सोनिया गांधी ‘कांग्रेसियों की माता’ होंगी, कानून से ऊपर नहीं हैं

सोनिया गांधी से ED की पूछताछ पर इतना हंगामा क्यों मचा है?

soniya gandhi

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 कांग्रेस कल भी असल अंध भक्त थी, आज भी है और आगे भी रहेगी। अंधभक्ति भी उनकी करने में मशरूफ जो वास्तव में उस अंध भक्ति के लायक नहीं हैं। लेकिन नहीं, करनी है और करते रहेंगे के सिद्धांत पर चलने वाले कांग्रेसी नेता आजीवन यही करते रहेंगे गुरुवार को कांग्रेस ने यह दर्शा भी दिया। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि जबसे प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूरे गांधी परिवार पर नकेल कसनी शुरू की है उससे कांग्रेस के समर्थक तो बौखलाए ही पर उसके शीर्षस्थ नेता भी अपना आपा खो बैठे और शायद यह भी भूल गए कि मैडम सोनिया गांधी के बाहर भी एक दुनिया है जहाँ संविधान के अनुरूप काम होता है पर शायद से मालिकाना हक की अनुभूति में कांग्रेसी अपना असल आधार ही भूल गए।

दरअसल, गुरुवार 21 जुलाई की सुबह कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के सामने पेश हुईं। वित्तीय जांच एजेंसी, ईडी ने उन्हें नेशनल हेराल्ड मामले में भ्रष्टाचार के आरोपों के संबंध में पूछताछ के लिए बुलाया था। ईडी के सामने पेश होने के दौरान, सोनिया की बेटी प्रियंका गांधी वाडरा  अपनी मां का समर्थन करने के लिए गईं।

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इधर सोनिया गांधी ईडी के सामने पहुंची तो दूसरी ओर नेशनल हेराल्ड मामले में ईडी द्वारा पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से पूछताछ के विरोध में कांग्रेस ने देशव्यापीसत्याग्रहशुरू किया। पार्टी नेताओं ने मोदी सरकार पर विपक्ष की मजबूत आवाज को कुचलने के लिए केंद्रीय एजेंसियों कादुरुपयोगकरने का आरोप लगाया। ईडी की पूछताछ का कांग्रेस सांसदों ने संसद परिसर में विरोध किया।

अब यहाँ तक तो ठीक था, पर जैसे ही सोनिया गांधी को मैडम सोनिया गांधी के रूप में पूजने वाले पुराने कांग्रेसी नेता बोलना शुरू करे उससे यह प्रतीत हुआ कि आज भी महारानी मान स्वयं दरबारी बन वरिष्ठ कांग्रेसी नेता उन्हें कानून से भी बड़ा बनाने में जुट गए।  कांग्रेस नेता और राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने मैडम सोनिया गांधी को पूछताछ के लिए बुलाने की ईडी की कार्रवाई की निंदा की। उन्होंने यह भी कहने में संकोच नहीं किया कि ईडी को मैडम सोनिया जी को विशेष विशेषाधिकार देना चाहिए था। उन्होंने जोर देकर कहा कि अगर वे अपने सवालों के जवाब लेना चाहते हैं तो ईडी को उनके आवास पर जाना चाहिए था। उन्होंने आरोप लगाया कि मैडम सोनिया जी को परेशान करने के लिए ऐसा किया जा रहा है। 

जाने कैसे कोई गलत होने के बाद भी ऐसे व्यवहार करता है जैसे उससे बड़ा सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र कोई है ही नहीं। कांग्रेस के कार्यकाल में असंख्य घोटाले हुए उन्हीं में से एक यह घोटाला भी था जिसके लिए पहले राहुल गांधी को पूछ्ताछ के लिए बुलाया गया और अब सोनिया गांधी को बुलाया गया। कई वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं के मनोमिस्तष्क के अनुसार न्याय व्यवस्था में लगे निकायों और शक्तियों को कांग्रेस की इच्छा के अनुसार झुकना चाहिए और गांधी परिवार को नेशनल हेराल्ड मामले की तरहझूठे सौदेकरने के लिए कानूनों को दरकिनार कर अपनी पसंद की चीजें करने की अनुमति दी जानी चाहिए।

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कांग्रेस राजनेताओं का विवादों से रहा पुराना नाता 


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एक सर्वविदित तथ्य है कि राजनेता विवादों, आरोपों और राजनीतिक कीचड़ उछालने से अछूते नहीं हैं। अक्सर विपक्ष के दावे सामने आते हैं, जिसमें सत्ताधारी सरकार को दोषी ठहराया जाता है, झूठे आरोपों के तहत विपक्ष की आवाज को दबा दिया जाता है। ये वही तर्क हैं जो विपक्षी दल मोदी सरकार के खिलाफ बारबार इस्तेमाल कर रहे हैं। कांग्रेस द्वारा मैडम सोनिया जी के समर्थन में किए गए सत्याग्रह सत्ता और केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग के एक ही बहाने हैं, कांग्रेसी नेता तो इस मामले को राजनीतिक प्रतिशोध बता रहे हैं।

राम जाने, कांग्रेस के गहलोत जैसे नेता कांग्रेस के दिनों को कैसे भूल जाते हैं। सोनिया गांधी तो किसी संवैधानिक पद पर नहीं बैठी हैं फिर भी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को मैडम सोनिया गांधी से पूछ्ताछ करने के लिए उनके घर जाना चाहिए था ऐसे बयान आए। इसके अतिरिक्त, क्या कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा गांधी परिवार के पहले और एकमात्र नेताओं से पूछताछ की जाएगी? नहीं, राजनीतिक प्रतिशोध का प्रमुख उदाहरण तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ गुजरात 2002 का झूठा मामला है। वह बिना चिल्लाए एजेंसियों के सामने पेश हुए और देश के कानूनों और संस्थानों को अपना सहयोग प्रदान किया। उन्हें हाल ही में देश के सर्वोच्च न्यायालय से न्याय मिला है। इतना ही नहीं आंध्र प्रदेश के सीएम जगन मोहन रेड्डी आय से अधिक संपत्ति मामले में सीबीआई कोर्ट में पेश हुए।

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अब जब मुख्यमंत्री और मंत्री जैसे पद पर बैठे नेता अपनी ओर से पूर्ण सहयोग देने में नहीं झिझके, कभी यह नहीं कहा कि मैं मुख्यमंत्री या मंत्री हूँ तो मेरे घर आओ मुझसे पूछ्ताछ करने तो सोनिया गांधी ऐसी भी कौनसे संवैधानिक पद पर बैठी हैं जो उनको राजशाही माहौल मिले। यह कांग्रेसियों के लिए विचारणीय विषय है कि उनके लिए सोनिया गांधी मैडम सोनिया गांधी होंगी पर देश और कानून के अनुसार वो भी एक सामान्य नागरिक हैं जिसे सभी कानूनी कार्रवाई को एक वैधानिक रूप में पार करना चाहिए ताकि राजनीतिक सुचिता भी बनी रहे।

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