भारतीय रुपये में आयात-निर्यात का निपटारा वैश्विक व्यवस्था को बदलकर रख देगा

सर्वशक्तिमान पेट्रो डॉलर को चुनौती देने आ गया है रुपया!

dollar rupee

Source- TFIPOST.in

आप अपने शत्रु का विध्वंस करने के लिए किस स्तर तक जा सकते हैं? आप उसे मौखिक रूप से ध्वस्त कर सकते हैं। आप विचारों से, तर्क से उसकी बोलती बंद कर सकते हैं, परंतु भारत ने अब एक नया मार्ग अपनाया है। अपने विरोधियों को ध्वस्त करने के लिए भारत ने उस मार्ग को चुना है, जिससे उसके विरोधी सबसे अधिक भयभीत हैं।

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) रुपये (Indian Rupees) में इंटरनेशनल ट्रेड सेटलमेंट के लिए एक ठोस विकल्प लेकर आया है। आरबीआई ने सोमवार को इस बारे में बैंकों को लेकर स्पष्ट दिशा निर्देश दिए हैं। आरबीआई ने कहा कि बैंक भारतीय मुद्रा में आयात एवं निर्यात के निपटारे के लिए अतिरिक्त इंतजाम करें। वैश्विक कारोबारी समुदाय की बढ़ती दिलचस्पी को देखते हुए आरबीआई ने यह कदम उठाया है। रिजर्व बैंक ने एक परिपत्र में कहा कि बैंकों को यह व्यवस्था लागू करने के पहले उसके विदेशी मुद्रा विभाग से पूर्व-अनुमति लेना जरूरी होगा।

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आरबीआई के अनुसार, “आरबीआई ने कहा, ‘‘भारत से निर्यात बढ़ाने पर जोर और भारतीय रुपये में वैश्विक कारोबारी समुदाय की बढ़ती दिलचस्पी को ध्यान में रखते हुए कदम उठाया गया है। वैश्विक व्यापार को बढ़ाने के लिए यह तय किया गया है कि बिल बनाने, भुगतान और रुपये में आयात/निर्यात के निपटान के लिए एक अतिरिक्त इंतजाम किया जाए।”
यही नहीं, आरबीआई के इस स्टेटमेंट के अनुसार, “ट्रेड सेटलमेंट के लिए संबंधित बैंकों को साझेदार कारोबारी देश के अभिकर्ता बैंक के विशेष रुपया वोस्ट्रो खातों की जरूरत होगी।” केंद्रीय बैंक ने कहा, ‘‘इस व्यवस्था के जरिए भारतीय आयातकों को विदेशी विक्रेता या आपूर्तिकर्ता से वस्तुओं या सेवाओं की आपूर्ति के इनवॉयस या बिल के एवज में भारतीय रुपये में भुगतान करना होगा। इसे उस देश के अभिकर्ता बैंक के खास वोस्ट्रो खाते में जमा किया जाएगा।’’

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अब इससे भारत को लाभ क्या होगा? बहुत लाभ होंगे, विशेषकर जब बात भारत और रूस में व्यापार के परिप्रेक्ष्य की हो। एक भारतीय कंपनी द्वारा ऐसा कदम उठाया गया है, जो अभी तो फायदा का सौदा दिख रहा है, लेकिन दीर्घावधि के लिए यह घातक भी साबित हो सकता है।

दरअसल, भारत की बड़ी सीमेंट निर्माता कंपनी अल्ट्राटेक (Ultratech) ने हाल ही में रूस के साथ 1,57,000 टन कोयले का आयात किया है। समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार कंपनी ने भारत के सबसे बड़े निजी बैंक HDFC की सहायता से युआन मुद्रा का भुगतान करके रूसी कोयला खरीदा है। रिपोर्ट के अनुसार अल्ट्राटेक के द्वारा रूस की कोयला उत्पादक कंपनी एसयूईके (SUEK) से 1,57,000 टन कोयला का आयात किया जा रहा है, जो रूस के पूर्वी बंदरगाह वानिनो से एमवी मंगस जहाज से भारत आ रहा है। रिपोर्ट में बताया गया कि यह सौदा 17,26,52,900 युआन यानी 25.81 मिलियन डॉलर का है। भारतीय रुपये में इस खेप का मूल्य करीबन 2 अरब डॉलर है।

ऐसे में RBI का वर्तमान निर्णय न केवल अमेरिकी डॉलर के प्रभुत्व को तोड़ने में सक्षम हैं, अपितु भारतीय मुद्रा को बल देने हेतु एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। इसके माध्यम से वो वैश्विक स्तर पर अमेरिका के डॉलर के प्रभुत्व को भी कम कर सकता है, और शीघ्र ही पेट्रोडॉलर का यह हाल होगा।

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