कमलनाथ के बेटे ने एक बार फिर कांग्रेस की ‘तुष्टीकरण’ की राजनीति की पोल खोल दी

"कांग्रेस स्कूल ऑफ़ तुष्टीकरण" फलफूल रहा है

Nakul Nath

पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं, इसमें कोई दोहराय नहीं है। कांग्रेस की वंशवादी पॉलिटिक्स में उसकी आगामी पीढ़ी भी उसी कार्यपद्धति का अनुसरण करते हुए राजनीति करना चाह रही है जिसकी बिसात उसके पूर्वजों ने रखी थी। वही एक नीति “तुष्टीकरण”, जिसके बल पर वो आज तक राजनीति करते आए हैं और सत्तर साल तक देश की सत्ता पर काबिज रहे।

बदल चुका है समय

वहीं अब समय-काल और परिस्थिति बदल गयी हैं। अब जनता तुष्टीकरण को मात देने के लिए अगर मतदान कर अपना विरोध प्रकट कर रही है तो निस्संदेह वोट की चोट उन सभी राजनेताओं को पानी पिलाने का काम कर रही हैं। इस लेख में जानेंगे कि कैसे मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के बेटे और सांसद नकुलनाथ एक धर्म विशेष के लिए अपने धर्म के अनुष्ठानों को पीछे छोड़ने में किंचित भी संकोच नहीं कर रहे हैं।

हालिया घटनाक्रम ये है कि नकुलनाथ की एक वीडियो वायरल हो रही है। दरअसल, सांसद नकुलनाथ द्वारा किए गए रोड शो को लेकर एक नया सियासी विवाद खड़ा हो गया है। दरअसल, नकुलनाथ तीन दिन पूर्व परासिया में कांग्रेस के प्रत्‍याशियों के समर्थन में रोड शो कर रहे थे। इसी दौरान उन्‍होंने एक जगह पर अपने ललाट पर लगे तिलक को साफ कर लिया।

बताया जा रहा है कि जिस क्षेत्र में वो प्रचार करने निकले थे वहां की जनसंख्या मुस्लिम बाहुल्य थी। बस फिर क्या था सत्ताधारी भाजपा को मौका मिल गया और रही बची पोल कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ ने खोल दी कि किस प्रकार “कांग्रेस स्कूल ऑफ़ तुष्टीकरण” में एक अलग ही पाठ्यक्रम के साथ राजनीति के गैर-हिंदुत्ववादी गुर सिखाए हैं।

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कमलनाथ ने हिंदुत्ववादी दिखने का भरसक प्रयास किया

यह नकुलनाथ की ही बात नहीं है, हाल ही में मध्यप्रदेश के नगरीय निकाय चुनाव में कमलनाथ ने हिंदुत्ववादी दिखने का भरसक प्रयास किया था। प्रचार के दौरान मंदिर-मंदिर पूजा-अनुष्ठान और साष्टांग दंडवत प्रणाम जैसी स्थितियां कमलनाथ के लिए आम हो गयी थीं। बीते दिनों चुनाव प्रचार के लिए उज्जैन पहुंचे कमलनाथ महाकाल मंदिर गए थे और वहां देर तक पूजा—अर्चना की थी। कमलनाथ पूरी तरह महाकाल के भक्त के रूप में नजर आए, ऐसा लग रहा था कि वो सॉफ्ट हिंदुत्व की ओर स्वयं को बढ़ाने की जुगत में लगे हुए हों। यही नहीं हनुमान भक्त, नर्मदाजी के दर्शन क्या कुछ नहीं किया पर हाल ही में नकुलनाथ के कर्म ने उनकी वास्तविक तस्वीर साफ कर दी कि कमलनाथ का किया गया सब नौटंकी था।

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जिस कांग्रेस में राहुल गांधी जैसे एक दिवसीय जनेऊधारी हों, प्रियंका वाड्रा जैसी हिन्दू सिंघनी हों, उस कांग्रेस का कोई क्या ही बिगाड़ लेगा। क्या ही कर लिया अब तक किसी ने, पूरे देश में गिनी चुनी 2 सरकारें ही तो रह गयी हैं, वो तो शह और मात का खेल है। अधिकांश नेता ही तो पार्टी छोड़ गए, तो क्या हुआ नये आ जाएंगे। लेकिन कांग्रेस अपनी मूल प्रवृत्ति को कैसे त्याग सकती है। सेक्युलरिज़्म की आड़ में एक धर्म विशेष की पिट्ठू बन चुकी कांग्रेस को आज भी उसी ढर्रे पर चलने का निर्देश मिला हुआ है क्योंकि सबका मालिक “आलाकमान।” जो निर्देश 10 जनपथ की चारदीवारी में हुई चार लोगों के बीच चर्चा से निकलकर आएंगे उसी का अनुसरण एक-एक नेता और एक-एक कार्यकर्ता को करना होता है। लीक से हटकर और पार्टी लाइन से इतर एक भी कदम मैडम, चश्मोचिराग और दीदी की नज़र के सामने आपको नीचे लाने में क्षणभर भी नहीं लगाएगा।

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नकुलनाथ के इस एक कर्मकांड ने कमलनाथ के नगरीय निकाय चुनाव में किए-धरे पर पानी फेर दिया। चूंकि राज्य की सभी 230 विधानसभा सीटों पर अगले साल के अंत में चुनाव होने हैं इसलिए कमलनाथ अभी से मंदिरों के भ्रमण और वनविहार के कार्यक्रम पर निकले थे पर उन्हीं के सुपुत्र नकुलनाथ ने “टीका मिटाने” का कुकर्म सबके सामने कर दिया। अन्तोत्गत्वा अब कांग्रेस की तुष्टीकरण वाली नौटंकी देश में सबके सामने है और आगामी चुनावों के निर्णय इसका प्रतिकार ही समझा जाए जो जनता करने वाली है।

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