भारत-रूस बना रहे हैं आधुनिक सिल्क रूट

दोनों देशों में यह रूट 'क्रांति' ला सकता है!

Modi and Putin

Source- TFIPOST HINDI

ऐसे समय में जब पूरा विश्व या तो रूस के खिलाफ बोल रहा है या फिर उसके खिलाफ यूक्रेन की सहायता कर रहा है ऐसे में केवल भारत अकेला ऐसा देश है जो निष्पक्ष खड़ा है। भारत ने पश्चिमी देशों के दबाव के बावजूद तटस्थता दिखाकर रूस से अपनी दोस्ती को साबित किया है। रूस और भारत की दोस्ती कई दशकों पुरानी है और ऐसे में अब रूस और भारत के बीच शुरू नया व्यापारिक रास्ता इस रिश्ते को और मजबूत करेगा। हाल ही में आई खबरों के अनुसार, महत्वाकांक्षी अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा (INSTC) द्वारा पहली बार रूस की ट्रेन भारत के लिए माल लेकर आई। यह रूसी ट्रेन कजाकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान से होते हुए करीब 3,800 किलोमीटर की यात्रा के बाद ईरान पहुंची जहां से अब समुद्री मार्ग से यह माल भारत लाया जायेगा।

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क्या है INSTC?

आईएनएसटीसी एक 7,200 किलोमीटर लंबी महत्वाकांक्षी परिवहन परियोजना है जिसके संस्थापक सदस्य भारत, रूस और ईरान  हैं। इन तीनों देशों ने 16 मई 2002 को NSTC परियोजना के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। बाद में कुछ नए देशों को भी इस परियोजना में जुड़ने का निमंत्रण भेजा गया और अब इसमें 13 देश- अजरबैजान, बेलारूस, बुल्गारिया, अर्मेनिया, भारत, ईरान, कजाखिस्तान, किर्गिजस्तान, ओमान, रूस, तजाकिस्तान, तुर्की और यूक्रेन शामिल हैं।

इस परियोजना के तहत इसमें शामिल देशों के लिए माल ढुलाई हेतु जहाज, रेल और सड़क मार्ग का 7,200 किलोमीटर लंबा बहु-मोड नेटवर्क उपलब्ध होगा जो इन देशों में व्यापार की राह को और सुगम बना देगा। इस परियोजना में अभी मुख्य रूप से भारत, ईरान, अजरबैजान और रूस से जहाज, रेल और सड़क मार्ग से माल ढुलाई शामिल है। कॉरिडोर का उद्देश्य मुंबई, मॉस्को, तेहरान, बाकू, बंदर अब्बास, अस्त्रखान, बंदर-ए-अंजली आदि जैसे प्रमुख शहरों के बीच व्यापार संपर्क बढ़ाना है।

परयोजना का लाभ

रूस और भारत की यह महत्वाकांक्षी परियोजना INSTC ने चीन की भी नींद उड़ा दी है। ध्यान देने वाली बात है कि चीन अपने बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के तहत चीन को दुनिया के बाकी हिस्सों से जोड़ने वाले दो नए व्यापार मार्गों को विकसित करने की कोशिश कर रहा है लेकिन हर संभव प्रयास के कारण भी उसे वह परिणाम नहीं मिल पा रहे हैं जिसकी शायद उसने कल्पना की थी। चीन अपनी परियोजना के लिए इस समय पकिस्तान में पैसे लगा रहा है जो कि एक डूबती हुई अर्थव्यवस्था है। अफ़ग़ानिस्तान में उसे तालबानियों का सामना करना पड़ रहा है और श्रीलंका में भी अपनी इस परियोजना के लिए उसने अरबों लगाए और श्रीलंका को खोखला कर दिया। मौजूदा समय में श्रीलंका दिवालिया हो चुका है। ऐसे में ये कहा जाए की चीन के बीआरआई प्रोजेक्ट की बैंड बजी हुई है तो इसमें कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। वहीं, दूसरी ओर भारत और रूस ने रेल, रोड और जहाज़ के माध्यम से अपना इकोनॉमिक कॉरिडोर स्थापित कर लिया है तो ये चीन के लिए किसी तमाचे से कम नहीं है।

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