भारत ने उठा लिया है ‘अफ्रीकन सदी’ के स्वप्न को पूरा करने का बीड़ा

संसाधनों से भरे अफ्रीका को विकास के लिए चाहिए केवल भारत का साथ

PM Modi

इस समय अफ्रीका भले ही ‘कम विकसित’ देशों की सूची में शामिल हो लेकिन उसके पास जो उपजाऊ जमीन और सौर ऊर्जा से संपन्न क्षेत्र हैं उनका यदि सही से उपयोग किया जाए तो अफ़्रीकी देश अगली सदी का नायक बन सकते है। हालांकि इन प्राकृतिक संसाधन का उपयोग करने के लिए जो निवेश चाहिए वह इस समय अफ्रीका के पास नहीं है लेकिन ऐसी स्थिति में भारत ने सहायता के लिए हाथ बढ़ाया है। भारत के सहयोग से अफ्रीका अपने संसाधनों का अपनी क्षमता के अनुसार उपयोग करने में सक्षम होगा और आर्थिक रूप से विकसित होगा।

वैसे तो भारत और अफ्रीका बहुत लम्बे समय से एक साथ व्यापार करते आये हैं जिससे दोनों के आर्थिक संबंधों में वृद्धि आयी है पर अब भारत इन संबंधों को एक नयी दिशा और गति देने के प्रयास में हैं। इसके लिए भारत अब अफ्रीका के विकास के लिए कई परियोजनाएं लाया है जिसके लिए भारत भारी मात्रा में अफ्रीकी देशों में निवेश भी कर रहा है।

वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने मंगलवार को 17वें सीआईआई-एक्जिम बैंक सम्मेलन के उद्घाटन के मौके पर अपने भाषण में उन क्षेत्रों पर चर्चा की जहां भारत और अफ्रीका मिलकर यदि काम करें तो यह दोनों को भविष्य में बहुत बड़ी अर्थव्यवस्था बना सकता है। मंत्री गोयल ने कहा कि आईटी सेक्टर, सौर ऊर्जा, बुनियादी ढांचा, सैन्य सहयोग, स्वास्थ्य सेवा और स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र वे चार महत्वपूर्ण क्षेत्र हैं जहां भारत अफ्रीकी देशों का एक मूल्यवान भागीदार हो सकता है।

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कैसे भारत और अफ्रीका एक साथ करेंगे कार्य?

द्विपक्षीय व्यापार

इस समय भारत ने अफ्रीका से 27 कम-विकसित देशों को शुल्क मुक्त टैरिफ वरीयता का लाभ दिया है  जिससे अफ्रीका को व्यापार में काफी लाभ होता है। इसके आलावा अफ्रीका में AfCFTA (African Continental Free Trade Area) नामक परियोजना है जिसका उद्देश्य अफ़्रीकी देशों के बीच टैरिफ को कम करना और व्यापार सुविधा बढ़ाना है। यदि भारत भी इस AfCFTA परियोजना का हिस्सा बन पता है तो यह भारतीय फर्मों और निवेशकों को एक बड़े, एकीकृत और मजबूत अफ्रीकी बाजार में टैप करने के कुछ अवसर प्रदान करने में सक्षम हो सकता है। इससे भारत और अफ्रीकी महाद्वीप और भारत दोनों को अधिक व्यापारिक पहुंच मिल सकेगी।

सौर ऊर्जा

अफ्रीका भारत की तरह ही सौर ऊर्जा से संपन्न देश है और भारत की सहायता से अफ्रीका इस सौर ऊर्जा का इस्तेमाल कर अपनी ऊर्जा ज़रूरतों को पूरा कर सकेगा। साथ ही यह क्षेत्र के विभिन्न देशों में आर्थिक विकास को बढ़ाएगा।

स्टार्टअप इकोसिस्टम

भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम बनाने में सफल रहा है और आज भारत में 110 से अधिक यूनिकॉर्न हैं। ऐसे में भारत विभिन्न अफ्रीकी देशों में स्टार्टअप इकोसिस्टम का सह-निर्माण करने में सहायक होगा।

फार्मास्यूटिकल्स

फार्मास्यूटिकल्स और स्वास्थ्य सेवा वे क्षेत्र हैं जिसमें भारत हमेशा से अग्रणी रहा है और खासकर कोरोना से लड़ने के लिए सफल टीकों का निर्माण करने के बाद भारत की और भी प्रगति हुई है। ऐसे में भारत अफ्रीका को टीका बनाने में सहायता कर सकता है।

फिजिकल और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर

जहां बुनियादी ढांचे का निर्माण अफ्रीकी नीति कृषि उत्पादों की आवाजाही को सुविधाजनक बनाने के लिए सहायक होगा वहीं एक मजबूत डिजिटल बुनियादी ढांचा आर्थिक विकास में तेजी लाने के लिए काम कर सकता है। भारत इन दोनों क्षेत्रों में अफ्रीका की सहायता करने में सक्षम है।

इसके आलावा प्रौद्योगिकी के अन्य नये क्षेत्र, आईटी सेवाएं,  हिंद महासागर में हमारे सैन्य आदान-प्रदान, रक्षा व्यापार, रक्षा क्षेत्र में विनिर्माण,  कानूनी सेवाएं, बीमा और कई अन्य बैंकिंग और वित्तीय सेवाएं वे क्षेत्र हैं जिनमें भारत और अफ़्रीकी देश मिलकर कार्य कर सकते हैं।

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अफ्रीका के पास संसाधन तो हैं लेकिन इन संसाधनों को काम में लाने के लिए धन उपलब्ध नहीं है लेकिन अब भारत अफ्रीका की सहायता कर उसे आगे बढ़ने में सहायता करेगा। आज तक किसी देश ने जो अफ़्रीकी महाद्वीप के लिए नहीं किया वह भारत कर रहा है। आज तक विकसित देशों को जहां अफ़्रीकी देशों में केवल गरीबी दिखती थी वहां भारत ने विकास के अवसरों को पहचाना है और अब भारत के ये उपाय लंबे समय से चली आ रही भारत-अफ्रीका साझेदारी में योगदान देंगे और आर्थिक रूप से मजबूत बनाएंगे।

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