गलवान में शर्मनाक हार के बाद से चीन कुछ समय के लिए मुंह फुलाकर शांत बैठा था लेकिन अब हाल ही में आ रही खबरों के अनुसार चीन ने पूर्वी लद्दाख में अपनी हवाई गतिविधियां तेज कर दी है, चीनी लड़ाके अक्सर दोनों पक्षों के बीच 10 किलोमीटर के नो-फ्लाई ज़ोन नियम का उल्लंघन करते हुए वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के करीब उड़ान भरते नज़र आये हैं।
इस समय यदि चीन की आतंरिक हालात देखी जाए तो चीन की अर्थव्यवस्था पूरी से तरह हिल चुकी है। लोग कम्युनिस्ट पार्टी के विरोध में सडकों पर उतर आये हैं। ऐसे में शी जिनपिंग ने अपनी प्रजा का ध्यान देश की खराब आर्थिक स्थिति से हटाने के लिए प्लान बनाया है। यह योजना है अपने पडोसी देश से जंग छेड़ने की जिससे कि चीनी नागरिकों का ध्यान बॉर्डर पर चला जाये। इस अशांति को बढ़ाने और भारत के संयम की जांच करने वह आये दिन भारत की सीमा के नज़दीक से अपने जेट उडाता नज़र आ रहा है। एक बार में सामने आकर हमला करने में असमर्थ चीन थोड़े-थोड़े कदम आगे बढ़ाकर मानो भारत को उत्तेजित करने का प्रयास कर रहा है। और अपनी इस कोशिश में वह जिन लड़ाकू विमानों का इस्तेमाल कर रहा है वे सब दूसरे देशों के लड़ाकू जेट की नक़ल हैं और कुछ भी नहीं।
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शेनयांग जे-11
सरकारी सूत्रों के अनुसार, चीन का जे-11 लड़ाकू जेट जो पूर्वी लद्दाख में 10 किमी नो मैन्स लैंड में उड़ान भर रहे हैं, उसका मुकाबला करने के लिए भारत ने भी मिग-29, मिराज 2000 और नए शामिल किए गए राफेल जैसे शक्तिशाली लड़ाकू विमानों को तैनात किया है।
शेनयांग जे -11 का एयरफ्रेम सोवियत-डिज़ाइन सुखोई सु-27 पर आधारित है। रूस के साथ सह-उत्पादन समझौते का उल्लंघन करते हुए, चीन के शेनयांग एयरक्राफ्ट कॉरपोरेशन द्वारा शेनयांग जे-11 जो कि सु-27 की कॉपी है। चीनी एवियोनिक्स तकनीक का उपयोग करते हुए, चीन ने J-11 के अपने संस्करण में रूसी तकनीक की नकल करने की कोशिश की है।
LOC के बाद अब LAC पर S-400 तैनात करेगा भारत
पहला एस-400 स्क्वाड्रन, जो रूस ने पिछले साल दिसंबर में भारत को भेजा था उसे पहले ही भारत पाकिस्तान सीमा पर तैनात कर दिया गया है। जो उत्तर पश्चिम से चीन और पाकिस्तान दोनों को मात देने की क्षमता रखता है। दूसरा एस- 400 भारत चीन की सीमा पर तैनात किया जायेगा। जून माह के मध्य से चीन लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश की सीमा के पास अपने सैन्य हथियारों की तैनाती तेज कर रहा है।
S-400 मिसाइल प्रणाली का विमान-रोधी संस्करण है, जिसे विमान, क्रूज और बैलिस्टिक मिसाइलों को नष्ट करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसका उपयोग जमीनी लक्ष्यों के खिलाफ भी किया जा सकता है। S-400 लंबी दूरी से आ रहे दुश्मन के विमान को नष्ट करने में सक्षम है। भारत के एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने चीन की इस हरकत के बारे में बयान देते हुए कहा, “चीनी विमानों की गतिविधि पर हम बारीकी से नजर रखे हुए हैं। जब भी हम चीनी विमान या दूर से चलने वाले विमान को LAC के बहुत करीब आते देखते हैं, तो हम अपने विमानों को हाई अलर्ट पर कर देते हैं। हमारे जेट सीमा तक जैसे ही पहुँचते हैं तो चीन जेट वहां से भाग जाते हैं। इसने उन्हें काफी परेशान किया है।”
पिछले हफ्ते, भारत ने फिर चीन से अपने सैन्य कर्मियों को हटाने, सीमा के विवादित क्षेत्र से चीन को अपने टेंट हटाने और भारतीय क्षेत्रों में चीनी सेना की उड़ानों को रोकने के लिए कहा। हालांकि, इस बातचीत का कोई निष्कर्ष नहीं निकला क्योंकि चीन युद्ध चाहता है। ऐसे में भारत ने भी अपनी ओर से भारतीय सैनिकों और सैन्य उपकरणों की उपस्थिति सीमा क्षेत्र में बढ़ा दी है। सुरक्षा उपायों की एक श्रृंखला में, भारत ने हाल ही में LAC पर अपने अत्याधुनिक सैन्य हार्डवेयर को तैनात किया है। अपने सैन्य निर्माण में, भारत ने अपाचे अटैक हेलीकॉप्टर, चिनूक वेट लिफ्टिंग हेलीकॉप्टर, राफेल लड़ाकू जेट, लद्दाख जैसे ऊंचाई वाले क्षेत्रों के लिए SWITCH सामरिक ड्रोन के उन्नत संस्करण और एयरबोर्न अर्ली वार्निंग एंड कंट्रोल (AEW&C) सिस्टम को तैनात कर दिया है।
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हालाँकि अब सवाल यह है कि चीन जो केवल नक़ल करके ही अपने सभी हथियारों का निर्माण करता है वह कब तक इस तरह भारत को उकसाता रहेगा और यदि युद्ध होता भी है तो इस युद्ध में चीन अपने नकली हथियारों के साथ कब तक उस जंग में टिका रहेगा? चीन के अधिकतर हथियार या तो रूस के हथियारों की नक़ल है या फिर अमेरिकी हाथॉयरों की नक़ल। उन नक़ल के हथियारों को अभी तक किसी जंग में जांचा भी नहीं गया है। आगे युद्ध होता भी है तो परिणाम क्या होगा ये तो समय बताएगा लेकिन शायद चीन ये भूल रहा है कि ये नया भारत है पहले तो छेड़ता नही है अगर कोई छेड़ता है तो उसे फिर छोड़ता भी नहीं है।
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