जब एक खिलाड़ी अच्छा न खेलता हो और वो स्वयं खुद को टीम से अलग कर ले तो वह उसकी समझदारी और टीम के भविष्य के लिए बहुत सहायक सिद्ध होती है। पर वही जब कोई खिलाड़ी अच्छा खेल रहा हो और एकाएक संन्यास की घोषणा कर दे और टीम छोड़ जाए तो एक अलग ही प्रकार के दु:ख की अनुभूति होती है। इंग्लैंड के बेहतरीन ऑलराउंटर बेन स्टोक्स के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ है। उन्होंने हाल ही में ODI फॉर्मेट से संन्यास ले लिया। इस एक निर्णय ने क्रिकेट प्रेमियों को यह सोचने पर विवश कर दिया है कि क्या वास्तव में बेन स्टोक्स का ODI फॉर्मेट से संन्यास लेने के पीछे की वजह उनका फॉर्म रहा या कुछ और।
दरअसल, पिछले तीन-चार वर्षों में खेलों की गुणवत्ता के संबंध में क्रिकेट गिरावट का सामना कर रहा है और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) को ही इसका मुख्य अपराधी माना जाता है। 18 जुलाई, 2022 को इंग्लैंड के क्रिकेट खिलाड़ी बेन स्टोक्स ने एकदिवसीय प्रारूप से अचानक संन्यास की घोषणा कर दी। दक्षिण अफ्रीका के साथ एकदिवसीय अंतररार्ष्ट्रीय श्रृंखला भी समाप्त नहीं की और 19 जुलाई को अपने घरेलू मैदान डरहम पर आखिरी एकदिवसीय मैच खेलते हुए बेन स्टोक्स ने अपने पैड को आराम दिया।
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स्टोक्स ने संन्यास के पीछे यह दिया था तर्क
इस बड़े निर्णय के पीछे के तर्क के बारे में बोलते हुए बेन स्टोक्स ने कहा कि “क्रिकेट के तीनों फार्मेट को साथ लेकर चलना मेरे लिए मुश्किल है। मुझे लगता है कि मेरा शरीर क्रिकेट के व्यस्त कार्यक्रम को देखते हुए साथ नहीं दे रहा है जो मुझसे उम्मीद की जाती है।”
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— Ben Stokes (@benstokes38) July 18, 2022
यूं तो हाल के एकदिवसीय मैचों में उनके शानदार प्रदर्शन को देखते हुए उनका संन्यास का फैसला चौंकाने वाला है। वर्ष 2019 आईसीसी विश्व कप में बेन स्टोक्स ने नाबाद 84 रन की पारी खेली थी और सुपर ओवर में शानदार बल्लेबाजी का प्रदर्शन करते हुए वो इंग्लैंड को विश्व कप जीताने में सफल रहे थे। खेल के हर प्रारूप में उनका प्रदर्शन अविश्वसनीय रहा है। प्रदर्शन को देखते हुए खेल में उनकी मांग भी बढ़ गई थी। इंग्लैंड की टीम में उनकी मौजूदगी से न सिर्फ जीत की संभावना बढ़ती है बल्कि मैच के राजस्व पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। ऐसे में इससे स्टोक्स पर काम का दबाव बढ़ गया और खिलाड़ी को भारी शारीरिक थकान होने लगी।
बीबीसी के टेस्ट मैच स्पेशल में शारीरिक थकान के बारे में बात करते हुए स्टोक्स ने कहा, “मैं हमेशा टीम में योगदान देना चाहता हूं। यह निर्णय लेना जितना कठिन था, इस तथ्य से निपटना उतना कठिन नहीं है कि मैं अपने साथियों को अब इस प्रारूप में अपना 100% नहीं दे सकता। मैंने इस प्रारूप से संन्यास लेने का फैसला किया है। यह एक अविश्वसनीय रूप से बेहद कठिन निर्णय रहा है। मैंने इंग्लैंड के लिए अपने साथियों के साथ खेलने के हर पल का आनंद लिया है। यह एक बेहद शानदार सफर रहा।”
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ODI क्रिकेट के लिए एक वेक-अप कॉल है स्टोक्स का संन्यास
खेलों के विभिन्न प्रारूपों में खिलाड़ियों की बढ़ती लोकप्रियता से स्टार खिलाड़ियों की मांग बढ़ जाती है। ये स्टार खिलाड़ियों को ऐसा हर खेल खेलने के लिए बाध्य करती हैं क्योंकि ऐसे खिलाड़ियों के न होने से खेल की आमदनी भी प्रभावित होती है। इंग्लैंड के पूर्व कप्तान नासिर हुसैन ने द डेली मेल के लिए अपने कॉलम में एकदिवसीय क्रिकेट के क्रूर कार्यक्रम और उसके प्रदर्शन के मुद्दों को भी उठाया। उन्होंने कहा, “हर बार जब स्टोक्स उस मैदान पर जाते हैं, तो वह 100% प्रतिबद्ध होना चाहते हैं, न कि 80% – और यही उन्हें वह खिलाड़ी बनाता है जो वह है।”
उन्होंने कहा, “कुछ लोग सुझाव दे सकते हैं कि 80% स्टोक्स पर्याप्त हैं लेकिन समस्या यह है कि एक बार जब आप 80% पर खेलते हैं तो इससे दूसरे प्रारूप में प्रदर्शन में गिरावट आ सकती है।” एकदिवसीय क्रिकेट में लगभग 8 घंटे के खेल के 100 ओवर शामिल होते हैं। इस परिदृश्य में एक खिलाड़ी की सीमित शारीरिक सहनशक्ति खिलाड़ियों के प्रदर्शन की गुणवत्ता को सीमित करती है।
ध्यान देने वाली बात है कि एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय (ODI) क्रिकेट से स्टोक्स का संन्यास ICC के अंतहीन क्रिकेट शेड्यूल को दर्शाता है। यह व्यस्त कार्यक्रम है जिसने खिलाड़ियों को लगातार तरीके से खेलने और यात्रा करने के लिए मजबूर किया है। उचित आराम और ब्रेक के बिना खिलाड़ी खेल के लिए मजबूर हो जाते हैं। इस स्थिति में न केवल व्यक्तिगत खिलाड़ियों का प्रदर्शन प्रभावित हो रहा है बल्कि क्रिकेट के समग्र खेल में भी गिरावट देखने को मिल रही है। छोटे प्रारूपों में बढ़ती दिलचस्पी स्वचालित रूप से ODI के विकास को कम कर देगी। यह भी ध्यान दिया जाना चाहिए कि ICC द्वारा ODI को व्यवस्थित रूप से अनदेखा किया जा रहा है। ऐसे में खिलाड़ियों के पास हटने या संन्यास लेने के अलावा कोई विकल्प नहीं होता है।
टी20 खेलों की बढ़ती लोकप्रियता और छोटे प्रारूप ने एकदिवसीय श्रृंखला की जगह लेना शुरू कर दिया है। यदि यह लंबे समय तक जारी रहता है तो खिलाड़ियों को एकदिवसीय क्रिकेट से बाहर होने और छोटे प्रारूप के खेल खेलने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। इसके अलावा टी20 आईसीसी आयोजनों के साथ-साथ घरेलू लीग जैसे छोटे प्रारूप शारीरिक सहनशक्ति के लिए कम समय की मांग करते हैं। निश्चित रूप से स्टोक्स का संन्यास वनडे क्रिकेट के लिए एक वेक-अप कॉल है। यदि आईसीसी खिलाड़ियों की वास्तविक शिकायत पर विचार नहीं करता है और पैसे का खनन जारी रखता है तो खेल का प्रदर्शन और खराब हो जाएगा और लोकप्रियता में समग्र गिरावट आएगी। ऐसे में वनडे क्रिकेट हमेशा के लिए खत्म भी हो सकता है।
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