ऑटो ड्राइवर से मुख्यमंत्री के पद तक – एकनाथ शिंदे की ऐसी है कथा

एकनाथ शिंदे ऐसे ही नहीं बन गये मुख्यमंत्री

Eknath Shinde

SOURCE GOOGLE

किसी समय सत्ता के नशे में चूर होकर उद्धव ठाकरे और शरद पवार जैसे नेता बोलते थे कि यदि सामर्थ्य है किसी में, तो उनके गठबंधन को तोड़कर दिखाए। अब घमंड भी टूटा और गठबंधन भी, एक ऐसे व्यक्ति ने ये घमंड तोड़ा जिसके बारे में स्वप्न में भी नहीं सोचा जा सकता था। ये बात स्वयं उद्धव के त्यागपत्र संबोधन में व्यक्त हुई, जहां वे अपनी कुंठा व्यक्त करते हुए कह रहे थे कि उन्होंने ‘रिक्शा वालों और पनवाड़ियों’ को मंत्री पद दिया और उन्होंने उपहार में क्या दिया?

वो और कोई नहीं एकनाथ संभाजी शिंदे ही हैं

वास्तव में उनका इशारा सतारा से आए उस व्यक्ति की ओर था, जिसने एक ही झटके में उनके वर्चस्व को शिवसेना पर से सदैव के लिए समाप्त कर दिया। ये व्यक्ति हैं एकनाथ संभाजी शिंदे जो आज महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री हैं जिन्होंने एक ही झटके में महाराष्ट्र के समस्त समीकरणों का कायाकल्प कर दिया है।

कल ही देवेंद्र फडणवीस और एकनाथ शिंदे ने एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस की। फडणवीस के अनुसार, “शिवसेना ने दाऊद इब्राहिम का विरोध किया और दूसरी तरफ उन्होंने एक ऐसे शख्स को कैबिनेट में रखा जो दाऊद की मदद करने के आरोप में जेल गया था। वे सावरकर का अपमान करने वाले के साथ गठबंधन में थे। 2019 में बीजेपी और शिवसेना का गठबंधन हुआ था और हमें विधानसभा चुनावों में आवश्यक संख्या मिली थी। हमें सरकार बनाने की उम्मीद थी, लेकिन शिवसेना ने उन लोगों के साथ गठबंधन करना चुना जिनके खिलाफ बालासाहेब ने जीवन भर विरोध किया। परंतु अब आशा करते हैं कि नए शासन में ऐसा कुछ नहीं होगा। इसके बाद मंत्रिमंडल का विस्तार होगा और शिवसेना और भाजपा के नेता शपथ लेंगे। मैं सरकार से बाहर रहूंगा।”

और पढ़ें- शिंदे के एक कदम से, ठाकरे परिवार का महाराष्ट्र की राजनीति में सूर्य हमेशा के लिए अस्त हो चुका है

परंतु कुछ ही समय बाद भाजपा के अनुरोध पर फडणवीस सरकार में उपमुख्यमंत्री के रूप में शामिल हुए। अब ये क्यों और कैसे हुआ, इस पर लंबा वाद विवाद हो सकता है, परंतु एक बात तो स्पष्ट है कि एकनाथ शिंदे ने महाराष्ट्र के राजनीति में अपना एक विशिष्ट स्थान स्थापित कर लिया है।

परंतु कभी ठाणे में ऑटो चलाने वाला महाराष्ट्र की सत्ता का सर्वेसर्वा कैसे बना? इसके लिए हमें प्रारंभ से ध्यान देना होगा। मूलत: मराठी परिवार से ताल्लुक रखने वाले एकनाथ शिंदे सातारा जिले के जवाली तालुका के रहने वाले हैं। उनका जन्म 9 फरवरी 1964 को हुआ था। सातारा के होने के बावजूद उनका गहरा लगाव ठाणे से रहा। 11वीं तक पढ़ाई करने के बाद उन्होंने ऑटो रिक्शा चलाना शुरू कर दिया था। इसी समय वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़ गए और शीघ्र ही वे शाखा प्रमुख भी बने। यहीं से उनका हिन्दुत्व से गहरा लगाव शुरू हुआ।

परंतु शिवसेना के कद्दावर नेता आनंद दिघे के संपर्क में आने के बाद शिंदे 80 के दशक में शिवसेना में शामिल हो गए। उन्होंने 18 साल की उम्र में राजनीति की शुरुआत की। आगे चलकर वह ठाणे महानगरपालिका से पहली बार 1997 में पार्षद चुने गए। इसके बाद 2001 में निगम में विपक्ष के नेता भी बने।

राजनीति में कदम दर कदम सफलता मिली

राजनीति में कदम दर कदम सफलता पाते हुए उन्होंने साल 2004 में पहली बार विधायक का चुनाव लड़ा और जीत गए। वो ठाणे के कोपरी-पाचपाखाडी विधानसभा से पिछले 18 वर्षों से लगातार विधायक हैं और उन्होंने लगातार चौथी बार यहां से जीत दर्ज की है। उनके बेटे श्रीकांत शिंदे कल्याण से शिवसेना सांसद हैं।

पहले अपने बच्चों की असामयिक मृत्यु से एकनाथ शिंदे का जीवन से मोहभंग होने लगा, और एक समय उन्होंने राजनीति को त्यागने का निर्णय किया, परंतु अपने गुरु के कहने पर उन्होंने राजनीति में पुनः सक्रिय होने का निर्णय किया। एकनाथ ने एक इंटरव्यू में कहा था, “ये मेरी जिंदगी का सबसे काला दिन था। मैं पूरी तरह टूट चुका था। मैंने सब कुछ छोड़ने का फैसला कर लिया। यहाँ तक कि राजनीति भी।”

हालांकि, बाद में अपने राजनीतिक गुरु आनंद दिघे के कहने पर वो वापस राजनीति में लौट आए। परंतु 26 अगस्त 2001 को एक हादसे में दिघे की मौत हो गई। हालांकि, इस हादसे को कई लोग आज भी हत्या मानते हैं। ऐसे में ठाणे से एक प्रमुख चेहरा के रूप में उनका नाम आगे किया गया।

और पढ़ें- एकनाथ शिंदे हैं महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री, फडणवीस ने किया भाजपा के समर्थन का ऐलान

आनंद दिघे के निधन के बाद 2001 में एकनाथ शिंदे को ठाणे म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन में सदन का नेता चुना गया। शिवसेना के कई कार्यक्रमों का आयोजन उनके ही जिम्मे होता था। राज ठाकरे और नारायण राणे के बगावत के बाद एकनाथ शिंदे ने ही शिवसेना से जनता को फिर से जोड़ा। साल 2019 में एकनाथ शिंदे कई विधायकों को पार्टी में वापस लेकर आए। कोई कुछ भी कहे, परंतु एकनाथ शिंदे की कथा भी अपने आप में काफी रोचक है, जिसे आप अनदेखा तो नहीं कर सकते।

TFI का समर्थन करें:

सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की ‘राइट’ विचारधारा को मजबूती देने के लिए TFI-STORE.COM से बेहतरीन गुणवत्ता के वस्त्र क्रय कर हमारा समर्थन करें।

Exit mobile version