स्वतंत्रता के बाद पहली बार अनाज पर लगा टैक्स, एक इस दौर का सबसे बड़ा ‘स्कैम’ है

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने दूध का दूध और पानी का पानी कर दिया है!

Nirmala Sitaraman

Source- TFIPOST.in

जब से मोदी सरकार सत्ता में आई है ऐसा लगने लगा है कि विपक्ष के पास राजनीति करने के लिए मुद्दे ही नहीं बचे। इसलिए तो मोदी सरकार द्वारा लाए गए हर फैसले का विरोध करना ही इन विपक्षी पार्टियों ने अब अपना एक एजेंडा ही बना लिया है। विपक्षी पार्टियों ने तय कर लिया है कि मोदी सरकार कोई भी फैसला लें, यह उसका विरोध ही करेंगे चाहे वे भी इन फैसलों में स्वयं भागीदारी रखते हो। ऐसा ही कुछ एक बार फिर से होता दिखाई दे रहा है।

दरअसल, हाल ही में सरकार द्वारा खाद्य पदार्थों से जुड़ी कुछ वस्तुओं पर जीएसटी लगाने का निर्णय लिया। दूध, दही, चावल, आटे समेत रोजमर्रा की उपयोग में आने वाली कई चीजों पर जीएसटी लगाया गया, जिसके बाद से ही सरकार के इस फैसले का चौतरफा विरोध होता हुआ दिखाई दे रहा है। विपक्षी पार्टियां आम जनता पर महंगाई के बोझ को बढ़ाने के लिए सरकार को जमकर घेरती नजर आ रही है। परंतु अब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक साथ कई ट्वीट्स के माध्यम से तमाम आलोचनाओं का जवाब दिया और बताया कि कैसे जो विपक्ष जीएसटी लगाने पर इतना बवाल काट रहा है, उसकी सरकारें जिन राज्यों में है वो भी इस फैसले का हिस्सा रहीं।

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विपक्षी नेताओं का निर्मला सीतारमण का जवाब

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने खाद्य वस्तुओं पर जीएसटी लगाने के फैसले को लेकर हो रहे विरोध पर एक के बाद एक 14 ट्वीट्स किए। अपनी इस ट्वीट्स के जरिए वित्त मंत्री ने स्पष्ट किया कि गैर-भाजपा शासित राज्यों समेत सभी राज्यों की मंजूरी के बाद आटा समेत अन्य वस्तुओं पर 5 प्रतिशत जीएसटी (GST) लगाने का निर्णय लिया गया।

वित्त मंत्री ने बताया कि विपक्ष जो यह कहकर हो-हल्ला मचा रहा है कि आजादी के बाद पहली बार अनाज पर टैक्स लगाया जा रहा है। ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है, जब इन खाद्य पदार्थों पर टैक्स लगाया जा रहा हो। जीएसटी व्यवस्था लागू होने से पहले राज्य में खाद्यान्न पर कर के माध्यम से राजस्व एकत्र कर रहे थे। अकेले खरीद कर के जरिए पंजाब ने खाद्यान्न पर दो हजार करोड़ रुपये से अधिक का टैक्स एकत्र किया। उत्तर प्रदेश ने 700 करोड़ रुपये इसके माध्यम से जुटाए। वित्त मंत्री के अनुसार जीएसटी व्यवस्था से पहले राज्य खाद्यान्न की ब्रिकी पर टैक्स या वैट लगाते थे।

निर्मला सीतारमण ने अपने ट्वीट के जरिए यह भी बताया कि “इन खाद्य वस्तुओं पर निर्णय सभी राज्यों की मंजूरी के बाद ही लिया गया। इसमें गैर-भाजपा शासित राज्य पंजाब, छत्तीसगढ़, राजस्थान, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और केरल की सरकार भी शामिल थी, जिन्होंने 5 प्रतिशत जीएसटी लगाने के फैसले पर सहमति जताई।” वित्त मंत्री के अनुसार यह फैसला GST परिषद द्वारा सर्वसम्मति से लिया गया, जिसमें सभी राज्य उपस्थित थे। यानी जो कांग्रेस जीएसटी लगाने के फैसले का इतना विरोध कर रही है, उसकी सरकारें जिन राज्यों में है वो भी इस फैसले पर सहमत थीं। परंतु अब कांग्रेस द्वारा इसी मुद्दे को उठाकर खूब राजनीति की जा रही है।

वहीं इसके अतिरिक्त अपनी अन्य ट्वीट्स में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यह भी बताया कि आखिर क्यों सरकार ने इन वस्तुओं पर जीएसटी लगाने का निर्णय लेने पड़ा। उन्होंने बताया कि “GST की शुरुआत के साथ ब्रांडेड अनाज, दाल, आटा पर 5 प्रतिशत कर की व्यवस्था लागू की गई। परंतु बाद में इसका दुरुपयोग होता हुआ दिखा। जिस कारण इन वस्तुओं पर GST राजस्व में गिरावट देखने को मिली। इस प्रकार के दुरुपयोग को रोकने के लिए आपूर्तिकर्ताओं और उद्योग ने सरकार से पैकिंग वाली वस्तुओं पर एक समान GST लगाने की मांग की। इसके बाद पैकेज्‍ड और लेबलयुक्‍त उत्‍पादों पर GST लागू करने का प्रस्‍ताव पेश किया गया।”

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निर्मला सीतारमण ने इस दौरान यह भी स्पष्ट किया कि केवल पैक्ड और लेबल खाद्य वस्तुओं पर ही जीएसटी लगाया जाएगा। खुले में और बिना प्री-पैक और प्री-लेबल के वस्तुओं को बेचा जाता है, तो इस पर जीएसटी लागू नहीं होगा। इसका मतलब यह है कि अगर आप खुले में सामान खरीदेंगे तो उस पर जीएसटी नहीं लगेगा। इसमें गेहूं, दाल, ओट्स, चावल, मकई, राई, आटा, बेसन, सूजी, मूढ़ी, दही और लस्सी शामिल है।

इसका मतलब यह हुआ कि विपक्ष खाद्य वस्तुओं पर जीएसटी लगाने को लेकर दोहरा रवैया दिखा रहा था। एक और तो इनकी सरकार जिन राज्यों में सत्ता में है, वे इन सामानों पर जीएसटी लगाने के समर्थन में थी। दूसरी ओर इन्हीं के तमाम नेता सरकार के फैसले का विरोध कर रहे थे। हालांकि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आम जनता के आगे इन विपक्षी नेताओं के इस दोहरे रवैये के पीछे की सच्चाई सामने लाकर रख दी।

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