भारत में 5G के लिए रेस अब शुरू हो गई है। जल्द ही 5जी स्पेक्ट्रम की नीलामी भी शुरू होने वाली है। इस नीलामी में भारत के अरबपति मुकेश अंबानी अपनी कंपनी रिलायंस जिओ और उद्योगपति गौतम अडानी अपनी अडानी डेटा नेटवर्क्स के साथ शामिल होंगे। कई अरबों और खरबों की इस बोली में भाग लेने के लिए बोली लगाने वाले को ईएमडी राशि जमा करनी पड़ती है जो यह साबित करती है कि संपत्ति खरीदने के लिए खरीदार की पेशकश नेकनीयती से की गई है या नहीं और क्या खरीददार के पास इतना धन है जो कि उस संपत्ति की कीमत चुका सके। इसी ईएमडी राशि के आधार पर हर एक बोली लगाने वाले को एलिजिबिलिटी पॉइंट्स दिए जाते हैं जो दर्शाते हैं कि कौन इस डील में अग्रणी है।
अंबानी बनाम अडानी
जहाँ अरबपति मुकेश अंबानी के स्वामित्व वाली रिलायंस जियो ने 5जी स्पेक्ट्रम नीलामी के लिए ईएमडी राशि के रूप में 14,000 करोड़ रूपए की रकम बयाना राशि के रूप में जमा की है वहीं उनके प्रतिद्वंदी अडानी समूह ने केवल 100 करोड़ रूपए जमा किये है।
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5G दौड़ में दूसरी कंपनियों का बयाना
दूरसंचार विभाग की वेबसाइट पर पोस्ट की गई प्री-क्वालिफाइड बिडर्स की लिस्ट में अडानी और अंबानी के आलावा सुनील मित्तल द्वारा संचालित भारती एयरटेल ने ईएमडी के रूप में 5,500 करोड़ जबकि वोडाफोन आइडिया ने 2,200 करोड़ का अंशदान दिया है।
रिलायंस जिओ
26 जुलाई को शुरू होने जा रही 5जी स्पेक्ट्रम नीलामी की इस रेस में रिलायंस की ईएमडी राशि भारती एयरटेल की राशि से 2.5 गुना और वोडाफोन आइडिया से 6.3 गुना ज्यादा है। अडानी डेटा नेटवर्क्स की जमा राशि से ये 140 गुना ज्यादा है। यह इस बात की ओर भी इशारा करती है कि भारत की सबसे बड़ी दूरसंचार फर्म जिओ इस नीलामी में काफी बड़ी और जोरदार बोली लगाने वाली है। कारण यह है कि जिओ अब इस क्षेत्र में राजा बनना चाहता है और जिओ इसमें अद्वितीय भी होगा क्योंकि रिलायंस जिओ इस क्षेत्र में काफी लम्बे समय से कार्य कर रहा है और अब उसे इसमें गहरा अनुभव हो चुका है।
जहाँ अन्य कंपनियां अभी इसके केवल शुरूआती चरणों में ही हैं वहीं जिओ ने अपने 5G टावर लगाना भी शुरू कर दिया है। इतना ही नहीं, जिओ ने एशिया के सबसे अमीर व्यक्ति मुकेश अंबानी की अगुवाई वाली रिलायंस ने 23,800 करोड़ ($3.04 बिलियन) में आईपीएल के डिजिटल अधिकार हासिल किए, जो कि डिज्नी के स्वामित्व वाले स्टार स्पोर्ट्स इंडिया द्वारा अनन्य टीवी अधिकारों के लिए किए गए भुगतान से 200 करोड़ अधिक है।
अंबानी जानते हैं कि डिजिटल क्रान्ति अब दूर नही। एक अच्छा बिजनेसमैन वही होता है जो समय के साथ आगे बढ़ना जानता हो और मुकेश अंबानी यह बात अच्छे से समझते हैं और शायद यही कारण है कि आज उन्होंने अपने पिता की विरासत को कई गुना बड़ा कर दिया है।
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गौतम अडानी
वहीं दूसरी ओर जहाँ एयरटेल और वोडाफोन आईडिया जैसी कंपनियां भी 5G में आगे बढ़ने की हर संभव कोशिश कर रही हैं। इन दावेदारों में केवल अडानी हैं जिन्होंने सबसे कम, केवल 100 करोड़ की ईएमडी, जमा की है। यह दर्शाता है कि अडानी आगामी नीलामी के दौरान केवल कम कीमत वाले स्पेक्ट्रम के लिए बोली लगाएंगे। कारण है कि अडानी उन समझदार उद्योपतियों में से हैं जो अपने बिज़नेस का विस्तार तो करना चाहते हैं लेकिन साथ ही बिना सोचे समझे अपने पैसे कहीं व्यर्थ नहीं करते। अडानी भले ही टेलीकॉम इंडस्ट्री में कदम रखना चाह रहे हैं लेकिन अभी उन्हें इस इंडस्ट्री के बारे में उतना अनुभव नहीं जितना अंबानी या अन्य को है। इस समय अडानी पानी में सीधे छलांग लगाने के बजाये पहले उसमें अंगूठा डालकर उसका तापमान जांच रहे हैं।
अरबपति गौतम अडानी के समूह ने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि वह स्पेक्ट्रम के लिए प्रतिस्पर्धा कर रहा है, जिसका इस्तेमाल डेटा सेंटर, हवाई अड्डों और बिजली सहित अपने उद्यमों की सेवा के लिए एक निजी नेटवर्क बनाने के लिए किया जाएगा। इस समय तो अडानी समूह का दावा है कि वे केवल इसे निजी नेटवर्क में ही उपयोग करने वाले हैं और उपभोक्ता बाजार में प्रवेश करने में उसकी कोई दिलचस्पी नहीं है। हालाँकि समय बदलते और दिलचस्पी जागते देर नहीं लगती।
खैर, 5G तकनीक के लिए दुनिया की दौड़ में अब भारत दुनिया का इंटरनेट किंग बनेगा। संभव है कि टेलीकॉम दिग्गज- भारत का रिलायंस जिओ ही इसकी शुरुआत कर। ऐसा समय जब चीन से जासूसी खतरे की आशंका बढ़ती जा रही है जिओ उन चुनिंदा कंपनियों में से है जो 5G तकनीक के मामले में चीनी उपकरणों से पूरी तरह मुक्त होने का दावा कर सकते हैं। इस समय का सच तो यह है कि इस नीलामी में अंबानी समूह बहुत बड़ी बोली लगाने वाला है और 5G की लड़ाई में पहले ही मुकेश अंबानी की Jio जीत चुकी है। जल्द ही वे 5G के बेताज बादशाह बनेंगे।
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