भारत, एक ऐसा देश जो जुगाड़ू होने के लिए मशहूर है। बात चाहे सस्ते प्लेन या यान बनाने की हो या फिर किसी भी दूसरे जुगाड़ की भारतीयों के पास हर समस्या का हल होता है। लेकिन जब कोई लैपटॉप या मोबाइल खराब हो जाता है तो उसे ठीक करने की कीमत इतनी ज्यादा मांग ली जाती है कि इंसान उतने में एक नया फ़ोन ही खरीद ले। लेकिन कभी सोचा है कि क्यों एक अपडेट के बाद आपके मोबाइल या लैपटॉप की परफॉरमेंस काम हो गयी? या फिर क्यों जिस कंपनी ने उस गैजेट को बनाया वही उसे ठीक कर पाने में अक्षम है?
इसके पीछे का कारण हैं यही कपनियां और इनकी अपने नए उपकरण आपको बेचने की चाहत, जिससे कि ये आपसे और पैसे कमा सकें। कई बार ऐसा होता है कि जब किसी कंपनी का कोई नया लैपटॉप या मोबाइल बाजार में आता है तो ये कंपनियां अपने पिछले उपकरण के लिए नए अपडेट निकालती हैं। वैसे तो आमतौर पर ये अपडेट उपकरण की परफॉरमेंस को बेहतर बनाने के लिए होते हैं लेकिन कभी-कबार ये कंपनियों का स्वार्थ सिद्ध करने के लिए भी मार्केट में उतारे जाते हैं ताकि उस अपडेट के बाद आपके उपकरण की स्पीड जब कम होने लगे या फिर वह हैंग करने लगे तो आपको उस कंपनी का नया उपकरण खरीदने के लिए मजबूर होना पड़े।
यदि आप उस उपकरण को जिस कंपनी के वह खरीदा था उसी के पास लेकर भी जाते हो तो या तो वे उसे पूरी तरह ठीक नहीं करते या फिर वह उपकरण कभी ठीक होगा इस बात से इंकार कर देते हैं। ऐसी स्थिति में वे कई बार यह पेशकश भी करते है कि वे आपके ‘पुराने और खराब लैपटॉप/ मोबाइल’ के बदले आपको सही कीमत पर नया लांच किया हुआ उपकरण दे देंगे। आप भी ख़ुशी- खुशी मान जाते है और यह नहीं समझ पाते कि आपके साथ धोखा हुआ।
ये कंपनियां कभी भी अपने प्रोडक्ट की पूरी जानकारी मैन्युअल में नहीं देतीं जिसके कारण आप बाहर किसी तीसरे से भी इसे रिपेयर नहीं करवा पाते और आखिर में आपको कंपनी के नए उत्पाद को खरीदना पड़ता है। लेकिन अब सरकार इसका भी उपाय लेकर आई है। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने हाल ही में जारी किये अपने एक बयान में कहा है कि, “कृषि उपकरण, मोबाइल फोन, टैबलेट और ऑटोमोबाइल व ऑटोमोबाइल उपकरण जैसे क्षेत्रों को समिति द्वारा मरम्मत के अधिकार (Right to Repair) के लिए चिन्हित किया गया है।” इसका मतलब है कि सरकार के नए नियम के तहत गैजेट निर्माताओं को जल्द ही उपभोक्ता अधिकार के रूप में अपने उत्पादों के लिए मोबाइल फोन से लेकर लैपटॉप तक की अनिवार्य रूप से मरम्मत सेवाओं की पेशकश करनी पड़ सकती है।
एक आधिकारिक बयान के अनुसार, एक बार यह योजना भारत में शुरू हो गई तो यह न केवल उन तकनिकी गैजेट्स की स्थिरता बढ़ाएगी बल्कि भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक और कदम आगे बढ़ाएगी क्योंकि इन उत्पादों को ठीक करने के लिए कई लोगों को रोजगार प्राप्त होगा। साथ ही यह स्थानीय बाजार में उपभोक्ताओं और उत्पाद खरीदारों को सशक्त बनाएगा आज भी तकनीकी कंपनियों के मैनुअल, स्कीमैटिक्स और सॉफ्टवेयर अपडेट की पूरी जानकारी प्रदान नहीं करते। यदि वे पूरी जानकारी दें तो उपभोक्ता उस उत्पाद को या तो स्वयं ही ठीक कर सकता है या फिर किसी अन्य से आसानी से ठीक करवा सकता है। एक बार यह योजना काम में आ जाये तो निर्माता कृत्रिम रूप से या जानबूझकर अपने उत्पादों की मरम्मत करते समय ऐसा कुछ नहीं कर सकते जिससे कि उपभोक्ताओं को वे अपने ब्रांड के नए उत्पाद खरीदने के लिए मजबूर कर सकें। स्पेयर पार्ट्स पर निर्माताओं का मालिकाना हक खतम हो जायेगा।
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कंपनियों को क्या करना होगा?
- मैनुअल, स्कीमैटिक्स और सॉफ्टवेयर अपडेट तक पूर्ण जानकारी और पहुंच प्रदान करनी होगी।
- उपकरणों की मरम्मत की जा सके इस के लिए पुर्जे और उपकरण बनाना।
- तृतीय पक्षों को नैदानिक उपकरण (Diagnostic tools) उपलब्ध कराना।
- निर्माताओं को अपने उत्पाद विवरण (Product details ) ग्राहकों के साथ साझा करना अनिवार्य होगा ताकि ग्राहक उत्पाद में खराबी आने पर मूल निर्माताओं पर निर्भर रहने के बजाय स्वयं या तीसरे पक्ष द्वारा उनकी मरम्मत कर सकें।
‘Right to Repair’ आज दुनियाभर की मांग है। अमेरिका में, संघीय व्यापार आयोग (the Federal Trade Commission) ने निर्माताओं को आदेश दिया है कि वे अपने उत्पादों पर अनुचित, ऊंचे दाम न लगाए और उन्हें यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि उपभोक्ता स्वयं या किसी तीसरे पक्ष की एजेंसी द्वारा उनसे खरीदे उपकरण की मरम्मत करवा सकें।
यूके में एक कानून है जो सभी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण निर्माताओं को उपभोक्ताओं को मरम्मत के लिए या तो स्वयं या स्थानीय मरम्मत की दुकानों पर स्पेयर पार्ट्स प्रदान करना अनिवार्य करता है। ऑस्ट्रेलिया में मुफ्त “मरम्मत कैफे” हैं, जहां तकनीशियन मुफ्त में स्वेच्छा से काम करते हैं। और यूरोपीय संघ ने निर्माताओं के लिए 10 साल की अवधि के लिए पेशेवर मरम्मत करने वालों को उत्पादों के हिस्से प्रदान करना कानूनी रूप से अनिवार्य कर दिया है।
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