फ़ेक वीडियो फैलाए, बांग्लादेशियों को स्वतंत्रता सेनानी बताए- फिर भी AAP ‘कट्टर देशभक्त’ कहलाए

जब भी लगता है कि केजरीवाल और नीचे नहींं गिरेंगे तभी वो हमें ग़लत साबित कर देते हैं!

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Source- TFIPOST.in

जब भी हम सोचते हैं कि केजरीवाल की AAP सरकार इससे बड़ा और बखेड़ा खड़ा नहीं कर सकती, वह सरकार एक बार फिर हमें गलत साबित करते हुए बेशर्मी की हर हद्द को छू जाती है। यह हमारा कहना नहीं बल्कि आम आदमी पार्टी के वे कृत्य हैं जो न चाहते हुए भी ऐसे शब्द बोलने को मजबूर कर रहे हैं।

रविवार को आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने देश के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की एक वीडियो क्लिप ट्विटर पर शेयर किया जिसमें सभी सभासद पूर्व राष्ट्रपति का हाथ जोड़ अभिवादन कर रहे थे जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ध्यान कैमरे की ओर था। अपने ट्विटर पर एडिट किये हुए इस वीडियो को डालते हुए आप पार्टी के नेता, संजय सिंह ने एक ट्वीट में लिखा, “ऐसा अपमान। बहुत खेद है सर। ये लोग ऐसे ही हैं, आपका कार्यकाल पूरा हो गया, अब ये आपकी तरफ भी नहीं देखेंगे।”

इसके जवाब में, भाजपा ने वीडियो के लंबे संस्करण को साझा करते हुए, जिसमें पीएम मोदी अन्य सभी नेताओं से पहले पूर्कोव राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का हाथ जोड़कर स्वागत करते हुए दिखे। आईटी प्रमुख अमित मालवीय ने एक ट्वीट में पूछा, “फेक न्यूज पेडलर संजय सिंह फिर से अपने झूठ फैलाने के काम पर लग गए हैं। केजरीवाल से सिसोदिया तक जिनका झूठ हर दिन पकड़ा जाता हो उन्हें तो अपमान सहने की आदत हो गई है, आप जैसे लोग कैसे जानें कि लोगों का सम्मान कैसे किया जाता है?”

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AAP के नेताओं का तो रोज का है

ऐसी लताड़ इस पार्टी के सदस्य को पहली बार नहीं पड़ी है बल्कि यह तो इनका हर दिन का है। एक ताजा खबर के अनुसार दिल्ली में एक पर्यावरण कार्यक्रम होना था जिसमें दिल्ली सरकार के पर्यावरण और वन विभाग द्वारा असोला भट्टी वन्यजीव अभयारण्य में एक लाख पेड़ लगाने का कार्यक्रम आयोजित किया गया था। कार्यक्रम के अनुसार उपराज्यपाल, मुख्यमंत्री और पर्यावरण मंत्री गोपाल राय को उपस्थित होना था। लेकिन जब कार्यक्रम का दिन आया तो मुख्यमंत्री केजरीवाल इस कार्यक्रम में हिस्सा ही नहीं लिये।

इसके पीछे का कारण बताया गया प्रधानमंत्री के ऑफिस द्वारा इस इवेंट को “हाईजैक” करना। दरअसल, इस कार्यक्रम के लिए जो भी पोस्टर और बैनर बनवाये गए थे उनमें केवल दिल्ली के मुख्यमंत्री और उपराज्यपाल की ही तस्वीर थी। इस बात की पुष्टि दिल्ली सरकार के एक अधिकारी ने भी की कि बैनर डिजाइन को गुरुवार को अंतिम रूप दिया गया था, लेकिन कहा कि इस अंतिम डिजाइन में पीएम की तस्वीर शामिल नहीं थी।

लेकिन शायद केजरीवाल यह भूल गए थे कि जिस दिल्ली की कुर्सी पर वे बैठे हैं वह पूर्ण रूप से स्वतंत्र नहीं है, उसपर केंद्र की भी हुकूमत चलती है और यदि वे दिल्ली में कोई कार्यक्रम करवा रहे हैं तो इसमें प्रधानमंत्री की तस्वीर लगना अनिवार्य है फिर भले ही वह पीएम उनकी विपक्ष पार्टी से ही क्यों न हो। लेकिन जब दिल्ली पुलिस ने कार्यक्रम से पिछली रात जाकर पंडाल में केजरीवाल और उपराज्यपाल की तस्वीर के साथ पीएम मोदी की तस्वीर वाले बैनर लगा दिए तो केजरीवाल ने इसे पीएमओ द्वारा “इवेंट हाईजैक” का नाम दे दिया और उस इवेंट में नहीं गए।

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विवादों में घिरे ही रहते है आप के नेता

लेकिन हाईजैक के कमेंट करने वाले मंत्री जी जिस इलाके में पेड़ लगाने जा रहे थे उस जगह के सांसद को भी उन्होंने कार्यक्रम में बुलाना जरूरी नही समझा जबकि इसके पहले जब वे भट्टी माइंस की पिछली संयुक्त यात्रा में गए थे तो उस दौरान, उन्होंने सुनिश्चित किया कि उनके क्षेत्र के विधायक मौजूद हो। आप पार्टी के ट्विटर हैंडल से इवेंट की जो तस्वीरें शेयर हुईं उनमें उन्होंने मुख्यमंत्री के पोस्टर फटे हुए दिखाए जबकि दिल्ली पुलिस और अधिकारियों का कहना था कि सीएम के पोस्टर कहीं से नहीं हटाए गए। “कुछ भी नहीं फटा था। सीएम की तस्वीरों को प्रदर्शित करने वाले स्टैंड और होर्डिंग अब भी सभी के देखने के लिए हैं।” आखिर अपनी गलती छुपाने के लिए कोई दूसरे पर और कितने इलज़ाम लगा सकता है।

आम आदमी पार्टी के विवाद ख़त्म होने का नाम ही नहीं लेता है। अभी हाल ही में पार्टी ने दिल्ली के जामिया नगर में एक फ्लेक्स बोर्ड लगाया है जिसमें उन्होने बांग्लादेश के एक इस्लामिक मौलवी को एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी के रूप में पारित किया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, 75वें स्वतंत्रता दिवस समारोह के उपलक्ष्यता में ये बैनर लगाए गए थे जिनमें महात्मा गांधी, मौलाना अब्दुल कलाम आजाद, शहीद भगत सिंह, शहीद सुखदेव, शहीद अशफाकउल्ला खान, और अन्य जैसे भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों की तस्वीरों के साथ बांग्लादेशी इस्लामी विद्वान मौलाना महमूदुल हसन की तस्वीर थी।

अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाली पार्टी कथित तौर पर स्वतंत्रता सेनानी महमूद हसन देवबंदी, जो कि एक भारतीय विद्वान और जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के संस्थापक थे, उन्हें चित्रित करना चाहती थी, लेकिन फ्लेक्स बोर्ड पर बांग्लादेशी मौलवी मौलाना महमूदुल हसन की तस्वीर आ गई। केजरीवाल जी को छोङो स्वयं विधायक अमानतुल्लाह खान भी इस गलती को नहीं पहचान पाए। बाद में जब मीडिया ने इस पर सवाल उठाना शुरू किया तो पार्टी ने आनन-फानन में उन सभी पोस्टरों से बांग्लादेशी विद्वान की तस्वीरें हटाना शुरू किया। स्वयं को राष्ट्रभक्त और राष्ट्रसेवक कहने वाली आम आदमी पार्टी का कोई भी नेता और स्वयं केजरीवाल भी इतनी बड़ी गलती को नहीं पहचान सके।

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