जब किसी देश के पड़ोसी देश धूर्त चीन और आतंकपरस्त पकिस्तान हो तो उस देश के लिए सुरक्षा का विषय सबसे ज्यादा अहम होता है. भारत इन कपटी राष्ट्रों की हेकड़ी को ठिकाने लगाते हुए अपनी सुरक्षा को प्राथमिकता देता आ रहा है. मौजूदा समय में भारतीय सेना दुनिया के सबसे आधुनिक सेनाओं में से एक है और दुनिया की चौथी सबसे बड़ी सेना बन चुकी है. आधुनिक हथियारों से लैस भारतीय सेना किसी भी देश की सेना को धूल चटाने का सामर्थ्य रखती है. भारत अपनी सीमा सुरक्षा को बेहतर बनाने हेतु हर प्रयास करता नजर आ रहा है.
आपने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस शब्द का इस्तेमाल कई बार सुना होगा. आम जिंदगी की जरूरतों में भी अब इस तकनीक के इस्तेमाल की चर्चा खूब होने लगी है. निजी सेक्टर तो इस तकनीक का इस्तेमाल कर ही रहा है लेकिन भारतीय सेना भी सीमा की निगरानी से लेकर घुसपैठियों पर हमला करने तक AI तकनीक से दुश्मनों के जमकर छक्के छुड़ा रही है. ऐसे में इस बात की चर्चा भी तेज है कि अब वो दिन दूर नहीं जब चीन और पाकिस्तान के बॉर्डर पर रोबोट हमारी सीमा की रखवाली करते दिखें.
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ब्रिटिश और अमेरिकि सेना का अनुमान है कि वर्ष 2030 तक उनकी सेना में 25 प्रतिशत रोबोट सैनिक शामिल होंगे. वहीं, इज़रायल इन दोनों देशों से काफी आगे है. उनके पास सीमा सुरक्षा के लिए सबसे उन्नत मशीनें मौजूद हैं जबकि भारत इस क्षेत्र में अभी शुरूआती दौर में ही है. सोमवार 11 जुलाई को भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने नई दिल्ली में “AIDF” (Artificial Intelligence in Defence) नामक एक कार्यक्रम में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस द्वारा संचालित 75 रक्षा उत्पादों को लॉन्च किया.
An Artificial Intelligence exhibition was organised today which provided an opportunity for innovators to display their capabilities, products and state-of-the-art technologies.
Glad that the Industry is making meaningful efforts to provide innovative and indigenous solutions. pic.twitter.com/WoUaUqgaXc
— Rajnath Singh (मोदी का परिवार) (@rajnathsingh) July 11, 2022
इन रक्षा उत्पादों में AI बेस्ड Silent sentry and gesture recognition system भी शामिल है जो निगरानी प्रणाली में काम करेगा. संभव है कि यह जल्द ही भारत-पाकिस्तान सीमा पर निगरानी करता नज़र आएगा. इसकी खासियत यह है कि एक बार चार्ज करने के बाद ये रोबोट छह घंटे तक सीमाओं पर गश्त कर सकते हैं और जैसे सैनिकों को पता होता है कि उन्हें कब आराम और रिचार्ज की जरूरत है, ये रोबोट खुद चार्जिंग पॉइंट तक जाते हैं और खुद को प्लग करते हैं. उनके पास इनबिल्ड रिकग्निशन सिस्टम है जिसके माध्यम से वे अज्ञात और संभावित शत्रुतापूर्ण चेहरों की पहचान करते हैं और उन पर आक्रमण करते हैं.
इन रोबोट्स में जेस्चर रिकग्निशन करने वाला आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस बेंगलुरु स्थित भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड ने बनाया है. निगरानी तेज करने के लिए इसे कैमरों से जोड़ा जा सकता है. अपने डेटाबेस के माध्यम से ‘साइलेंट सेन्ट्री रोबोट सिस्टम’ अज्ञात चेहरों का पता लगा सकता है. फिर यह डेटा 5-10 किलोमीटर के दायरे में स्थित आर्मी के ठिकानों को ट्रांसमिट किया जा सकता है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस कार्यक्रम में AI की जरूरत पर जोर देते हुए कहा, “हमने दूर से चलने वाले मानव रहित हवाई वाहनों आदि में AI अनुप्रयोगों को शामिल करना शुरू कर दिया है. भारत को इस दिशा में आगे बढ़ने की जरूरत है ताकि हम स्वायत्त हथियार प्रणाली विकसित कर सकें.”
Launched 75 Artificial Intelligence products during the first-ever ‘AI in Defence’ symposium in New Delhi today.
The AI is a revolutionary step in the development of humanity. Timely infusion of technologies like AI and Big Data is the need of the hour. https://t.co/hsXwNLhTYC pic.twitter.com/bibFKjQkmv
— Rajnath Singh (मोदी का परिवार) (@rajnathsingh) July 11, 2022
मैंडरिन ट्रांसलेटर
वहीं, बेंगलुरु के स्टार्टअप CogKnit द्वारा एक उपकरण तैयार किया गया है जिसे मैंडरिन ट्रांसलेटर और वॉयस रिकग्निशन के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है. हैंडहेल्ड डिवाइस को ऑफ़लाइन संचालित करने में भी एआई सक्षम है और यह 5 फीट की दूरी पर आवाजों को पहचान सकता है. यह सीमा कार्मिक बैठकों के दौरान और कभी-कभी गतिरोध के दौरान बहुत उपयोगी हो सकता है. डिवाइस के मौजूदा वजन को 600 ग्राम से घटाकर 200 ग्राम करने और इसकी रेंज को मौजूदा 5 फीट से बढ़ाकर 15 फीट करने पर काम चल रहा है और इसे कलाई पर पहनने योग्य बनाने का काम भी चल रहा है. हमारे सैनिकों को समझने के लिए आसानी हो इसके लिए यह अंग्रेजी के अलावा हिंदी भाषा में भी चीनी भाषा तो ट्रांसलेट कर सकेगा. यह एक एआई-सक्षम और दूर से संचालित हथियार स्टेशन है और इसमें हथियारों को निर्देशित करने और स्वचालित रूप से आग लगाने, घुसपैठिये का पता लगाने की क्षमता है. अभी इसके ट्रायल टेस्ट पूरे होना शेष है.
ध्यान देने वाली बात है कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस पर आयोजित कार्यक्रम में यह स्पष्ट संकेत दे दिया कि भारत इस तकनीक के मामले में लगातार विकास करेगा और इस तकनीक पर परमाणु शक्ति की तरह दुनिया के किसी बड़े देश या समूह का आधिपत्य नहीं होगा. भले ही रक्षा मंत्री की यह घोषणा और AI की जरूरत वाला बयान कई लोगों ने पहली बार सुना हो लेकिन वर्ष 2018 में ही इस तरह की प्रौद्योगिकियों के लिए रोड-मैप तैयार कर दिया गया था. भारतीय वैज्ञानिकों के बनाये AI प्रोडक्ट्स उनकी लम्बी मेहनत का परिणाम हैं. अब भारत घुसपैठ को रोकने के लिए सीमाओं पर जल्द ही एआई का इस्तेमाल कर सकेगा. सीमा क्षेत्र में अब जवानों की कुर्बानी नहीं दी जाएगी. AI संचालित प्रौद्योगिकियां न केवल घुसपैठियों से निपटने में सहायक होंगी बल्कि विभिन्न इलाकों और प्रतिकूल मौसम की स्थिति में उभरते खतरों से निपटने में मदद करेगी.
भारतीय सेना के लिए फायदेमंद साबित हो रही है AI
इसके अलावा भारतीय सेना के लिए डीआरडीओ (DRDO) और भारत डायनामिक्स लिमिटेड (BDL) लगातार ऐसे हथियार और बना रही है जो AI तकनीक के जरिये उसके काम को आसान बना रहे हैं. इनमें भीड़ में भी स्कैन करने के बाद चेहरा पहचानने वाले उपकरण हों या ड्रोन में लगने वाले कैमरे, बहुत सारे उपयोगी उपकरण शामिल हैं.
- चेहरा पहचानने वाला सिस्टम तस्वीर फीड होने के बाद एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन जैसी भीड़ में भी अपराधी को पहचान लेगा.
- यदि अपराधी ने नकली दाढ़ी या बालों से अपना चेहरा बदल लिया तो भी यह सिस्टम तत्काल उसकी पहचान बता देगा.
- फाइटर जेट या ड्रोन में लगा कैमरा कोहरे व अंधेरे में भी 50 किमी दूर से दुश्मन के टैंक या जेट को पहचानकर जानकारी देगा.
- लोहे की रेलिंग पर चलने वाला नन्हा रोबोट लगातार 6 घंटे तक 1 किमी दायरे में सीमा पर घुसपैठ की निगरानी करेगा.
- घुसपैठ होने पर यह रोबोट कमांड सेंटर को जानकारी देगा और घुसपैठिए को अचूक निशाना लगाकर मार गिराएगा.
- यह रोबोट AI की मदद से अंधेरे में भी थर्मल सेंसिंग के ज़रिए सीमा पर लगातार घुसपैठिए का सुराग ढूंढ़ने में सक्षम है.
- एक निजी कंपनी का स्वार्म ड्रोन AI की मदद से दुश्मन की पहचान कर एक साथ सैकड़ों के झुंड में उन पर हमला बोलेगा.
- BDL ने इस स्वार्म ड्रोन में दो किस्म के बम और दो किस्म के रॉकेट लगाने की तकनीक विकसित की है.
- स्वार्म ड्रोन 50 के झुंड में उड़ेंगे, जिनमें से आधे AI तकनीक वाले कैमरे और बाकी घातक हथियारों से लैस किए जाएंगे.
- कैमरे वाले ड्रोन पूरे इलाक़े में दुश्मन की तैयारियों की टोह लेंगे और फ़िर AI तकनीक से खुद हमला करने का फैसला लेंगे.
- हमले की कमान भी किसी कैमरे वाले ड्रोन के हाथ में होगी, जो ज़रूरत के मुताबिक अन्य ड्रोन को ज़िम्मेदारी बांटेगा.
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