Shabaash Mithu: समय आ चुका है कि रियल लाइफ हीरो अपने नायक स्वयं चुने

बड़े पर्दे पर असल नायकों के साथ हो रहा है अन्याय

Taapsee Pannu

ऐसा आज नया नहीं हो रहा है कि बॉलीवुड में किसी की बायोपिक बनायी गयी हो लेकिन जब किसी महान या किसी प्रभावशाली व्यक्तित्व के चरित्र को चित्रित करने की बात आती है तो उस कलाकार और उस निर्देशक का ये कर्तव्य बनता है कि वो उस व्यक्तित्व के साथ न्याय करे। लेकिन यह बात अब पूरी तरह से स्पष्ट होने लगी है कि वास्तविक विजेताओं का चित्रण करने में बॉलीवुड का डब्बा गोल हो गया है और अब रियल लाइफ हीरो को अपने जीवन को चित्रित करने हेतु अपने नायक स्वयं चुनने होंगे।

प्रथम दिन मात्र 40 लाख रुपये का घरेलू कलेक्शन

हाल ही में प्रदर्शित श्रीजित मुखर्जी द्वारा निर्देशित ‘शाबाश मिट्ठू’ सिनेमाघरों में प्रदर्शित हुई। यह फिल्म भारतीय महिला क्रिकेट टीम की पूर्व कप्तान मिताली राज और उनके सफलतम करियर पर आधारित थी, परंतु इसके प्रथम दिन के कलेक्शन को देखकर प्रतीत होता है कि जनता को इसमें तनिक भी रुचि नहीं थी। इस फिल्म को प्रथम दिन मात्र 40 लाख रुपये का घरेलू कलेक्शन मिला और मजे की बात तो यह है कि अनेक चुनौतियों के बावजूद रॉकेट्री ने अपने तीसरे हफ्ते में 1 करोड़ रुपये से ऊपर का हिन्दी बॉक्स ऑफिस में कलेक्शन किया।

परंतु ऐसा क्यों हुआ? इसके लिए अनेक कारण थे, परंतु सबसे प्रमुख कारण दो थे– अति नारिवाद और तापसी पन्नू। जब स्वयं द वायर जैसे वामपंथी पोर्टल को बताना पड़े कि आप गलत है, तो समझ जाइए कि आप कितने बड़े ढपोरसंख है, और ‘शाबाश मिट्ठू’ उसी परिपाटी पे चल पड़ी जिसके लिए द वायर तक को अपने रिव्यू में कहना पड़ा, “हर कहानी में नायिका को श्रेष्ठ दिखाने के लिए किसी अन्य को नकारात्मक बनाने की आवश्यकता नहीं।”

असल बेइज्जती तो स्वयं तापसी पन्नू ने करायी जब उन्हें मिताली राज जैसे प्रभावशाली क्रिकेटर की भूमिका को आत्मसात करने को कहा गया। वो कैसे? असल में एक रियलिटी शो पर प्रोमोशन हेतु अभिनेत्री तापसी पन्नू और पूर्व क्रिकेटर मिताली राज दोनों ही आए थे। इस दौरान जब मिताली से पूछा गया कि पीएम मोदी के साथ उनका वार्तालाप कैसा था, तो सबको चौंकाते हुए कहा, “जब हम 2017 के वर्ल्ड कप के बाद वापस आए थे। उस वक्त जिस तरह से एयरपोर्ट पर हमारी रिसेप्शन हुई है और हमारे आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमें टाइम दिया। हर एक लड़की को उन्होंने नाम से पहचाना। हर लड़की के सवाल का जवाब दिया।”

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तापसी पन्नू की प्रतिक्रिया देखने लायक थी

अब उसी समय तापसी पन्नू की प्रतिक्रिया को अगर ध्यान से देखते, तो आपको समझ में आता कि वह कैसे अपनी कुंठा को नियंत्रित करने का प्रयास कर रही हैं, और कैसे वह उस व्यक्ति के विरुद्ध उगल पाने में असमर्थ हो रही हैं, जिसके विरुद्ध सक्रिय राष्ट्र विरोधी तत्वों को वह खुलेआम समर्थन देती आयी हैं। परंतु ये वही बॉलीवुड है जिसके लिए एक पतली मूंछ और एक पग लगाकर अक्षय कुमार के रूप में ‘सम्राट पृथ्वीराज’ तैयार हुए।

अजीब बात है कि यह वही बॉलीवुड है, जहां से कभी ‘सरदार’, ‘द लीजेंड ऑफ भगत सिंह’, ‘पान सिंह तोमर’ जैसे फिल्में भी निकली थी। ऐसे में अब समय आ चुका है कि रियल लाइफ हीरोज़ पर यदि कभी कोई फिल्म बने और यदि वे जीवित हों और उनका सामर्थ्य हो तो वे अपने नायक खुद चुने क्योंकि ऐसा भी नहीं होना चाहिए कि किसी दो कौड़ी के कलाकार के कारण कथा की मूल भावना ही बर्बाद हो जाए, और वैसे भी ‘मेजर’ और ‘रॉकेट्री’ जैसी फिल्मों को देखते हुए बहुभाषीय सिनेमा में ऐसी संभावनाएं खोजने में कोई समस्या नहीं होनी चाहिए।

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