भारत का गुप्त मानव रहित लड़ाकू हवाई वाहन (यूसीएवी) कार्यक्रम, जिसके तहत एक प्रौद्योगिकी प्रदर्शक जिसे स्टील्थ विंग फ्लाइंग टेस्टबेड या स्विफ्ट कहा जाता है, इसे और विकसित किया जा रहा है, और इस तकनीक में एक नई सफलता प्राप्त की है। भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने शुक्रवार को कर्नाटक के चित्रदुर्ग के एयरोनॉटिकल टेस्ट रेंज से अपने “ऑटोनॉमस फ्लाइंग विंग टेक्नोलॉजी डेमोंस्ट्रेटर” की पहली उड़ान का सफलतापूर्वक संचालन किया।
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आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ा एक और कदम
डीआरडीओ ने एक प्रेस विज्ञप्ति में घोषणा की, “पूरी तरह से स्वायत्त मोड में काम करते हुए,विमान ने एक परिपूर्ण उड़ान का प्रदर्शन किया, जिसमें टेक-ऑफ, वे पॉइंट नेविगेशन और एक आसान टचडाउन शामिल है। यह उड़ान भविष्य के मानव रहित विमानों के विकास की दिशा में महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों को साबित करने के मामले में एक प्रमुख मील का पत्थर है और इस तरह की रणनीतिक रक्षा प्रौद्योगिकियों में आत्मनिर्भरता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।”
उड़ान के बाद डीआरडीओ को बधाई देते हुए, देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, “यह स्वायत्त विमानों की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि है जो महत्वपूर्ण सैन्य प्रणालियों के मामले में आत्मानिर्भर भारत का मार्ग प्रशस्त करेगा।“
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— DRDO (@DRDO_India) July 1, 2022
घटक को हमेशा से ही एक मानव रहित विमान के रूप में बनाने का इरादा रहा है, जिसका उपयोग न केवल निगरानी के लिए किया जा सकता है, बल्कि निर्दिष्ट लक्ष्यों पर सटीक हथियारों को फायर करने के लिए भी किया जा सकता है, साथ ही अपने स्टेल्थ फीचर्स का इस्तेमाल करके यह दुश्मनों के सेंसर से बच सकता है।
इससे पहले AURA (स्वायत्त मानवरहित अनुसंधान विमान के लिए संक्षिप्त) नाम से एक मानव रहित विमान पर काम किया जा रहा था जो कि वर्ष 2009 के आसपास शुरू हुआ था। यह कार्यक्रम भारत के पांचवीं पीढ़ी के स्टील्थ फाइटर एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट या एएमसीए के विकास से जुड़ा है। घटक कार्यक्रम को औपचारिक रूप से मई 2016 में ‘लीड-इन प्रोजेक्ट’ के रूप में मंजूरी मिली और 2017 की शुरुआत से इस परियोजना के लिए उन्हें फंडिंग मिलना शुरू हो गया।
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इस सफल परीक्षण से पाक-चीन की नींद उड़ी
एक ऐसा समय जब भारत हर तरफ से शत्रुओं से घिरा हुआ है, जहां एक तरफ पाकिस्तान है तो दूसरी तरफ चीन है। यहां तक कि हिंद महासागर में भी कब्जा करने की चीन की मंशा साफ नजर आ रही है ऐसे में बहुत ही आवश्यक है कि भारत अपने लिए कुछ ऐसे अस्त्र-शस्त्र तैयार करे जिससे की वह इन दोनों देशों से आराम से निपट सके और भारत का यह स्टेल्थ ड्रोन भविष्य में भारत के इन दोनों दुश्मनों, पाकिस्तान और चीन की नाक में दम करने की शक्ति रखता है। डीआरडीओ ने पहली बार इस विमान को उड़ाया है और इसका परीक्षण सफल रहा है।
अमेरिका के बी-2 बमवर्षक की तरह दिखने वाला यह विमान पूरी तरह से स्वचालित है। यह खुद ही टेक ऑफ और आसान लैंडिंग करने की क्षमता रखता है। ऐसे मानव रहित विमानयुद्ध में जिस की ओर से लड़ेंगे उसका पलड़ा हमेशा भारी ही रहेगा। पिछले साल भारतीय सेना प्रमुख ने बताया था कि ड्रोन हमलों का खतरा बहुत गंभीर है। साथ ही भारत ने यूएवी ड्रोन बेड़े को मजबूत करने की जरूरत पर बल दिया था। देश में प्रभावी लड़ाकू ड्रोन बनाने के स्वदेशी प्रयास चल रहे हैं और चित्रदुर्ग में किया गया यह परीक्षण इसी प्रयास में एक बड़ा कदम है।
इसका अर्थ यह है कि भारतीय सेना तीन-चार वर्षों में स्वदेशी स्टेल्थ ड्रोन की सहायता से सीमाओं पर निगरानी करने लगेगा। यह आतंकवादियों के ऊपर हमला करने में सक्षम होगा। इससे बिना सेना के जवानों को वीरगति प्राप्त हुए आतंकियों को मौत के घाट उतारा जा सकेगा। ऐसे में पाकिस्तान की नींद उड़ना तो जाहिर ही है। भारत ने घटक स्टेल्थ ड्रोन के परीक्षण के साथ अपने हवाई वर्चस्व को बढ़ाया है और साथ ही यह पाकिस्तान और चीन जैसे देशों के लिए एक बड़ा झटका है।
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