बॉलीवुड के लिए इस समय स्थिति बड़ी विकट है बंधु, आगे कुआं है तो पीछे खाई। जब कोविड की दूसरी लहर के पश्चात सिनेमाघर खुले तो आशा थी कि झंडे गाड़े जाएंगे परंतु हुआ इसका ठीक उल्टा और स्थिति ऐसी कि यदि एक ब्लॉकबस्टर न निकली तो बॉलीवुड का डूबना तय समझिए।
इस लेख में जानेंगे कि कैसे बॉलीवुड तो बॉलीवुड, रणबीर कपूर का करियर भी एक नाजुक डोर से लटका हुआ हैं जो उनके आगामी फिल्मों के फ्लॉप होते ही और खराब हो सकता है।
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ऐसे कैसे सब कुछ खत्म हो सकता है?
प्रश्न उठेगा भला ऐसा कैसे, अभी तो बहुत फिल्में हैं, ऐसे कैसे सब कुछ खत्म हो सकता है? परंतु सत्य सुनने का सामर्थ्य सब में नहीं है। कहने को अगस्त में आमिर खान की बहुप्रतीक्षित फिल्म लाल सिंह चड्ढा एवं अक्षय कुमार की ‘रक्षा बंधन’ बॉक्स ऑफिस पर 11 अगस्त को क्लैश करने वाली है पर इसमें जनता को उतनी ही उत्सुकता है, जितना विश्व कप में पाकिस्तान और नामीबिया के मैच में किसी को होगी।
फिर प्रश्न ये उठता है कि इसमें रणबीर बंधु की क्या भूमिका है? असल में इन पर बॉलीवुड की नैया पार लगाने का जिम्मा आ चुका है और इनकी दो बहुप्रतीक्षित फिल्में, ‘शमशेरा’ एवं ‘ब्रह्मास्त्र’ पर बॉलीवुड की डूबती नैया को पार लगाने का दायित्व है। परंतु रणबीर बाबू की हरकतें देखकर इसकी आशा कम ही लगती है।
वो कैसे? तो हाल ही में ‘शमशेरा’ के प्रोमोशन के दौरान मीडिया से वार्तालाप करते हुए रणबीर कपूर ने बताया कि क्यों उनके पिता, दिवंगत अभिनेता ऋषि कपूर पीरियड फिल्म करने से उन्हें रोकते थे।
रणबीर के अनुसार, “मेरे पिता ने मुझसे कहा था कि कभी ऐसी फिल्म मत करना जिसमें तुमको धोती पहनने की जरूरत पड़े क्योंकि ये चलती नहीं हैं। हमेशा कॉमर्शियल फिल्में करना” इस सोच के लिए ऋषि कपूर को 21 तोपों की सलामी मिलनी चाहिए। इनके हिसाब से जो भी पीरियड फिल्म करता है, वो फ्लॉप है। और बात लॉजिक की प्रारंभ की ही है तो चर्चा इनके सबसे बहुप्रतीक्षित फिल्म की भी करते हैं, ‘ब्रह्मास्त्र’ की, या जैसे रणबीर अंकिल कहते हैं ‘भ्रह्मास्त्र’ की। देखिए, ट्रेलर से फिल्म उतनी बुरी भी नहीं लगती है, प्रतीक्षा करने योग्य है, परंतु कुछ बातें ऐसी भी हैं, जिनको देखके लगता है कि क्या सच में बॉलीवुड इतने सम्मान योग्य है।
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ब्रह्मास्त्र के कुछ संवाद हैरान करते हैं
उदाहरण के लिए इस फिल्म में बात हो रही है ब्रह्मास्त्र की जिसके कुछ संवाद ऐसे है कि “ये कहानी है एक ऐसे नौजवान की जो इस बात से अनजान है कि वो ब्रह्मास्त्र की किस्मत का सिकंदर है!”
परंतु ठहरिए, ये तो मात्र प्रारंभ है। ट्रेलर में ‘ब्रह्मास्त्र’ को ‘शस्त्रों का देवता’ कहा गया है, जबकि शास्त्रानुसार कोई भी एक अस्त्र या शस्त्र अन्य अस्त्र या शस्त्र से श्रेष्ठ नहीं हो सकता, हर अस्त्र-शस्त्र की अपनी उपयोगिता होती है। ध्यान देने वाली बात ये है कि अभी तो इसके प्रमुख गीत ‘केसरिया’ में बिरयानी में इलाईची की भांति ‘लव स्टोरियां’ वाले भाग की चर्चा भी नहीं की गयी, नहीं तो पोल ही खुल जाए।
कुल मिलाकर यदि बॉलीवुड को अपने आप को बचाना है तो उसे अपने आप को अधकचरे स्क्रिप्ट के मोहमाया से ऊपर उठना होगा और कुछ नया परोसना होगा। नहीं तो लोग एक दिन बॉलीवुड की वो हालत कर देंगे कि फिर विद्यालयों में पढ़ाया जाएगा, ‘एक था बॉलीवुड’।
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