पीएम मोदी ने भारत को अंतरराष्ट्रीय विनिर्माण पॉवर हाऊस में बदलने के लिए ‘मेक इन इंडिया’ पहल शुरू की। इस प्रयास से परिवर्तनकारी परिणाम सामने आए हैं। ‘मेक इन इंडिया’ अब आखिरकार बड़े पैमाने पर अपना रंग दिखाने लगी है। रक्षा मंत्रालय की ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, भारत का रक्षा निर्यात 2021-22 में 13,000 करोड़ रुपये के साथ अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है।
रक्षा उत्पादन के अतिरिक्त सचिव संजय जाजू ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2021-22 के दौरान भारत के रक्षा क्षेत्र में निर्यात में 70% योगदान निजी क्षेत्र से आया, जबकि सार्वजनिक क्षेत्र ने शेष 30% का योगदान दिया। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह जल्द ही उस सेमीनार का उद्घाटन करेंगे, जिसमें भारत की आजादी के 75 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में और ‘आत्मनिर्भर भारत’ को बढ़ावा देने के लिए समारोह में 75 नव विकसित एआई उत्पादों (AI products) और प्रौद्योगिकियों को लॉन्च किया जाएगा।
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कितना बढ़ा है भारत के रक्षा क्षेत्र का निर्यात?
रक्षा मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 2014-15 में भारत का रक्षा निर्यात 1,940.64 करोड़ रुपये था।
2015-16 में यह बढ़कर 2,059.18 करोड़ रुपये हो गया।
2016-17 में निर्यात का मूल्य 1,521.91 करोड़ रुपये दर्ज किया गया.
2017-18 में 4,682.36 करोड़ रुपये।
2018-19 में 10,7465.77 करोड़ रुपये।
2019-20 में 9,115 करोड़ रुपये।
2020-21 में 8,434 करोड़ रुपये।
2021-22 में रिकॉर्ड 13,000 करोड़ रुपये की रक्षा वस्तुओं और प्रौद्योगिकी का निर्यात किया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 54.1 प्रतिशत अधिक है।
भारत ने रक्षा क्षेत्र में निर्यात में अच्छी प्रगति की है। हालाँकि दो साल COVID-19 ने रक्षा क्षेत्र के निर्यात को भी थोड़ा कम कर दिया लेकिन भारत ने फिर भी इस क्षेत्र में 2021-22 में आठ गुना की वृद्धि (13,000 करोड़ रुपये निर्यात) कर अपने सभी रिकॉर्ड तोड़ दिया हैं।
क्या निर्यात किया भारत ने?
वर्तमान में, भारत लगभग 75 देशों को सुरक्षा निर्यात कर रहा है। भारत द्वारा निर्यात किए जा रहे सैन्य हार्डवेयर में मिसाइल, उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर (advanced light helicopter), अपतटीय गश्ती जहाज (offshore patrol vessels), व्यक्तिगत सुरक्षा गियर, निगरानी प्रणाली और कई तरह के रडार शामिल हैं।
निर्यात क्षमता रखने वाले सैन्य हार्डवेयर में हल्के लड़ाकू विमान (light combat aircraft), एस्ट्रा परे-दृश्य-सीमा हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल (Astra beyond-visual-range air-to-air missile), आकाश सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली (Akash surface-to-air missile system), टैंक, सोनार और रडार शामिल हैं।
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किन्हें निर्यात किया गया?
वैसे तो भारत अमेरिका जैसे देशों को निर्यात करता है लेकिन जनवरी में, भारत के ब्रह्मोस एयरोस्पेस और फिलीपींस देश ने $375 मिलियन के सौदे पर हस्ताक्षर किए. इस सौदे के अनुसार फिलीपींस को भारत के ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल की तीन बैटरी चाहिए थी. अरबों डॉलर के इस सौदे ने भारत को प्रमुख रक्षा हार्डवेयर के निर्यातक के रूप में और उभार दिया।
सरकार की नीतियां
- भारत विदेशी बाजारों में पैर जमा सके इसके लिए सरकार ने पिछले साल करीब एक हजार निर्यात प्राधिकरण दिए, जो उससे पांच साल पहले स्वीकृत संख्या का लगभग चार गुना था।
- दिसंबर 2020 में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मित्र देशों को आकाश मिसाइल सिस्टम की बिक्री को मंजूरी दे दी।
- एक ऐसे पैनल का भी गठन किया गया जो सैन्य हार्डवेयर के निर्यात के लिए तेजी से मंजूरी दे।
- भारत को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से सरकार ने पिछले दो वर्षों के दौरान 310 विभिन्न हथियारों और प्रणालियों के आयात पर प्रतिबंध लगाया ताकि इन हथियारों और प्लेटफार्मों का अगले पांच से छह वर्षों में स्वदेशीकरण किया जा सके।
- आज तक किसी भी सरकार ने निजी क्षेत्रों को रक्षा क्षेत्र में काम नहीं करने दिया लेकिन मोदी सरकार ने इसे भी बदला और यह उसी बदलाव का परिणाम है कि भारत के रक्षा निर्यात में इतना बड़ा उछाल देखने में मिला है।
भारत जो कभी केवल एक आयातक के रूप में देखा जाता था आज उसका लक्ष्य 2024 तक 5 अरब डॉलर का रक्षा निर्यात करना है। इसका श्रेय देश के इन वैज्ञानिकों के साथ-साथ सरकार को भी जाता है जिन्होंने ऐसी नीतियां बनाई जो आने वाले वर्षों में भारत को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर और हथियारों के शुद्ध निर्यातक के रूप में भारत की पहचान बनाएंगी।
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