‘देवदास’ का महालेट और अत्यंत फ्रस्ट्रेटेड रिव्यू

ऐसा स्कैम कहीं न देखने को मिले.

Devdas

Source- Google

एक छोरा और छोरी बचपन से प्रेम में पड़े परंतु बिरादरी न मानी। अब छोरा बन गया शराबी और शराब के नशे में टुन्न होकर उसी के द्वार पर अपने प्राण त्याग दिए। आप भी कहोगे कि कितना वेला और गया गुजरा आदमी है। परंतु लगाओ इसमें बॉलीवुड का तड़का और बनाओ छोरे को शाहरुख खान और हो गई तैयार देवदास। इस लेख में हम 21वीं सदी के सबसे बड़े झोल में से एक के बारे में जानेंगे, जिसे जानकर आपको किंगफिशर, 2 जी, स्टॉक मार्केट 2008 इत्यादि के घोटाले इत्यादि सब नगण्य लगेंगे। ये कथा है ‘देवदास’ की, जिस पर पी सी बरुआ से लेकर के एल सैगल, दिलीप कुमार, सौमित्र चैटर्जी इत्यादि सभी ने हाथ आजमाए हैं पर जो रायता 20 वर्ष पूर्व संजय लीला भंसाली ने अपने ‘देवदास’ से फैलाया उतना तो इन सब ने अपने पूरे जीवन में मिलकर भी नहीं किया होगा।

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यह कथा प्रारंभ होती हैं वर्ष 2000 के प्रारम्भिक दशक से जब युवा पीढ़ी पॉप म्यूज़िक और इंडियन क्रिकेट के पीछे हाथ धोकर पड़ी हुई थी और बुढ़ऊ पीढ़ी को सास बहु सीरियल के चरस ने आकर्षित किया था। अब इसी क्षेत्र में संजय लीला भंसाली भी कूद पड़े और उठा लिए बंगाली बाबा का चूरन! क्षमा करें, उन्होंने उठा लिया बंगाली बाबू का साहित्य और फिर से सिल्वर स्क्रीन पर ले आए 1917 का उपन्यास ‘देवदास’। वही पुराने घिसे पिटे, वही संवाद, कोई नयापन नहीं, बस सेट में परिवर्तन कराकर। ऊ का कहत हैं अंग्रेजी में ‘ओल्ड वाइन इन न्यू बॉटल।’ देवदास तो वही है और फिर लोग पूछते हैं कि बॉलीवुड को कोई सीरियसली क्यों नहीं लेता। “कौन कमबख्त बर्दाश्त करने के लिए पीता है, मैं तो इसलिए पीता हूं कि सांस ले सकूं।” यह वो संवाद है जिसे काफी प्रचारित प्रसारित किया गया।

भई, एक दिलीप बाबू कम थे कि दूसरे ले आए? इसको अगर एक्टिंग कहते हैं तो फिर इससे बेहतर एक्टिंग तो हमारे देश के कुछ नेता गांधी जयंती पर कर लेते हैं। परंतु शाहरुख खान ने जैसी एक्टिंग देवदास में की है वो इससे बेहतर एक्टिंग कर सकते हैं और कई फिल्मों में उन्होंने अच्छी एक्टिंग की भी है, पर इसमें तो बिल्कुल भी नहीं! ध्यान देने वाली बात है कि देवदास के लिए इन पर पुरस्कार पर पुरस्कार लुटाए गए थे? इसके लिए अजय देवगन से फिल्मफेयर का बेस्ट एक्टर पुरस्कार छीना गया था जबकि उसी वर्ष उन्होंने सरदार भगत सिंह के रूप में सभी को अपने अभूतपूर्व अभिनय से मीलों पीछे छोड़ दिया था। वो तो कहो नेशनल अवार्ड्स में इस लेवल की नौटंकी को प्लेटफ़ॉर्म नहीं मिलता अन्यथा शाहरुख खान वहां भी बेस्ट एक्टर का अवार्ड उड़ा लेते।

और अभी तो हमने इस फिल्म की दो स्टार कलाकारों के बारे में चर्चा भी नहीं की है – ऐश्वर्या राय एवं माधुरी दीक्षित। एक होती हैं उत्कृष्टता, फिर आती हैं रम्यता। पर इन दोनों ने क्या किया है, ये वही जानें। माधुरी तो फिर भी अपने नृत्य कला के कारण कुछ हद तक अपना सम्मान बचा गई परंतु ऐश्वर्या राय तो अलग ही लोक में थी मानो दीन दुनिया से कोई वास्ता नहीं और कभी-कभी तो लगता है कि यदि इस फिल्म का म्यूज़िक लेवल थोड़ा अच्छा न होता तो फिर इस फिल्म का क्या हाल होता। जब देवदास आई थी तो इसके भव्य सेट और इसके आकर्षक म्यूज़िक को देखते हुए लगा था कि वाह क्या फिल्म है, ऐसी फिल्म सालों साल न मिलने वाली है पर अब देखते हैं तो इसके तौर तरीके देख एक ही ख्याल मन में में आता है कि यह स्कैम के अलावा और कुछ नहीं है।

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