकर्ताओं को अपनी ओर खींच रहा है। ऐसे में फेसबुक को अपना भविष्य खतरे में लगना हैरानी वाली बात नहीं और मार्क ज़ुकरबर्ग इसे बचाने के हर संभव प्रयास कर रहे हैं। भले ही इसे बचाने के लिए उन्हें फेसबुक को दूसरा टिकटॉक ही क्यों न बनाना पड़ जाये।

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