‘दिवालिया’ होने की कगार पर खड़ी ओला अपने इस कदम से रसातल में पहुंच जाएगी!

इसे कहते हैं गरम राख से पैर हटाकर खनखनाती भट्टी में डालना!

OLA, Bhavish Aggrawal

Source- TFI

हाल ही में यह खबर सामने आई है कि राइड हेलिंग कंपनी ओला अपने इलेक्ट्रिक मोबिलिटी बिजनेस हेतु करीब 1,000 कर्मचारियों को नौकरी से निकालने की प्रक्रिया में है। छंटनी संख्या का अनुमान लगभग 400-500 था लेकिन खबरों की मानें तो अंतिम आंकड़ा लगभग 1,000 को छू सकता है। इससे पहले, पिछले महीने ओला ने अपनी क्विक कॉमर्स और प्रयुक्त कारों के कारोबार ओला डैश यूज्ड कार को बंद करने की घोषणा की थी। कंपनी ने इल्केट्रिक वाहनों पर अपना ध्यान केंद्रित करने के लिए यह कदम उठाया था और इसी बीच अब कर्मचारियों की छंटनी ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। हालांकि, इस समय कंपनी में चल रहा आंतरिक पुनर्गठन कंपनी में काम कर रहे कर्मचारियों को भारी पड़ सकता है। जहां एक ओर ओला अपने ईवी मोबिलिटी बिजनेस के लिए आक्रामक रूप से हायरिंग कर रहा है वही दूसरी ओर वह उसकी दूसरी इकाइयों में काम कर रहे कई कर्मचारियों को नौकरी से निकाल रहा है।

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ध्यान देने वाली बात है कि ओला कंपनी सीधे तौर पर लोगों को नौकरी से निकालने के बजाए कर्मचारियों को स्वेच्छा से इस्तीफा देने के लिए कह रही है ताकि मार्किट में उसकी रही-सही इज्जत बची रहे। इस बात का खुलासा ओला के एक कर्मचारी ने ईटी से किया जब उसने बताया कि ‘कंपनी कई ऐसे कर्मचारियों की मूल्यांकन प्रक्रिया में देरी कर रही है, जिन्हें कंपनी बर्खास्त करना चाहती है ताकि वे इस्तीफा दें।’

पहले तो ओला ने ओला डैश यूज्ड कार, ओला फ्लीट, ओला फाइनेंशियल सर्विसेज और ओला फूड्स जैसे कई नावों में अपना पैर एक साथ डाल दिया और जब नाव डगमगाने लगी तो ओला ने ओला कैफे, ओला फूड्स, फूड पांडा और ओला डैश को बंद कर दिया। लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी क्योंकि जितना भी पैसा ओला के मालिक भाविश अग्रवाल ने इन इकाइयों में लगाया था अब वह वापिस तो आने वाला नहीं था। नीतजतन ओला पर बोझ बढ़ता चला गया और कंपनी को अपनी कई इकाइयों को बंद करना पड़ा। एक साथ कई जगह हाथ मारने वाली ये महत्वाकांक्षाएं भाविश अग्रवाल को बहुत भारी भी पड़ी और महंगी भी।

ओला की इलेक्ट्रिक महत्वाकांक्षाएं

वैसे तो राइड-हेलिंग ओला कंपनी काफी लंबे समय से अपने ईवी मोबिलिटी व्यवसाय की ओर काम कर रही है। ओला डैश के बंद होने के बाद यह कंपनी और भी तेजी से ईवी मोबिलिटी व्यवसाय की ओर बढ़ी है। खबरों के अनुसार, 12 जुलाई को ओला इलेक्ट्रिक ने स्वदेशी रूप से विकसित लिथियम-आयन सेल का अनावरण किया जिसका बड़े पैमाने पर उत्पादन वर्ष 2023 में ओला गिगाफैक्ट्री में शुरू होने वाला है। उसके एक हफ्ते बाद स्टार्टअप ने बेंगलुरु में अपना बैटरी इनोवेशन सेंटर (BIC) स्थापित करने के लिए $500 मिलियन का निवेश करने की अपनी योजना की घोषणा की। 28 जुलाई को ओला इलेक्ट्रिक ने भारत में उन्नत रसायन कोशिकाओं के निर्माण के लिए सरकार की PLI योजना के तहत मिनिस्टरी ऑफ़ हैवी इंडस्ट्रीज के साथ INR 18,100 करोड़ का एक समझौता किया।

हालांकि, ओला बहुत ज़ोर-शोर से अपने ईवी व्यवसाय की ओर काम कर रहा है लेकिन इलेक्ट्रिक वाहनों को लेकर ओला का इतिहास पहले ही बहुत खराब रहा है और लोगों को ओला के इलेक्ट्रिक वाहनों पर लेश मात्र भी विश्वास नहीं रहा है। कारण है पिछले वर्ष अगस्त में ओला के लांच किये गए  Ola S1 और S1 Pro इलेक्ट्रिक स्कूटर, जिन्होंने पहले तो बहुत सकारात्मक सुर्खियां बटोरी लेकिन लॉन्च के 9 महीने बाद ओला के इन वाहनों में कई तकनीकी समस्याएं आने लगी। कई जगहों पर तो ओला के इस ईवी में अपने आप आग लगने के मामले भी सामने आ गए। इन सबके ऊपर ओला की कस्टमर केयर सर्विस के कारनामों से तो सभी अवगत हैं। कस्टमर केयर सर्विस ने अपने ग्राहकों की परेशानियों का निपटारा करने से इतर उनकी परेशानियों को जमकर बढ़ाया है। ऐसे में लोगों का भरोसा भी इस कंपनी से उठता जा रहा है।

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आपको बताते चलें कि पिछले कुछ समय से ओला कंपनी केवल घाटे में ही चल रही है। FY21 की रिपोर्ट के अनुसार, ओला के राइड-हेलिंग व्यवसाय ने INR 328 करोड़ का नुकसान झेला और इसके कैब-लीजिंग व्यवसाय में INR 653.5 करोड़ का नुकसान हुआ। ओला के संग्रह में भी काफी गिरावट आई। वित्त वर्ष 2020 में INR 2,096 करोड़ का संग्रह घटकर वित्त वर्ष 2021 में केवल INR 884.3 करोड़ रह गया और यह गिरावट लगभग 57.8 फीसदी है।

इसके अलावा, यह पहली बार नहीं है कि ओला अपने कर्मचारियों को काम से निकाल रहा है। इससे पहले ओला डैश और ओला कारों को बंद करने के दौरान भी कंपनी ने लगभग 3,500 कर्मचारियों को निकाल दिया था। अब एक बार फिर से कर्मचारियों की ऐसी छंटनी भाविश अग्रवाल के नेतृत्व और उनके बिज़नेस की समझ पर प्रश्न उठाती है। साथ ही जिस ईवी व्यवसाय को बनाने के लिए वो इतना खर्च कर रहे हैं और उधार भी ले रहे हैं उसकी सफलता भी संशय के घेरे में है। ऐसे में केवल एक प्रश्न उठता है कि ओला की यह कंपनी और कितने समय की मेहमान है?

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