इतिहास में बड़े-बड़े फन्ने खां आपने देखे होंगे परंतु कुछ ऐसे भी फेंकू हैं जिनके कारनामे देखकर आपको समझ नहीं आएगा कि हंसे या रोएं। देखो भाई, स्ट्रगल सबके जीवन में किसी न किसी प्रकार के आए ही होंगे, कुछ उस स्ट्रगल को पार कर विजयी भी होते हैं तो वहीं कुछ के स्ट्रगल, स्ट्रगल कम झोल अधिक प्रतीत होते हैं।
क्या सच में शाहरुख खान को स्ट्रगल करना पड़ा?
इस लेख में हम जानेंगे कि कैसे शाहरुख खान के कथित स्ट्रगल को इतना बढ़ाचढ़ाकर पेश किया गया। देखो बंधु, जब सुशांत सिंह राजपूत की असामयिक मृत्यु हुई थी, तो सबसे बड़ा विवाद इसी बात पर उपजा था कि आखिर किस कारण उन्हें बॉलीवुड में साइडलाइन किया गया था। वो कारण था वंशवाद और इसके पीछे लगभग अंतहीन वाद विवाद का दौर चला था। उसमें कई अभिनेताओं के स्ट्रगल और उनके किस्सों की चर्चा चली, जिसमें से एक शाहरुख खान भी शामिल थे। विचित्र बात तो यह थी कि शाहरुख खान को ‘मध्यम वर्गीय परिवार से संबंधित लड़के’ के रूप में चित्रित किया गया, जिसे फिल्म उद्योग में आने के लिए काफी स्ट्रगल करना पड़ा। विश्वास नहीं होता तो इन हेडलाइंस को अवश्य देख लीजिए –
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शाहरुख भाईजान की स्ट्रगल जिसे रचा गया
परंतु एक बात नहीं समझ आती कि जिसके पुरखों में आज़ाद हिन्द फौज के बहुचर्चित अफसर, मेजर जनरल शाह नवाज़ खान हों, जिन्हें एक नहीं बल्कि चार बार लोकसभा में कांग्रेस की ओर से निर्वाचित किया गया हो, जिसके स्वयं के पिता का उठना बैठना खान अब्दुल गफ्फार खान यानी फ़्रंटियर गांधी जैसे लोगों के साथ रहा हो, जिसकी प्रारम्भिक शिक्षा सेंट कोलंबस स्कूल में हुई हो, जहां एडमिशन कराने में दिल्ली के अभिभावकों के पसीने छूट जाते हैं, क्या ऐसे व्यक्ति ने सच में स्ट्रगल किया भी है? फिर तो शाहरुख भाईजान की स्ट्रगल वैसे ही है, जैसे दीपिका मैडम का डिप्रेशन, आगे आप स्वयं समझदार है।
ऐसे में शाहरुख़ खान की ग़रीबी, फटेहाली, मां का मिट्टी तेल का डिपो, फटी शर्ट की कहानी सुनने और सुनाने वालों को पता होना चाहिए कि शाहरुख़ भारत के बेहद अमीर और प्रतिष्ठित परिवार से हैं। सच पूछिए तो इमेज होती नहीं है बल्कि बनायी जाती है, बनानी पड़ती है, स्ट्रगल की कहानी के बिना किसी को मज़ा नहीं आता।
शाहरुख़ के दादा तो दक्षिण भारत के बड़े कॉन्ट्रैक्टर थे, नाना स्वयं ऑक्सफ़ोर्ड विश्वविद्यालय से इंजीनियर थे। मां भी ऑक्सफ़ोर्ड में पढ़ी थी और दिल्ली में मजिस्ट्रेट थी, जिनका इंदिरा गांधी से गहरा नाता था। जिस शाहरुख खान की मित्र अमृता सिंह हो, और कलीग में अरुंधति रॉय हो, जो स्वयं उच्च खानदान से आती हैं, उसने स्ट्रगल किस एंगल से किया है भैया।
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जब टीवी के नाम पर सिर्फ दूरदर्शन था, तब जान-पहचान ऊंची होने के कारण फ़ौजी सीरियल में काम मिल गया। दूरदर्शन में अभी भी ऐसा ही होता है। हेमामालिनी की बनाई फ़िल्म दिल आशना है में मौक़ा मिला। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि ज्ञान के अभाव में शाहरुख खान को अपने ‘स्ट्रगल’ की कहानियों से लोगों को भ्रमित करने का भरपूर अवसर मिला। परंतु अब जनता इनके बहकावे में नहीं आने वाली, और जब तापसी पन्नू के ‘शाबाश मिट्ठू’ को नहीं छोड़ा गया, तो किंग खान किस खेत की मूली?
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