RRR में अपने नकारात्मक चित्रण से चिढ़े अंग्रेज, तो क्या आरती उतारते?

RRR देखकर अंग्रेज़ों की आत्मा किलस गयी है!

RRR

RRR में प्रदर्शित कुछ दृश्य देखकर अंग्रेज़ों की आत्मा ऐसे किलसने लगी है कि उन्होंने RRR को झूठ से परिपूर्ण बताते हुए इसे हिन्दू राष्ट्रवाद का प्रतीक बताया। दरअसल, कुछ ऐसे अंग्रेज घनचक्कर भी हैं जो अभी भी इसी भ्रम में जीते हैं कि वे सम्पूर्ण ब्रह्मांड के सरताज हैं और उनके एक आदेश पर सम्पूर्ण जगत उनके समक्ष नतमस्तक हो जाएगा।

हर तरफ RRR की हो रही है प्रशंसा

‘रौद्रम रणम रुधिरम’ यानी ‘RRR’ को प्रदर्शित हुए लगभग 4 माह हो चुके हैं परंतु उसकी प्रसिद्धि में तनिक भी कमी नहीं आयी है। क्या रूस, क्या जापान, क्या अमेरिका, हर जगह इसकी लोकप्रियता व्याप्त है। बड़े से बड़े लेखक, ऑस्कर विजेता निर्देशक तक इसके स्क्रीन प्ले की प्रशंसा के पुल बांधते नहीं थक रहे।

इसी बीच प्रसिद्ध अमेरिकी फिल्म ‘ग्रेमलिन्स’ के निर्देशक जो डानते [Joe Dante] ने इस फिल्म की प्रशंसा के पुल बांधते हुए इस पर भी प्रकाश डाला कि कैसे इस फिल्म ने ब्रिटिश साम्राज्यवाद के काले दिनों पर प्रकाश डालने का “साहसिक प्रयास” किया है। बस, इस पर ही कुछ अंग्रेज़ी फूफा बिदक गए और इन्हीं में से एक थे कथित इतिहासकार रॉबर्ट टोंब्स जिन्होंने फिल्म में ब्रिटिश उपनिवेशवाद की भयावहता और अंग्रेजों के क्रूर चित्रण को सिरे से नकारते हुए फिल्म में दिखाए गए दृश्यों को मूर्खतापूर्ण और अज्ञानता से परिपूर्ण बताया है।

ये तो मात्र प्रारंभ है । द स्पेक्टैटर नामक पोर्टल के लिए लिखे अपने हास्यास्पद लेख में महोदय बकते हैं, “हमने पिछली कुछ शताब्दियों में दुनिया भर में अहम भूमिका निभाई है, जिससे हमने दोस्तों के साथ-साथ काफी दुश्मन भी कमाए हैं। कई देशों ने खुद की झूठी वीरता की कहानियां गढ़ते हुए हमें खलनायक की भूमिका में दिखाया है”

और पढ़ें- RRR से मंत्रमुग्ध हुआ पश्चिम, ऑस्कर विजेता रेसूल पूकुटी के पेट में दर्द क्यों हो रहा है?

नौटंकी यहीं नहीं रुकी

पर यह नौटंकी यहीं नहीं रुकी। ये आगे कहते हैं, “नेटफ्लिक्स को इस फिल्म को बढ़ावा देने पर शर्म आनी चाहिए। आरआरआर हिंसक हिंदू राष्ट्रवाद को बढ़ावा देता है, जो भारतीय संस्कृति और राजनीति पर हावी हो रहा है जिसे मौजूदा सरकार ने हवा दी है। उन्होंने कहा, “फिल्म में ब्रिटिश अधिकारियों और सैनिकों को पूरे देश में घूमते और अपराध करते दिखाया गया, जो कि झूठ और सत्य से परे है। आरआरआर इतिहास के बारे में कुछ नहीं बताती, वो केवल सिंथेटिक भावनाओं को भड़काने की कोशिश करती है।”

सोचिए कि अगर RRR कृत्रिम भावनाओं को भड़काने का प्रयास कर रहा है तो आप लगभग दो सौ वर्ष तक हमारे मातृभूमि पर क्या कर रहे थे। “सरदार उधम” फिल्म में दिखाए गए कुछ दृश्य उसी जलियांवाला बाग के नरसंहार को दिखाते हैं जिसका आदेश वर्षों पूर्व आपके पुरखों ने दिया था, जिस पर माइकल ओ ड्वायर जैसे दुष्ट को बड़ा गर्व होता था और जिसके लिए आज तक न आपके वंशजों ने, न आपके देश और ना आपकी सरकार ने आधिकारिक तौर पर कभी क्षमा मांगी है। उस पर हमें बताते हैं आप कि हमारा नकारात्मक चित्रण क्यों कर रहें हैं? आपकी असल औकात बताने के लिए द लीजेंड ऑफ भगत सिंह के कई  हृदय विरादक दृश्य ही पर्याप्त हैं।

और पढ़ें- RRR में गांधी और नेहरू को भाव न देने के पीछे एक बहुत महत्वपूर्ण कारण है

TFI का समर्थन करें:

सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की राइट’ विचारधारा को मजबूती देने के लिए TFI-STORE.COM से बेहतरीन गुणवत्ता के वस्त्र क्रय कर हमारा समर्थन करें।

Exit mobile version