कहते हैं कि जब इंसान का ओहदा बड़ा होने लगता है तब उसे अधिक से अधिक लोग सुनने लगते हैं। ऐसे में उसकी ज़िम्मेदारियां भी बढ़ जाती हैं कि वह कब, कहां, किससे और क्या बोल रहा है क्योंकि उसके शब्दों का प्रभाव एक बड़ी जनसंख्या पर पड़ रहा है। हालांकि आजकल स्वयं को एक चमकता ‘स्टार’ मानने वाले कुछ लोग शायद इस ज़िम्मेदारी को नहीं समझते, ऐसे में समझ नहीं आता कि इन सितारों की मूढ़ता पर शोक व्यक्त किया जाए या फिर बिना सोचे-समझे इन्हें फॉलो करने वाले लोगों की नादानी पर।
‘अतिआवश्यक मुद्दों’ पर ज्ञान बांट रही थीं हिना खान
हाल ही में “मीके दी वोह्टी” नाम के शो, जिसमें मीका सिंह अपना स्वयंवर रचा रहे हैं, उसमें हिना खान स्वयंवर की महिला प्रतियोगियों से मिलने पहुंची। कैसे उठना है, कैसे बैठना है और कैसे बात करनी है, बालों का जूड़ा कैसे बनाएं और कौन सी मेहंदी बालों में लगाएं जैसे ‘अतिआवश्यक मुद्दों’ पर ज्ञान साझा किया और फिर मुद्दा उठा ‘पीरियड्स’ का।
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पीरियड्स का नाम सुनते ही हिना खान का कहना था कि, “मैं अपने पीरियड्स को sad days नहीं कहती। मुझे दर्द महसूस नहीं होता। मैं वास्तव में उन दिनों का आनंद लेती हूं। मुझे समझ नहीं आता कि लडकियां क्यों अपने पीरियड्स को इतना बड़ा बना देती हैं कि ‘ओह, अब मेरे पीरियड्स आ गए.. यार’ और शिकायतें करती हैं. मुझे लगता है कि एक लड़की की ज़िंदगी के, वास्तव में हर महीने के ये बहुत ही खास दिन होते हैं। जब भी मुझे किसी को अपने पीरियड्स के बारे में बताना होता है, तो मैं उन्हें कहती हूं कि मैं मेरे ‘स्पेशल डेज’ एन्जॉय कर रही हूं।”
अब दिक्कत इस बात से नहीं है कि हिना ने पीरियड्स को स्पेशल डेज कहा। परेशानी इस बात से है कि एक महिला होने के बाद भी हिना यह समझने में विफल रहीं कि हर महिला के शरीर की बनावट अलग होती है। ज़रूरी नहीं कि उन्हें पीरियड्स में कोई तख़लीफ़ नहीं होती तो अन्य किसी महिला को भी कोई परेशानी नहीं होती होगी। हिना के बयान ने ऐसा दर्शाया जैसे कि हर महिला के पीरियड्स एक जैसे ही हैं। कई महिलाएं ऐसी होती हैं जिनके लिए पीरियड्स इतने दर्दनाक हो जाते हैं कि वे उस दर्द के कारण बेहोश हो जाती हैं, दर्द को कम करने के लिए उन्हें दवाइयां लेनी पड़ती हैं। पीरियड्स के वो दिन जो हिना के लिए ख़ास होते हैं वे किसी दूसरी महिला के लिए बहुत अधिक दर्दनाक भी हो सकते हैं।
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हर एक महिला की परेशानियां अलग-अलग होती हैं
ऐसी भी महिलाएं हैं जिनके लिए पीरियड्स के वे दिन किसी सज़ा से कम नहीं खासकर तब जब वे पहले ही PCOS या endometriosis जैसी परिस्थति से जूझ रही हों। पीरियड्स में क्रैम्प्स ही अकेले परेशानी का कारण नहीं होते बल्कि कई बार इतना भारी रक्त-स्राव होता है कि पैरों पर खड़ा होना भी मुश्किल लगने लगता है। कई महिलाएं उन दिनों में ऑफिस जाती हैं, कुछ महिलाएं उसी दर्द की हालत में घर का पूरा काम सुबह से उठकर ही करने लगती हैं, उसी हालत में पूरा घर संभालती हैं।
यह अच्छी बात है कि हिना को औरों की तरह पीरियड्स की उन कठिनाइयों का सामना नहीं करना पड़ता लेकिन एक महिला होने के नाते उन्हें यह समझना चाहिए कि जिस तरह से उन्होंने अन्य महिलाओं के पीरियड्स में होने वाली परेशानी को बिलकुल दरकिनार कर दिया, जिस तरह से उन्होंने गैरजिम्मेदाराना बयान दे दिया उससे समाज में संदेश क्या जाएगा, शायद वो अनुमान भी नहीं लगा सकती हैं कि इसके क्या प्रभाव हो सकता हैं। पहले ही पीरियड्स को लेकर समाज में एक बेहद ही ढीलाढाला सा रवैया है, अभी भी पीरियड्स को लेकर जागरुकता की आवश्यकता है, हिना खान के बयान के बाद किसी महिला का बॉयफ्रेंड या पति महिला के पीरियड्स के दिनों को और भी लापरवाही से ले सकता है, शायद दर्द को, परेशानी को वो समझ ही न पाए, हो सकता है कि महिला की ऐसी हालत को वो नौटंकी या दिखावा तक मान ले।
जिस मुकाम पर हिना खान हैं उनकी जिम्मेदारी बनती है कि वो सोच समझकर बोलें और किसी भी सोशल प्लेटफॉर्म पर सोच-समझकर ज्ञान बांटें।
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