सत्ता आती-जाती रहती है पर सबसे बड़ा खेल तब होता है जब डायनेस्टी पॉलिटिक्स में खून के रिश्ते को पीछे छोड़कर किसी और को ही अपना उत्तराधिकारी बना दिया जाता है। लेकिन चाहे जो हो जाए कांग्रेस राजनीति में खून के रिश्ते को छोड़े नहीं छोड़ पा रही। जी हां, अब कल को प्रियंका गांधी वाड्रा और रॉबर्ट वाड्रा के सुपुत्र रेहान वाड्रा कांग्रेस के अध्यक्ष बन जाए तो आश्चर्य की बात नहीं होगी। दरअसल, सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा ने जरूरत पड़ने पर राजनीति में प्रवेश करने के संकेत दिए हैं ऐसे में कौन जाने कि कांग्रेस के अगले राजकुमार उनके सुपुत्र रेहान वाड्रा ही न साबित हो जाएं।
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अब कांग्रेस की राजनीति वाड्रा परिवार के इर्द-गिर्द घूमेगी!
जहां अब तक कांग्रेस में नेहरू से गांधी परिवार की चौहद्दी में सत्ता का खेल चलता रहा है, वहीं अब गांधी-नेहरू परिवार के बाद कुर्सी वाड्रा परिवार को मिलने जा रही है।
बरसों से अध्यक्ष बदलो, नेता बदलो, परिवार से बाहर आओ का मतलब कांग्रेस यह निकालेगी ये तो किसी ने सोचा न था। जिस प्रकार आज तक परिवारपोषित पार्टी का टैग लिए कांग्रेस चल रही थी अब उसने उस टैग को हटाने का अर्थ अगर कुछ ऐसा निकलेगा तो एक ही कथन उचित रहेगा, “बुद्धिहीन विनाशाय।” दरअसल, रॉबर्ट वाड्रा ने कहा, ‘इस देश में बदलाव की जरूरत है। अगर लोगों को लगता है कि मैं देश में जरूरी बदलाव ला सकता हूं, तो मैं राजनीति में आ जाऊंगा।’ देश में तो क्या ही बदलाव लाएंगे, असल खेल तो पार्टी में होने वाला है। जिस पार्टी को विपक्ष तक का तमगा मिलने से देश की जनता ने वंचित कर दिया उसकी शह पर रॉबर्ट वाड्रा जैसे “कथित समाजसेवी” देश में बदलाव लाने की बात कर रहे हैं। इस पर तो एक ही बात कही जा सकती है, “पूछा मैंने, पुछा?”
जो रॉबर्ट वाड्रा यूपीए सरकार के दौरान अपनी संपत्ति बनाने के लिए जाने जाते हैं जब वो देश में ज़रूरी बदलाव के बारे में ज्ञान बिखेरते हैं तो हंसी तो आती ही है पर दुःख भी होता है कि कैसी राजनीतिक व्यवस्था दे गए परिवारवादी कि ऐसे लोगों के बोझ को भारतीयों को ढोना पड़ रहा है। यह वही रॉबर्ट वाड्रा हैं जो डीएलएफ जमीन हड़पने का मामला हो या बीकानेर जमीन विवाद, ऐसे कई विवाद हैं जिनका सरोकार सीधा रॉबर्ट वाड्रा से है। अब वो कांग्रेस जो नेहरू परिवार से गांधी परिवार तक एक ही परिवार की कॉपीराइट फर्म बनकर रह गयी है अब उसका एकाधिकार रॉबर्ट वाड्रा को दिया जाने वाला है ऐसा अनुमान उनके इस बयान से लगने लगा है जो वाड्रा ने सोनिया गांधी से ईडी की पूछताछ के दौरान दिया।
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क्या अब रॉबर्ट वाड्रा होंगे कांग्रेस के सर्वेसर्वा?
अब यह क्रम शुरू होता है तो रॉबर्ट वाड्रा के कांग्रेस के सर्वेसर्वा बनते ही कांग्रेस का “नेहरू-गांधी” परिवार वाला प्रयोग खत्म हो जाएगा और एक नयी रीत “वाड्रा परिवार” के साथ शुरू होगी। ऐसे में रॉबर्ट वाड्रा के कांग्रेस अध्यक्ष बनते ही, रॉबर्ट और प्रियंका गांधी वाड्रा के बेटे रेहान वाड्रा के रास्ते भी खुल जाएंगे। इसी क्रम में यह सिलसिला तब सिरे चढ़ेगा जब रॉबर्ट वाड्रा के बाद रेहान वाड्रा के हाथों में कांग्रेस की कमान होगी।
देखने वाली बात है कि जिस समय कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी से ED की पूछताछ चल रही है, कांग्रेस कार्यकर्ता सड़कों पर तमाशा कर रहे हैं, जांच एजेंसियों पर हमलावर हो रहे हैं ऐसे में यदि रॉबर्ट वाड्रा का बयान आता है कि “अगर लोगों को लगता है कि मैं देश में जरूरी बदलाव ला सकता हूं तो मैं राजनीति में आ जाऊंगा” यह बड़े राजनीतिक घटनाक्रम की ओर सबका ध्यान आकर्षित करता है। प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा ने आरोप लगाया कि बीजेपी जांच एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है, उन्होंने कहा, “मुझे एक बीजेपी नेता का नाम बताएं जिसे इन एजेंसियों ने पूछताछ के लिए बुलाया है। हर बार बीजेपी को लगता है कि देश उनकी नीतियों से नाखुश है, वे शुरू करते हैं गांधी परिवार को परेशान करना।”
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अब यदि रॉबर्ट वाड्रा की एंट्री मेनस्ट्रीम पॉलिटिक्स में होती है तो निश्चित रूप से वो कांग्रेस आलाकमान की जगह पलभर में पा लेंगे और इसके बाद शुरू होगा “गांधी-नेहरू परिवार राजनीति का पतन और वाड्रा परिवार का आगमन।
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