गुरुत्वाकर्षण बल और पाइथागोरस प्रमेय को विदेशियों से पहले भारतीय वैज्ञानिकों ने खोजा था

ये रहा सुबूत.

Pythagoras Theorem

Source- TFI

हमारी संस्कृति और सभ्यता से जुड़ी ऐसी कई बातें हैं जिनसे हम अनभिज्ञ हैं। बचपन से ही हम स्कूलों में गुरुत्वार्कषण बल और पाइथागोरस प्रमेय जैसी चीजों को पढ़ते आए हैं, जिसका पूरा श्रेय विदेशी वैज्ञानिकों को दिया जाता रहा है। लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा कि गुरुत्वाकर्षण बल और पाइथागोरस प्रमेय को लेकर जो बातें हमें बताई गई हैं या जो कहानियां हमें सुनाई गई हैं वो सरासर गलत है। हमें बचपन से ही यह एहसास दिलाया गया है कि जो भी चीजें हमें पढ़ाई जा रही है उसका हमारा और हमारी संस्कृति से कोई लेना-देना नहीं है, सभी की खोज विदेशी वैज्ञानिकों ने की, विदेशी हर मामले में अव्वल थे लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है।

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वैदिक गणित से जुड़ी है इनकी जड़ें

दरअसल, गुरुत्वार्कषण बल और पाइथागोरस प्रमेय की जड़ें वैदिक गणित से जुड़ी होने की पुष्टि कर्नाटक की एक रिपोर्ट के माध्यम से हुई है। हम सभी यह पढ़ते और सुनते आ रहे है कि गुरुत्वाकर्षण की खोज न्यूटन ने वर्ष 1666 में की थी जब न्यूटन के सिर पर एक सेब पेड़ से नीचे गिरा था। परंतु अब राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) लागू करने के लिए कर्नाटक में करिकुलम फ्रेमवर्क के लिए बनाई गई टास्क फोर्स ने इस थ्योरी को फर्जी बताया है। टास्क फोर्स के अध्यक्ष मदन गोपाल का कहना है कि न्यूटन द्वारा ग्रैविटी की खोज और पाइथागोरस प्रमेय के बारे में गलत पढ़ाया और बताया जा रहा है।

टास्क फोर्स पैनल के अध्यक्ष मदन गोपाल ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के स्कूली सिलेबस के लिए कई प्रस्ताव रखे। जिनमें एक यह भी शामिल रहा कि छात्रों को यह प्रश्न पूछने के लिए प्रेरित करना चाहिए कि पाइथागोरस प्रमेय और न्यूटन के सिर पर सेब गिरने आदि जैसी फर्जी खबरें कैसे बनाई और प्रचारित की जा रही हैं।मदन गोपाल के अनुसार पाइथागोरस और गुरुत्वाकर्षण की जड़ें वैदिक गणित से जुड़ी हैं। यह एक भारतीय केंद्रित दृष्टिकोण है। उदाहरण के तौर पर यह माना जाता है कि भारत के प्राचीन गणितज्ञ ऋषि बौधायन ने बौद्ध ग्रंथों में पाइथागोरस प्रमेय लिखी है। यह एक दृष्टिकोण है जिससे आप सहमत हो भी सकते है या नहीं भी।

भले ही हमें यह पढ़ाया जाता रहा है कि पाइथागोरस प्रमेय की रचना पाइथागोरस के द्वारा की गई हो परंतु इस हकीकत से कम ही लोग वाकिफ होंगे कि असल में पाइथागोरस ऋषि बौधायन की देन है। पाइथागोरस की रचना से 250 वर्ष पूर्व ऋषि बौधायन को इस प्रमेय की जानकारी थी। उन्होंने अपनी पुस्तक शुल्ब सूत्र में यज्ञ की वेदियों के सही तरीके से बनाने के लिए कई फॉर्मूले और माप दिए थे। शुल्ब सूत्र में अध्याय 1 में श्लोक नंबर 12 है जिसका अर्थ वही है जो पाइथागोरस प्रमेय का मतलब होता है। जनवरी 2015 में मोदी सरकार के तत्कालीन केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने मुंबई यूनिवर्सिटी में इस बात का जिक्र भी किया था कि हमारे वैज्ञानिकों ने पायथागोरस प्रमेय की खोज की लेकिन हमने इसका श्रेय यूनान को दे दिया।

न्यूटन से पहले भारतीय गणितज्ञ को ज्ञात हो गए थे नियम

ठीक उसी प्रकार दावा किया जाता है कि न्यूटन से पहले भारतीय गणितज्ञ भास्कराचार्य को गुरुत्वाकर्षण के नियम ज्ञात हो गए थे। भास्कराचार्य ने अपने ‘सिद्धांत शिरोमणि’ ग्रंथ में पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के बारे में लिखा है कि पृथ्वी आकाशीय पदार्थों को विशिष्ट शक्ति से अपनी ओर खींचती है। इस कारण आकाशीय पिण्ड पृथ्वी पर गिरते हैं। जिससे यह स्पष्ट हो जाता है कि गुरुत्वाकर्षण और पाइथागोरस प्रमेय जैसे सिद्धांत भारतीय हैं।

यह वैदिक गणित की देन है परंतु हम सभी इससे आज तक अनजान हैं क्योंकि अभी तक हमें हकीकत से दूर रखा गया और झूठा प्रचार प्रसार किया जाता रहा है। वर्तमान में गणित और विज्ञान से संबंधित जितनी भी किताबे हैं वे मुख्य तौर पर पश्चिमी वैज्ञानिकों द्वारा लिखी गई थी। इन किताबों में प्राचीन ग्रीक वैज्ञानिकों और उनकी खोजों का जिक्र तो मिलता है परंतु प्राचीन भारत के वैज्ञानिकों का वर्णन नहीं किया गया। ऐसे में अब समय आ गया है कि हम खुलकर अपनी सभ्यता से जुड़ी हुई बातों और रहस्यों को जानें। हालांकि, वर्तमान में मोदी सरकार द्वारा लाई गई नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति भारतीय संस्कृति पर आधारित है। नई शिक्षा नीति भारतीय संस्कृति और भाषा को बढ़ावा देने का काम करती है। ऐसे में अब वो दिन दूर नहीं जब भारतीय संस्कृति से जुड़ी वो तमाम बातें हम न सिर्फ पढ़ेंगे बल्कि साथ ही इनका गर्व से प्रचार प्रसार भी करेंगे।

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