अब घोड़ों की रेस में गधे भी दौड़ेंगे, हईं! कुछ ऐसा ही हाल आज पाकिस्तान का है जो मजाक की कोई सीमा ही नहीं रख पा रहा है। वो पाकिस्तान जिसके खाने-पीने के लाले पड़े हुए हैं, वो पाकिस्तान जो देश को चलाने के लिए भीख पर आश्रित हो, वो पाकिस्तान जो आतंक का पालनहार रहा हो, जब वो पाकिस्तान यह कहे कि उसे UNSC संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता मिलने का ऑफर मिला है तो एक समान रूप से हंसी की आवाज़ आती है।
ये तो बेहद हास्यास्पद है
इससे हास्यास्पद क्या ही हो सकता है जब किस्तों पर देश चल रहा हो और उसके बावजूद घमंड ऐसा कि बहुत बड़ी तोप गाढ़ ली हो। जिस UNSC की सीट के लिए भारत को अब तक संघर्ष करना पड़ रहा है उसका ऑफर पाकिस्तान को आया हो, कोई इसकी भूल से भी परिकल्पना नहीं कर सकता है। लेकिन क्योंकि मियां जी की सरकार कह रही है तो उसकी विवेचना कर उसका पर्दाफाश करना भी तो ज़रूरी हो जाता है।
दरअसल, पाकिस्तान के मुंगेरी लाल के हसीन सपनों में से एक कुछ संपन्न पश्चिमी देशों ने पाकिस्तान को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता के लिए अपनी उम्मीदवारी शुरू करने की पेशकश की ताकि संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष निर्णय लेने वाले निकाय में सुधार के लिए चल रहे गतिरोध को तोड़ सकें। हालांकि, दयालु और महाकृपालु पाकिस्तान ने प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया क्योंकि उसने इस कदम को कुछ देशों द्वारा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सीटों के विस्तार का विरोध करने वाले समूह को कमजोर करने की रणनीति के हिस्से के रूप में देखा।
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कितनी विडंबना की बात है कि UNSC के स्थायी सीट पाकिस्तान को मिलने से रही पर वो प्रचार ऐसे कर रहा है जैसे पूरा निकाय उसे स्थायी सदस्य बनाने के लिए आतुर हुआ बैठा है याचना कर रहा है कि “सदस्य” बन जाओ। लेकिन हालत इतनी तंग है कि पाकिस्तान को अपने गुजारे के लिए उन गिने चुने देशों से “ऋण” वाली भीख लेनी पड़ रही है क्योंकि देश उस कंगाली से जूझ रहा है जहां आभूषण तो दूर सब्जी खरीदने में लोगों के पसीने छूट रहे हैं। ऐसी पस्त हालत वाले देश को भारत से पहले यदि ऑफर आता है तो निस्संदेह या तो स्वप्न होगा या सदी का सबसे बड़ा झूठ।
अब जब स्वयं पाकिस्तान के वित्त मंत्री मिफ्ता इस्माइल ने कहा है कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा उजागर किए गए विदेशी भंडार में अंतर को पाटने के लिए पाकिस्तान को इस महीने मित्र देशों से 4 बिलियन अमरीकी डालर मिलने की संभावना है। तो समझा जा सकता है कि किस बदतर हालत और आर्थिक तंगी में पाकिस्तान पहुंच गया है। यह सब वित्त मंत्री मिफ्ता इस्माइल ने वैश्विक ऋणदाता के साथ एक समझौते पर पहुंचने के दो दिन बाद कहा है। डॉन अखबार ने कहा कि 6 अरब अमेरिकी डॉलर की ऋण मिलने जा रहा है। ज्ञात हो कि, इस्माइल ने शनिवार को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) द्वारा उजागर विदेशी भंडार में कमी का उल्लेख किया था।
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पाकिस्तान के दावे की पोल खुल गयी
वास्तविकता को सामने लाने में अधिक समय नहीं लगता है। भारतीय पक्ष ने पाकिस्तान के इस दावे की पोल खोल दी। पाकिस्तान के अखबार एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी के हवाले से कहा, ‘कुछ शक्तिशाली देशों ने हमसे संपर्क किया था और कहा था कि पाकिस्तान को भी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता के लिए अपनी दावेदारी शुरू करनी चाहिए।’ पाकिस्तान ने यह कहकर इस ऑफर को खारिज कर दिया कि यह वास्तविक नहीं है और इसे इसलिए दिया गया है ताकि इस्लामाबाद यूएफसी से हट जाए। यूएफसी सुरक्षा परिषद के विस्तार का विरोध कर रहा है। दरअसल, पाकिस्तान को अहसास है कि वह सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य नहीं बन पाएगा और भारत इसके लिए पूरी तरह से हकदार है। यही वजह है कि उसने इस कथित ऑफर को ठुकरा दिया ताकि भारत को रोका जा सके।
सारगर्भित बात यही है कि, पाकिस्तान का यह दावा कि उसे UNSC की सीट का ऑफर मिला है मात्र अपनी रही बची साख को मजबूत रखने के लिए किया गया। वहीं हाथ कांगन को आरसी क्या, पढ़े लिखे को फ़ारसी क्या, पल भर में मुंगेरी लाल के हसीन सपने धराशाई हो गए और उसका पूरा चिटठा सबके सामने आ गया। अंततः UNSC सीट धारक बनने वाले दावे को सबसे बड़े मज़ाक का उपयुक्त उदाहरण के रूप में रेखांकित किया जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी।
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