चीन सबसे चालाक और धूर्त देश है, जो हर जगह अपनी दादागिरी और मनमानी चलाने के प्रयास करता रहता है। उइगर मुसलमानों के साथ चीन में किस तरह का बर्ताव होता है, यह किसी से भी छिपा नहीं है। चीन ने उइगर मुसलमानों की जिंदगी को नर्क से भी बदतर बनाकर रख दिया है। वे उनके साथ तमाम तरीके के अत्याचार और क्रूरता को अंजाम देता रहता है। चीन पर उइगर मुसलमानों का नरसंहार करने से लेकर जबरन मजदूरी, नसबंदी और महिलाओं के साथ रेप तक कराने के आरोप लगते रहते है।
हालांकि इसके साथ ही चीन हमेशा ही इन प्रयासों में भी जुटा रहता है कि वे किसी भी तरह उइगर मुसलमानों पर अपने अत्याचारों की सच्चाई को दुनिया से छिपाए रखें और इसके लिए ड्रैगन तमाम तरह के पैतरे अपनाता रहता है। अब चीन द्वारा संयुक्त राष्ट्र पर भी दबाव बनाया जा रहा है कि वे शिनजियांग प्रांत में उइगर मुसलमानों के साथ होने वाली क्रूरता की रिपोर्ट को सार्वजनिक ना करें, जिससे उसके अत्याचारों की पोल खुल ना पाए।
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दरअसल, हाल ही में यह खबर आई है कि चीन द्वारा संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख मिशेल बाचेलेट की शिनजिंयाग में मानवाधिकारों के उल्लंघन पर एक बहुप्रतीक्षित रिपोर्ट को दफनाने के प्रयास किए जा रहे है। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार चीन चाहता है कि किसी भी हाल में यह रिपोर्ट रिलीज ना की जाए और इसे रोकने के लिए वो संयुक्त राष्ट्र में विभिन्न देशों पर इसे रोकने के लिए दबाव बना रहा है। रॉयटर्स के अनुसार उसे इससे संबंधित चीन का एक पत्र मिला हुआ। इसके अलावा पत्र प्राप्त करने वाले तीन राजनियकों ने इसकी पुष्टि भी की।
नाम ना छापने की शर्त पर रॉयटर्स से बात करने वाले संयुक्त राष्ट्र के चार राजनयिकों के अनुसार जून के अंत से ही चीन पत्र को प्रसारित कर रहा है और शिनजिंयाग रिपोर्ट पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए इसे जारी करने को रोकने के लिए तमाम देशों को अपने समर्थन में इस पर हस्ताक्षर करने के लिए कह रहा है। हालांकि अब तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि किन-किन देशों के द्वारा चीन के इस पत्र पर हस्ताक्षर किए गए।
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अंतरराष्ट्रीय संगठनों पर चीन का दबाव
यहां जान लें कि संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख मिशेल बाचेलेट मई 2022 में चीन के दौरे पर गई थीं। इस दौरान मानवाधिकार को लेकर चीन के प्रति नरम रवैया अपनाने के लिए उनकी काफी आलोचना भी हुई। जिसके बाद बाचेलेट ने व्यक्तिगत कारणों का हवाला देते हुए यूएन में अपने दूसरे कार्यकाल की मांग करने से परहेज करने का निर्णय लिया था। परंतु इसके साथ ही उन्होंने शिनजिंयाग पर एक रिपोर्ट भी प्रकाशित करने की बात कही थी। चीन मिशेल बाचेलेट की इसी रिपोर्ट को प्रकाशित करने से रोकने के लिए संयुक्त राष्ट्र के तमाम देशों पर दबाव बना रहा है।
देखा जाए तो चीन हमेशा से ही यूं वैश्विक मंचों पर अपनी दादागिरी चलाता आया है। कोरोना के दौरान देखने मिला था कि कैसे चीन ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) को वायरस की उत्पति की जांच रोकने के लिए तमाम कोशिशें की थीं। कोरोना के विश्व में फैलने को लेकर हर किसी को चीन की नीयत पर शक बना हुआ है। क्योंकि जिस चीन से कोरोना फैलना शुरू हुआ, वहां इस वायरस से उतना नुकसान नहीं हुआ जितना कि अन्य देशों को हुआ। ऐसे भी कई दावे किए जा चुके है कि कोरोना चीन की वुहान लैब में तैयार किया गया और यह ड्रैगन के षड्यंत्र का हिस्सा था। परंतु इस तरह के आरोपों के बावजूद चीन ने WHO को जांच करने से साफ तौर पर इनकार ही कर दिया था। बाद में ड्रैगन माना भी तो उसने अपनी शर्तों के अनुसार संगठन को जांच करने की इजाजत दी थीं।
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इससे स्पष्ट हो जाता है कि चीन अंतरराष्ट्रीय संगठनों पर दबाव बनाकर अपनी मनमानी चलाने के प्रयास करता आया है। ऐसे में अब समय आ गया है कि सभी लोकतांत्रिक देश एक साथ आए और चीन को वैश्विक मंचों से अलग थलग कर दें। जिसके बाद ही चीन को यह समझ में आएगा कि वो हर जगह अपनी तानाशाही और दादागिरी यूं नहीं चला सकता।
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