कभी कभी कुछ चीज़ें ट्रेंड बन जाती हैं लेकिन जब वो ट्रेंड समाज में द्वेष और हीनभावना पैदा करता है तो उसे त्याग देने में ही समझदारी होती है। वहीं, कुछ ट्रेंड देश को बर्बाद करने के लिए देश विरोधी ताकतों द्वारा स्थापित किए जाते हैं। उन्हीं में से एक तत्व हैं वे इस्लामिस्ट/आतंकी जो अपने आतंक के प्रसार के लिए सनातनियों के पहचान को सहारा बनाते हैं और अपने कुकृत्यों को अंजाम देते हैं। हालिया घटनाक्रमों से पता चलता है कि कैसे कसाब के “कलावा” के पीछे की साजिश के सिद्धांत असली हैं और बिजनौर में हुई घटना ने यह साबित कर दिया है।
दरअसल, उत्तर प्रदेश पुलिस ने रविवार को बिजनौर जिले के एक कस्बे में ‘मजारों’ में तोड़फोड़ करने के आरोप में दो मुस्लिम भाइयों को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस का कहना है कि वे कांवड़ यात्रा के बीच सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की योजना बना रहे थे। पुलिसकर्मियों को जमीनी स्तर पर अधिक सतर्क रहने और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की पहचान करने के लिए सोशल मीडिया पर निगरानी जारी रखने का निर्देश दिया गया है। एडीजी (लॉ एंड ऑर्डर) प्रशांत कुमार ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि 24 जुलाई को शेरकोट थाना क्षेत्र के अंतर्गत एक बड़ी सांप्रदायिक साजिश को रोका गया था जब दो लोगों द्वारा जलाल शाह मजार में तोड़फोड़ करने और वहां परदे और चादर जलाने की सूचना मिली थी।
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कसाब की हरकत की पुनरावृत्ति कर रहे हैं इस्लामिस्ट
ज्ञात हो कि जब 26/11 घटित हुआ था तब उसका मुख्य अभियुक्त अजमल कसाब CCTV कैमरे में कैद हुआ था जिसमें स्पष्ट दिख रहा था कि उसने सनातनियों के प्रतीक “कलावा” को धारण किया था। उसका टारगेट था कि उसका किया धरा सब हिन्दू धर्म पर डाल दिया जाएगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ, कसाब वास्तव में कसाब ही था वो रहस्य सबसे पहले बाहर आया। ऐसे में कसाब की वर्ष 2008 वाली हरकत की पुनरावृत्ति अब 2022 में घर के भेदी कुछ इस्लामिस्ट कर रहे हैं। ध्यान देने वाली बात है कि ‘बिजनौर कांड’ में पुलिस ने सांप्रदायिक साजिश का भंडाफोड़ किया जहां दो लोगों ने दो समुदायों के बीच तनाव पैदा करने के लिए मजारों में तोड़फोड़ की। पुलिस ने दोनों आरोपियों की पहचान दो भाइयों मोहम्मद कमाल अहमद और मोहम्मद अदीब के रूप में की है। आरोपियों ने खुद को हिंदू दिखाने की कोशिश की और सिर पर भगवा दुपट्टा लगाया हुआ था। बिजनौर में कुल तीन मजारों को तोड़ा गया है जिसमें जलालशाह की मजार, भूरेशाह की मजार और कुतुबशाह की मजार शामिल है।
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पुलिस कर रही है पूछताछ
इस घटना को तब अंजाम दिया गया जब पवित्र सावन यानी कांवड़ यात्रा का महीना चल रहा है और शिवभक्ति में लीन कांवड़िये गंगाजल से महादेव का अभिषेक करने हेतु निकल रहे हैं। ऐसे में उन्हीं के बीच का एक भाग बनते हुए यह दोनों कट्टरपंथी मजारों पर इसलिए हमला कर रहे थे ताकि भगवा कपडा देख सबका ध्यान हिन्दुओं पर जाए और उन्हें अभियुक्त बनाया जा सके, पर होनी को कुछ और ही मंजूर था। गिरफ्तार किए गए लोगों की पहचान 35 वर्षीय मोहम्मद कमाल और उनके भाई 23 वर्षीय मोहम्मद आदिल के रूप में हुई है। अधिकारी ने बताया कि काम के सिलसिले में विदेश गया कमाल कुछ समय पहले वापस आया और आदिल प्लंबर का काम करता है।
इंटेलिजेंस ब्यूरो और एंटी टेररिस्ट स्क्वॉड (ATS) के अधिकारी उनसे उनके इरादों के बारे में पूछताछ कर रहे हैं और यह सत्यापित करने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या वे किसी संगठन से जुड़े हैं या उन्होंने स्वतंत्र रूप से काम किया है। जिस तरह मज़ारों को तोडना और चादर जलाना इन कट्टरपंथियों का प्लान था उसी के अनुरूप उन्होंने काम किया और राज्य में दंगा तक फैलाने का षड्यंत्र रचा। यह सर्वविदित है कि यदि प्रथमदृष्टया यह पता नहीं चलता कि यह दोनों आरोपित हिन्दू नहीं मुसलमान हैं तो निस्संदेह हाल कुछ और ही होता और देशभर में एक बार फिर से आगजनी और मार-काट का माहौल स्थापित हो सकता था!
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