महारष्ट्र में आखिरकार दो साल बाद अब लोग धूमधाम से गणेश-उत्सव और अन्य हिन्दू त्योहार मना सकेंगे। हाल में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने ऐलान किया कि, “पिछले दो वर्षों से, हम COVID-19 के खतरे में जी रहे हैं और त्योहारों को उत्साह के साथ नहीं मना पाए हैं। तो, इस साल, गणेशोत्सव और दही हांडी उत्सव महामारी से मुक्त होंगे। गणेश मंडलों को सामाजिक जागरूकता और एकता की दृष्टि पैदा करनी चाहिए।”
हालांकि यह केवल महामारी ही नहीं थी जिसके कारण पिछले दो वर्षों से महाराष्ट्र की भूमि पर कोई भी हिन्दू त्योहार धूमधाम से नहीं मनाया गया। राष्ट्र में उत्सवों के दौरान छाये मौन का सबसे बड़ा कारण था महाविकास अगाडी जिसने सत्ता में बैठने के लिए कांग्रेस से न केवल हाथ मिलाया बल्कि अपनी प्रजा को दरकिनार करते हुए उसकी हर मांग को अपनी सर आंखों पर रखा।
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जिन भी राज्यों में कांग्रेस की सरकार होती है उन राज्यों में या तो हिन्दू त्योहारों पर दस तरह की पाबंदियां लगा दी जाती हैं या फिर त्योहार मनाने से ही रोक दिया जाता है। कांग्रेस के रंग में ढलकर एमवीए का भी कुछ ऐसा ही हाल रहा। दो वर्षों में जहाँ कोरोना का नाम लेकर हिन्दुओं को त्योहार मानाने से मना कर दिया गया वहीं दूसरी ओर शराब के ठेके खुले हुए थे और ईद जैसे त्योहारों पर सरकार ने कोई रोक या पाबंदी नहीं लगाईं।
कई भाजपा नेताओं ने शिवसेना के इस फैसले पर आपत्ति जताई और प्रश्न भी उठाये जब मार्च माह में गुड़ी पड़वा और राम नवमी त्योहार जिनमें जुलूस आयोजित किए जाते थे उनपर भी लोगों को इकठ्ठा होने पर पाबंदी लगा दी। भाजपा नेता आशीष शेलार ने उस समय शिवसेना पर प्रहार करते हुए पुछा था, “कोविड -19 महामारी के बाद, राज्य सरकार आतंकी खतरे (त्योहार समारोह को रोकने के लिए) का बहाना दे रही है। हिंदू त्योहारों से सरकार क्यों पंगु है? कानून और व्यवस्था राज्य की जिम्मेदारी है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि लोग त्योहार नहीं मना सकते। गुड़ी पड़वा और रामनवमी से ठीक पहले मुंबई में कर्फ्यू लगा दिया गया है। जिस तरह से हिन्दू त्योहार से ठीक पहले यह कदम उठाया गया है यह शंकास्पद लगता है.”
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हालांकि तमाम विरोधों के बाद भी ये पाबंदियां नहीं हटाई गई। लेकिन अब शिंदे गुट के सत्तापलट के बाद अब एमवीए को हटाकर शिंदे और भाजपा की सरकार सत्ता में बैठी है जिसका मत है कि हर त्योहार को मानाने की पूरी आज़ादी लोगों को मिलनी चाहिए। पिछली महाविकास अघाड़ी सरकार पर परोक्ष रूप से कटाक्ष करते हुए, श्री शिंदे ने कहा कि, “शिवसेना के शिंदे गुट और भारतीय जनता को मिलाकर नई ‘युति’ (गठबंधन) सरकार बनी है तो ऐसे में त्योहारों को और भी जोरशोर से मानाने का यह एक बड़ा कारण है।”
शिंदे सरकार ने त्योहारों पर लगाए पिछली सरकार की सभी पाबंदियों को एक-एक कर हटाना शुरू कर दिया है। अब गणेश उत्सव मानाने वाली मंडलियों को रजिस्ट्रेशन फीस नहीं देनी होगी और साथ ही भगवान गणेश की मूर्ती की बनावट और आकार पर लगाईं गई तमाम पाबंदियां भी हटाई गई हैं। आखिरकार अब महाराष्ट्र के लोग बिलकुल उसी तरह धूमधाम से अपना हर त्योहार मना पाएंगे जैसा कि वे हमेशा से मनाते आये हैं।
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