कैसे चीनी कंपनी VIVO ने भारतीय वित्तीय प्रणाली को अस्थिर करने का प्रयास किया

भारतीय बाज़ार में व्यापार करना है तो टैक्स तो देना ही पड़ेगा !

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Source- TFIPOST.in

मनी लॉन्ड्रिंग देश में आर्थिक आतंकवाद की तरह है। एक मामले की सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी ओडिशा हाईकोर्ट ने की थी। हाईकोर्ट की इसी टिप्पणी के माध्यम से अब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने चीन के चीनी स्मार्टफोन कंपनी द्वारा वीवो की धोखाधड़ी की पोल खोल दी है। ईडी ने दिल्ली हाईकोर्ट में एक हलफनामा दायर कर बताया कि वीवो इंडिया देश की वित्तीय प्रणाली को अस्थिर करने का प्रयास कर रहा है। प्रवर्तन निदेशालय ने यह भी कहा कि देश की अखंडता और संप्रुभता को चोट पहुंचाने की कोशिश की, जो कि एक जघन्य अपराध है।

चीन की कंपनियां अक्सर ही मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामलों में लिप्त पाई जाती है। फिर चाहे वो वीवो हो, शाओमी या ओप्पो। यह सभी कंपनियां बड़ी ही चालाकी से भारत में व्यापार करते हुए मोटी कमाई करती है, परंतु जब टैक्स देने की बात आती है, तो चीनी कंपनियां इससे बचने का प्रयास करती नजर आती है। इसके अलावा कई कंपनियां चालाकी से भारत में पैसा कमाकर चीन पैसे भेजती है। पिछले कुछ समय से देखने को मिल रहा है कि कई चीनी कंपनियां प्रवर्तन निदेशालय (ED) की रडार पर बनी है। ईडी इन कंपनियों के विरुद्ध लगातार कार्रवाई करते हुए छापेमारी कर रहा है और इनकी पोल खोलने की कोशिश कर रहा है।

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ED ने VIVO कंपनी पर कसी नकेल

5 जुलाई को ही प्रवर्तन निदेशालय ने दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश समेत देशभर में वीवो के मौजूद कई ठिकानों पर छापे मारे थे। छापेमारी के बाद ईडी ने वीवो के बैंक खातों पर रोक लगा दी। एजेंसी के इस कार्रवाई के विरुद्ध में वीवो दिल्ली हाईकोर्ट पहुंच गया और याचिका दायर कर खातों पर लगी रोक हटाने की गुहार लगाने लगा। वीवो की तरफ से हाईकोर्ट में पेश हुए वकील सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि बैंक खातों पर रोक के कारण कंपनी का कामकाज ठप हो गया है। कर्मचारियों को वेतन देने समेत अन्य कार्यों में कंपनी को बाधा हो रही है। वीवो की इस दलील के बाद कुछ शर्तों के साथ वीवो के बैंक खातों को ऑपेरट करने की अनुमित दी गई।

वहीं इसके अलावा बीते हफ्ते दिल्ली हाईकोर्ट में ईडी ने एक हलफनामा भी दायर किया और बताया कि कैसे वीवो भारत में व्यापार करके देश की वित्तीय प्रणाली को खोखला करने का प्रयास कर रहा था। हलफनामे में ईडी द्वारा बताया गया कि उसने वीवो के जिन बैंक खातों को फ्रीज किया था, उसका उपयोग कंपनी के द्वारा धन शोधन से जुड़े मामलों में किया जा रहा है। ईडी ने बड़ा बयान देते हुए यह भी कहा कि वीवो के विरुद्ध मनी लॉन्ड्रिंग का कोई सामान्य मामला नहीं है। वे इसके माध्यम से देश के आर्थिक तंत्र को अस्थिर करने की कोशिश कर रहा था और राष्ट्र की अखंडता, संप्रभुता को चोट पहुंचाने के प्रयासों में जुटा था। ये बेहद ही गंभीर अपराध है। ओडिशा हाईकोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग को आर्थिक आतंकवाद करार दिया है और वीवो का यह मामला उसी श्रेणी के अंतर्गत आता है।

कोर्ट को ईडी ने बताया कि वे वीवो से जुड़ी 22 कंपनियों के वित्तीय लेन देन की जांच कर रहा है। इन कंपनियों पर विदेशी नागरिकों या हांगकांग में स्थित विदेशी संस्थाओं का स्वामित्व हैं। फर्मों के द्वारा भारी मात्रा में पैसे चीन को ट्रांसफर किए जा रहे है। यह हस्तांतरण संदिग्ध है और इसकी जांच की जा रही है।

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GPICPL को जाली दस्तावेजों के आधार पर चलाने का आरोप

ईडी के द्वारा जम्मू-कश्मीर डिस्ट्रीब्यूटर ग्रैंड प्रॉस्पेक्ट इंटरनेशनल कम्युनिकेशन प्राइवेट लिमिटेड (GPICPL) पर भी गंभीर आरोप लगाए गए। कंपनी कथित तौर पर स्वयं को वीवो इंडिया की सहायक कंपनी के रूप में गलत तरीके से पेश करती है। यह कंपनी भी धन शोधन के मामले में घिरी हुई है। ईडी का आरोप है कि कंपनी को जाली दस्तावेजों के आधार पर चलाया जा रहा था। GPICPL के खिलाफ 5 दिसंबर 2021 को एफआईआर रजिस्टर की गई थी। ईडी के बताया कि जांच से पता चला है कि GPICPL के खातों में 1,487 करोड़ रुपये जमा किए गए, जिनमें से लगभग 1200 करोड़ रुपये वीवो को ट्रांसफर कर दिए गए।

GPICPL द्वारा उपयोग किए जाने वाली ई-मेल आईडी भी VIVO और GPICPL के गठजोड़ को साबित करता है। जांच के दायरे में आने के बाद कंपनी के दो डायरेक्टर भारत तक छोड़कर भाग गए थे। ईडी ने पहले यह जानकारी दी थी कि वीवो की भारतीय इकाई ने भारत में टैक्स बचाने के लिए 62,476 करोड़ रुपये ‘गैरकानूनी’ तरीके से चीन को भेजे थे, जो कंपनी के कुल कारोबार का लगभग 50 फीसदी है। ईडी द्वारा वीवो को लेकर किए गए इन खुलासे से साफ हो जाता है कि कंपनी धन शोधन से जुड़े मामलों में लिप्त है।

वीवो भारत की प्रमुख स्मार्टफोन कंपनी में से एक है। यह कंपनी भारतीय बाजार में मांग को देखते हुए भारत में व्यापार करती है और कमाती भी भारत से ही है, लेकिन टैक्स देने से बचने के लिए तमाम तरीके के पैंतरेबाजी करती रहती है। ऐसे में अब समय आ गया है कि यह चीनी कंपनियां जो भारत में रहकर देश को आर्थिक तौर पर अस्थिर करने के प्रयास कर रही है, उस पर लगाम लगाई जाए। हालांकि ईडी जिस तरह से एक के बाद एक चीनी कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई कर इन पर लगातार नकेल कसने का काम कर रही है। इससे यह तो सिद्ध हो जाता है की अब ज्यादा दिन तक इन चीनी कंपनियों की पैंतरेबाजी नहीं चलेगी।

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