‘द कश्मीर फाइल्स’ को नहीं मिला राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार, फूल के कुप्पा हो गए वामपंथी

तथाकथित मेनस्ट्रीम मीडिया और वामपंथी विवेक अग्निहोत्री का मजाक बना रहे हैं। सच जान लीजिए।

द कश्मीर फाइल्स

Source- TFI

द कश्मीर फाइल्स को मोदी सरकार ने दुत्कारा! द कश्मीर फाइल्स को मिला ठेंगा! द कश्मीर फाइल्स के हाथ कुछ नहीं लगा! चौंक गए क्या? पिछले कुछ दिनों से कुछ ऐसी ही हेडलाइंस खबरों में बनी हुई हैं क्योंकि हाल ही में घोषित राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में द कश्मीर फाइल्स (The Kashmir Files) को एक भी पुरस्कार प्राप्त नहीं हुआ है। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि कैसे द कश्मीर फाइल्स को लेकर मीडिया ने राई का पहाड़ खड़ा कर दिया जो बुरी तरह से भरभरा कर गिर गया है।

दरअसल, हाल ही में 68वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों की घोषणा हुई जिसमें ‘सूराराई पोटरू’ (Soorarai Pottru) ने सभी को पछाड़ते हुए 5 पुरस्कार प्राप्त किए और ओम राउत की बहुचर्चित फिल्म ‘तान्हाजी – द अनसंग वॉरियर’ ने भी 3 पुरस्कार प्राप्त किए। परंतु इस बात के लिए यह समारोह जितना चर्चा में नहीं रहा उससे अधिक इस बात की चर्चा हो रही है कि द कश्मीर फाइल्स को नेशनल अवार्ड क्यों नहीं मिला?

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जी हाँ, आपने बिल्कुल ठीक सुना। विभिन्न मीडिया संगठनों ने यह अफवाह फैलाना प्रारंभ कर दिया कि द कश्मीर फाइल्स को एक भी राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार नहीं मिला। वहीं, कुछ मीडिया संस्थानों ने दावा कर दिया कि 68वें नेशनल फिल्म अवॉर्ड्स में ‘द कश्मीर फाइल्स’ को पूरी तरह नज़रअंदाज़ कर दिया गया। ‘ABP News’ ने लिखा कि इस फिल्म को कोई भी अवॉर्ड नहीं मिला। वहीं, ‘आज तक’ ने लिखा, “नहीं मिला अवॉर्ड तो भड़के विवेक अग्निहोत्री ने ये क्या कह दिया?” इस सनसनीखेज हेडिंग के साथ ‘आज तक’ ने एक वीडियो चलाया। असल में विवेक अग्निहोत्री ने इन अवॉर्ड्स पर प्रतिक्रिया दी थी जिसे दूसरी तरह से पेश किया गया।

‘आज तक’ ने तो इसे ‘नेशनल फिल्म अवॉर्ड्स 2022′ भी बता दिया। असल में विवेक अग्निहोत्री ने लिखा था कि “फिल्म “सूराराई पोटरु” की टीम, अभिनेता सूर्या, अभिनेत्री अपर्णा बालमुरली और ‘तान्हाजी’ की टीम के साथ-साथ अजय देवगन और 2020 नेशनल अवॉर्ड्स के सभी विजेताओं को बहुत-बहुत बधाई! दक्षिण भारतीय सिनेमा और क्षेत्रीय सिनेमा के लिए ये एक बड़ा दिन है। हिंदी सिनेमा को अभी और मेहनत करने की ज़रूरत है।”

इन मीडिया संगठनों को ऐसे ही हास्य का विषय नहीं बनाया जाता। क्या उन्होंने ये जानने का प्रयास किया है कि ये राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार 2020-21 के सत्र के लिए दिए गए हैं, जिसके लिए ‘द कश्मीर फाइल्स’ दावेदार थी ही नहीं, ठीक वैसे ही जैसे ‘शेरशाह’, जिसके राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीतने के दावे किए जा रहे थे, वह भी नहीं जीत पाई? ये तो वही बात हो गई कि जिसे 2023 का विश्व कप खेलना हो और उसे 2019 का विश्व कप न जीतने के लिए ताने दिए जा रहे हैं!

इसी बात पर स्वयं निर्देशक विवेक अग्निहोत्री ने आक्रामक रुख अपनाते हुए ट्वीट किया, “कई सारे चर्चित मीडिया संगठन द कश्मीर फाइल्स के विरुद्ध अंट संट बक रहे हैं और कोई भी इसे फ़ैक्ट चेक नहीं कर रहा है। अगर वे आतंक प्रेमी बॉलीवुड फिल्मों के साथ ऐसा करें तो इकोसिस्टम तुरंत इसे Islamophobia घोषित कर देगा। बाकी आपकी अंतरात्मा के निर्णय के लिए छोड़ देता हूं।”

 

सच कहें तो वास्तव में द कश्मीर फाइल्स को पुरस्कार न मिलने का भ्रम फैलाने के पीछे की मंशा स्पष्ट थी कि कैसे भी करके विवाद खड़ा हो जाए परंतु धूर्त वामपंथियों की फौज न घर की रही न घाट की!

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