ब्रिटेन में भारतीयों ने अपना दबदबा कैसे बनाया?

एक वक्त में अंग्रेजों ने भारत को गुलाम बना रखा था, अब ब्रिटेन का प्रधानमंत्री भी एक भारतीय बन सकता है!

Indians in Britain

Source- TFIPOST HINDI

ब्रिटेन को लेकर लोगों का मानना है कि उसने भारत पर 200 वर्षों तक राज किया. हालांकि, यह बात पूर्ण रूप से गलत है क्योंकि भारत को तो कोई भी बाहरी शक्ति पूर्ण रूप से कभी जीत ही नहीं सकी- फिर चाहे वे मुग़ल हो, पुर्तगाली हो या फिर अंग्रेज़. जब भारत में अंग्रेज़ आये थे तब कई बाहरी शक्तियों के लूटपाट के बाद भी भारत में इतना धन था जिसे देखकर किसी की भी आंखें चौंधिया जाए लेकिन जब ब्रिटेन ने भारत छोड़ा तो वे केवल कोहिनूर ही नहीं बल्कि देश की अथाह संपत्ति ले जाने के साथ-साथ देश के टुकड़े भी करवा गए. भारत स्वतंत्र तो हुआ लेकिन जो कीमत उसने चुकाई वह बहुत बड़ी थी. स्वतंत्र भारत एक बिखरती हुई अर्थव्यवस्था, व्यापक निरक्षरता और इतनी गरीबी के दलदल में धंस चुका था. हालांकि, समय के साथ भारत ने विकास के लिए कई नीतियां अपनाई, जिनके परिणामस्वरूप भारत के आर्थिक विकास को गति मिलने लगी.

अब अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की एक रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2022 के लिए अनुमानित सकल घरेलू उत्पाद (GDP) 8.2% की वृद्धि के साथ भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था बन गया है। स्वतंत्रता से लेकर अब तक भारत ने एक लंबा सफर तय किया है और कई मंज़िलें हासिल की है. आज भारत उस मुकाम पर है जहां पूरी दुनिया में भारत के नाम का डंका बज रहा है. बात चाहे मेडिकल फील्ड की हो, व्यापार की हो या फिर आईटी सेक्टर या खेलकूद की, भारत हर स्थान पर अपना नाम स्वर्णाक्षरों में गढ़ रहा है. केवल इतना ही नहीं, वह ब्रिटेन जिसने कभी भारत को अपने प्रभाव में लिया था और देश की संपत्ति को जमकर लूटा था, आज वहां भी शीर्ष पदों पर भारतीय अपना आधिपत्य स्थापित कर रहे हैं.

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ब्रिटेन की राजनीति में भारत

पत्रकार से राजनेता बने बोरिस जॉनसन ब्रेक्सिट लहर पर सवार होकर सत्ता के शिखर पर पहुंचे थे लेकिन उन्हें जुलाई माह की शुरुआत में अपने इस्तीफे की घोषणा करने के लिए मजबूर होना पड़ा. जॉनसन के इस्तीफे के बाद अब ऋषि सुनक ब्रिटेन के प्रधानमंत्री पद के लिए सबसे बड़े दावेदार बनकर उभरे हैं. यूके में हुए चुनाव के दो राउंड्स में सुनक विजेता बनकर उभरे हैं. हालांकि, पीएम पद के लिए वे अकेले भारतीय दावेदार नहीं हैं लेकिन यदि वो चुनाव के अंतिम चरण में जीत हासिल करते हैं तो वो ब्रिटेन के पहले भारत मूल के प्रधानमंत्री बनेंगे. ध्यान देने वाली बात है कि ब्रिटेन में अपना बोलबाला बढ़ाने वाले वो पहले या अकेले भारतीय नहीं हैं. ऐसे कई लोग भी हैं जिन्होंने भारत को ब्रिटेन पर अपना प्रभुत्व बढ़ाने के लिए प्रेरित किया है.

ब्रिटिश अर्थव्यवस्था पर भारतीयों का दबदबा

इस समय 1.4 मिलियन भारतीय ब्रिटेन में रहते हैं जिनमें से कुछ भारतीय मूल के हैं और साथ ही वे भारतीय भी शामिल हैं जो यूके चले गए हैं. आज ब्रिटेन में भारतीय सबसे बड़ी दृश्यमान जातीय अल्पसंख्यक आबादी बनाते हैं. वे ब्रिटिश एशियाई लोगों का सबसे बड़ा उपसमूह बनाते हैं. ब्रिटेन के एक नवीनतम शोध के अनुसार, कोरोनकाल में भी ब्रिटेन में मौजूद भारतीय कंपनियों ने काफी अच्छा काम किया है. भारतीय स्वामित्व वाली कंपनियां यूके में 1,41,005 लोगों को रोजगार दे रही हैं और इन कंपनियों का संयुक्त राजस्व 54.4 बिलियन पाउंड है.

केवल इतना ही नहीं, क्या आप जानते हैं कि ‘संडे टाइम्स यूके रिच’ सूची में कौन सबसे ऊपर है? जिस तरह भारत में मुकेश अंबानी सबसे अमीर हैं उसी तरह यूके में भारतीय मूल के हिंदुजा ब्रदर्स सबसे अमीर हैं जिनकी अनुमानित संपत्ति GBP 28.472 बिलियन के आसपास है. हिंदुजा बंधुओं के अलावा स्टील निर्माता लक्ष्मी मित्तल लगभग 17 बिलियन पाउंड की संपत्ति के साथ ब्रिटेन के अमीरों की सूची में छठे स्थान पर है. वेदांता समूह के संस्थापक और अध्यक्ष अनिल अग्रवाल 9.2 अरब पाउंड की संपत्ति के साथ 16वें स्थान पर हैं. इसके अलावा, बायोकॉन की संस्थापक और कार्यकारी अध्यक्ष किरण मजूमदार शॉ और उनके परिवार को भी 2.5 बिलियन पाउंड की अनुमानित संपत्ति के साथ सूची में रखा गया है.

ब्रिटिश राजनीति में भारतीयों का दबदबा

क्या आप जानते हैं कि 19वीं शताब्दी में ब्रिटिश संसद सदस्य के रूप में केवल एक भारतीय थे और वह थे दादा भाई नौरोजी, जिन्होंने सेंट्रल फिंसबरी से 1892 का संसदीय चुनाव लड़ा था. 3 वर्ष बाद फिर से चुनाव हारने के बावजूद, नौरोजी ब्रिटिश संसद के पहले अश्वेत सदस्य बने थे. ध्यान देने वाली बात है कि वर्ष 2015 के संसदीय चुनावों के दौरान ब्रिटेन में भारतीय मतदाताओं की संख्या 6,15,000 आंकी गई थी. इनमें से 95 फीसदी ने वोट डाला था. इनकी संख्या और देश की अर्थव्यवस्था में इनका योगदान इतना है कि ब्रिटेन के राजनीतिक दल भी उन पर ध्यान देने लगे हैं. आज 2022 में ब्रिटिश राजनीति में भारतीय प्रभुत्व के उदय का परिचय देने की आवश्यकता नहीं है.

ब्रिटेन में भारतीयों का बढ़ता दबदबा

ब्रिटेन में भारतीय हमेशा से लेबर पार्टी के कट्टर समर्थक रहे हैं. साथ ही वहां मौजूद हिंदुओं के ख्यालात वहां की कंजर्वेटिव पार्टी से भी मेल खाने लगे हैं और यही कारण है कि आज ऋषि सुनक यूके के पीएम की दौड़ में सबसे आगे हैं. भारतीय मूल के लोग संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम और कनाडा जैसे देशों में सांख्यिक और आर्थिक रूप से तेजी से वृद्धि कर रहे हैं. साथ ही इन लोकतांत्रिक देशों में भारतीय अब राजनीति और नेतृत्व की भूमिकाओं में भी रूचि लेने लगे हैं. एक समय था जब ब्रिटेन भारत के कई हिस्सों पर शासन करता था और एक समय अब है जब भारतीय अपनी बुद्धि और महानता के दम पर पूरे विश्व और खासकर ब्रिटेन में अपना वर्चस्व जमा रहे हैं. तो ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि ब्रिटेन में मौजूद भारतीयों की इस इकाई ने आज ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था और राजनीति  पर अपना दबदबा स्थापित कर लिया है.

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