बुद्धिहीन विनाशाय, अमेरिकी पत्रिका “टाइम” को इसका अर्थ अगर पता होता तो आजन्म से करती आ रही गलती शायद वो पुनः न दोहराती। वर्तमान परिदृश्य और भारत की अवस्था पर टिप्पणी करने से टाइम बाज़ नहीं आया और हिन्दुओं की हो रही नृशंस हत्याओं पर चल रहे “Hindu Lives Matter” हैशटैग को खतरनाक बता दिया। यह कोई नयी बात तो नहीं है पर वास्तव में ऐसा करना बहुत बड़े दोगले चरित्र को पुनः उजागर करता है।
टाइम ने अपने कर्मों से फिर किया है सिद्ध
इस लेख में जानेंगे कि कैसे भारत और विशेषकर हिन्दुओं से जुड़े मुद्दों पर अपने फ़िज़ूल के ज्ञान को बिखेरने वाले टाइम ने फिर से अपने कर्मों से सिद्ध कर दिया है कि वो कल भी हिन्दू विरोधी था, आज भी हिन्दू विरोधी है और आगे भी हिन्दू विरोधी ही रहेगा।
https://twitter.com/Iyervval/status/1543240824405733378
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दरअसल, टाइम पत्रिका हमेशा से ही हिन्दुओं और हिन्दू धर्म पर प्रहार करती रही है। हिन्दू धर्म से जुड़े हर संवेदनशील मुद्दे को हल्का करने की आड़ में टाइम पत्रिका अपनी रोटियां सेंकती रही है। अब उदयपुर में दो जिहादियों द्वारा हाल ही में की गयी कन्हैया लाल की हत्या और फिर महाराष्ट्र में की गयी उमेश कोल्हे नाम के व्यक्ति की हत्या की बात करें तो देश का माहौल जिस हद तक भयमय हो गया है उसके लिए यही जिहादी समूह ज़िम्मेदार जान पड़ता है। ऐसे माहौल के प्रसारित होने के बाद जब “Hindu Lives Matter” का ट्रेंड और नारा देश में चलने लगा तो उसकी मिर्ची टाइम पत्रिका को जाकर लगी।
ऐसे जघन्य कृत्य और ऐसी बर्बता के लिए एक शब्द न फूटने की जगह टाइम्स के मुख से बस “Hindu Lives Matter” के विरुद्ध बस यह निकला कि यह एक “खतरनाक नारा” है। टाइम्स का ग्राफ भी कुछ ऐसा ही रहा है जहां उसने सदा से ही विलाप हिन्दू विरोध में ही किया है। अब इस लेख की ही बात करें तो टाइम रिपोर्टर सान्या मंसूर द्वारा लिखे इस लेख को पूर्णतः कन्हैया लाल की हत्या का बदला लेने के लिए बढ़ रहे रोष की ओर परिवर्तित कर दिया। कन्हैया लाल की हत्या का संदर्भ देने का प्रयास करते हुए, सान्या मंसूर ने सुझाव दिया कि गरीब हिंदू दर्जी ने पूर्व भाजपा प्रवक्ता नुपुर शर्मा की ‘अपमानजनक टिप्पणियों’ का समर्थन करके इस्लामवादियों के क्रोध को अपनी ओर खींचा था। वाह, इससे बढ़िया बात क्या ही हो सकती है जब मंसूर जैसी तथाकथित पत्रकार की सोच ऐसी हो।
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घर के भेदिया सेक्युलर चोला ओढ़ धर्म को कोसते हैं
जिन्ह के कपट दंभ नहिं माया, तिन्ह के हृदय बसहु रघुराया, अर्थात् जिनके न तो काम, क्रोध, मद, अभिमान और मोह हैं, न लोभ है, न क्षोभ है, न राग है, न द्वेष है और न कपट, दम्भ और माया ही है- हे रघुराज! आप उनके हृदय में निवास कीजिए। निश्चित रूप से देश आज भी घर के भेदियों का त्रास झेल रहा है, सेक्युलर चोला ओढ़ आज भी जिस धर्म को कोसा जाता है वो हिन्दू ही है। यह मूलतः कश्मीरी, सान्या मंसूर की वो सोच है जिसको एक वर्ग विशेष ने इतना प्रभावित कर दिया है कि टाइम में लेख लिखने के चक्कर में, अपनी मूल जवाबदेही को ही भूल गईं जो देश के प्रति थी। उसने यह भी नहीं सोचा कि जो वास्तविकता समूचे देश को दिख रही है, ऐसे में “Hindu Lives Matter” को खतरनाक बताना सिरे से स्वयं ही ख़ारिज हो रहा है।
यह टाइम पत्रिका के खून में रहा है जहां वो कट्टरपंथी को शांतिदूत और हिन्दू धर्म को विषैला तत्व बताने से नहीं चूकती। टाइम की नज़र में पीएम मोदी तो कट्टर हैं पर आतंकी संगठन तालिबान के सबसे बड़े आतंकियों में एक मुल्लाह अब्दुल गनी बरादर को उदार छवि का नेता बताता है। ऐसे में इससे अधिक उम्मीद भी क्या की जा सकती है जहां “Hindu Lives Matter” को तो खतरनाक नारा बताया जाता है पर जिहादियों द्वारा आए दिन हो रहे खुनी संघर्ष पर एक शब्द नहीं फूटता।
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