भारतीय सेना को भी जाति के नाम पर बदनाम करने का अभियान चलाया जा रहा है

यह लोग अपनी घटिया हरकतों से बाज नहीं आएंगे!

Agnipath Scheme

Source- TFIPOST HINDI

“रामचन्द्र कह गए सिया से ऐसा कलयुग आएगा, हंस चुगेगा दान दुनका, कौवा मोती खाएगा”, यह कथन आज के युग में कितना सत्य और कटु सिद्ध होगा किसने भला सोचा होगा। विरोध के लिए विरोध करना वर्तमान विपक्ष के लिए कोई नई बात नहीं परंतु सेना भर्ती में भी जातिवाद का विष ढूंढने वाले इन कुंठितों को कौन क्या ही समझा सकता है। इस आर्टिकल में हम विस्तार से जानेंगे कि कैसे अग्निपथ योजना के प्रति अपनी घृणा के कारण विपक्ष अब अपना मानसिक संतुलन खो चुका है और कैसे वे जातिवाद के नाम पर भारत में अराजकता फैलाने पर जुटे हुए हैं।

उदाहरण के लिए इस 9वीं फेल गंवार को देख लीजिए! जी हां, हम तेजस्वी यादव की बात कर रहे हैं जिन्हें कागज में देखकर हिन्दी बोलने में भी सांस फूल जाती है। महाशय ने ट्विटर पर लिखा, “जात न पूछो साधु की लेकिन जात पूछो फौजी की, संघ की BJP सरकार जातिगत जनगणना से दूर भागती है लेकिन देश सेवा के लिए जान देने वाले अग्निवीर भाइयों से जाति पूछती है। ये जाति इसलिए पूछ रहे है क्योंकि देश का सबसे बड़ा जातिवादी संगठन RSS बाद में जाति के आधार पर अग्निवीरों की छंटनी करेगा” –

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अरे बुड़बक, खुद की कुंठा में देश की सेना पर उंगली उठाने चले हो? तेजस्वी ने आगे लिखा, “आजादी के बाद 75 वर्षों तक सेना में ठेके पर “अग्निपथ” व्यवस्था लागू नहीं थी। सेना में भर्ती होने के बाद 75% सैनिकों की छंटनी नहीं होती थी लेकिन संघ की कट्टर जातिवादी सरकार अब जाति/धर्म देखकर 75% सैनिकों की छंटनी करेगी। सेना में जब आरक्षण है ही नहीं तो जाति प्रमाणपत्र की क्या जरूरत?”

अब आते हैं मोदी विरोध में आकंठ डूबे हुए दूसरे महाशय आम आदमी पार्टी वाले संजय सिंह पर। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, “मोदी सरकार का घटिया चेहरा देश के सामने आ चुका है। क्या मोदी जी दलितों/पिछड़ों/आदिवासियों को सेना भर्ती के क़ाबिल नही मानते? भारत के इतिहास में पहली बार “सेना भर्ती “ में जाति पूछी जा रही है। मोदी जी आपको “अग्निवीर” बनाना है या “जातिवीर”-

 

अब एक गरीबों के शत्रुघ्न सिन्हा भी हैं अपने बिरादरी में, नाम है वरुण गांधी! उन्होंने भी ट्वीट कर लिखा, “सेना में किसी भी तरह का कोई आरक्षण नहीं है पर अग्निपथ की भर्तियों में जाति प्रमाण पत्र मांगा जा रहा है। क्या अब हम जाति देख कर किसी की राष्ट्रभक्ति तय करेंगे? सेना की स्थापित परंपराओं को बदलने से हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा पर जो प्रभाव पड़ेगा उसके बारे में सरकार को सोचना चाहिए” –

 

कोई इन कुंठितों को यह बताए कि यह व्यवस्था आसमान से नहीं टपकी है अपितु वर्षों से चली आ रही है। बायोडेटा में नाम, पता, जाति इत्यादि काफी पहले से ही मांगी जाती रही है। किसी भी सरकारी फॉर्म में जाति का एक कॉलम हमेशा से रहा है और उससे SC-ST और OBC के लोगों को फी में कुछ छूट मिलती है लेकिन मोदी विरोध में आकंठ डूबी हुई हमारी देश की विपक्ष पार्टियों का फोकस सिर्फ विरोध पर है। वे क्यों विरोध कर रहे हैं, किस कारण से विरोध कर रहे हैं, विरोध करने के पीछे के तथ्य हैं, उससे इनका कोई लेना देना नहीं है! गलत चीज का विरोध करना किसी शास्त्र में पाप नहीं है परंतु जो कर्मकांड विपक्ष कर रहा है उसके चक्कर में अब लोगों को विपक्ष का अर्थ ही निरर्थक प्रतीत होने लगा है और उसके लिए स्वयं वर्तमान विपक्ष ही दोषी है।

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