कुछ घटनाएं ऐसी होती हैं जिसके जख्म वक्त के साथ भी नहीं भर पाते। कई मौकों पर यह घटनाएं याद आ ही जाती है। ऐसी ही एक घटना आज से लगभग 33 वर्ष पहले चीन में घटी थी जिसका नाम था- थियानमेन चौक नरसंहार। आज इतने वर्षों के बाद एक बार फिर इस घटना की यादें लोगों के दिलो-दिमाग में ताजा होने लगी है। वजह है चीनी लोगों का सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन करना। चीनी सरकार के विरुद्ध बड़ी संख्या में लोग सड़कों पर आ गए जिसके बाद चीन की कम्युनिस्ट सरकार ने सेना के टैकों को सड़कों पर उतार दिया है। सड़कों पर चीनी आर्मी के टैंक घूम रहे हैं।
दरअसल, चीन इस वक्त बुरे हालात से गुजर रहा है। उसकी अर्थव्यवस्था भयंकर संकट में है। कोरोना महामारी ने चीनी अर्थव्यवस्था पर काफी बुरा प्रभाव डाला है। कोरोना पर काबू पाने के लिए चीन द्वारा लगाई गई जीरो कोविड पॉलिसी के कारण उसकी अर्थव्यवस्था को काफी नुकसान पहुंचा। चीनी बैंक भी संकट से जूझ रहे है और चीन इससे उबर नहीं पा रहा है। रिपोर्ट्स बताती हैं कि चीन में इस वक्त 4 हजार की संख्या में बड़े और छोटे बैंक बंद होने की कगार पर आ गए हैं। ऐसे में लोगों को बैंकों में जमा अपनी पूंजी को लेकर चिंता सताने लगी है। बताया जा रहा है कि इन बैंकों में 4 लाख के करीब लोगों की हजारों करोड़ की जमा-पूंजी दांव पर लगी हुई है। लोग अपनी जरुरत भी पूरी नहीं कर पा रहे हैं।
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वहीं, हाल ही में बैंक ऑफ चाइना की हेनान शाखा ने तो यह तक ऐलान कर दिया कि जमाकर्ताओं द्वारा उनकी शाखा में रखा गया पैसा ‘निवेश’ में है और इसे अब निकाला नहीं जा सकता। इसके बाद से ही लोगों का गुस्सा बढ़ गया और चीन में जारी विरोध-प्रदर्शन ने उग्र रूप ले लिया। 10 जुलाई को एक हजार की संख्या में प्रदर्शनकारियों ने हेनान के झोंगझोऊ में बैंक ऑफ चाइना की ब्रांच के आगे इकट्ठा होकर जोरदार प्रदर्शन किया। झोंगझोउ में विरोध प्रदर्शन ने हिंसक रूप भी ले लिया था।
परंतु चीन तो लोकतांत्रिक देश है नहीं जहां लोगों को विरोध प्रदर्शन करने की इजाजत दी जाए और दूसरी ओर चीन तो हमेशा ही अपनी दमनकारी नीतियों के लिए जाना जाता रहा है। ऐसे में चीनी प्रशासन ने एक बार फिर इस विरोध प्रदर्शन को दबाने के प्रयास किए। ध्यान देने वाली बात है कि हेनान में कई ग्रामीण बैंकों ने कई महीने से लोगों के पैसों को रोक कर रखा है। अधिकारियों ने कहा था कि वे थोड़े-थोड़े कर कुछ टुकड़े में लोगों को उनके पैसे देना शुरू करेंगे। वादे के अनुसार 15 जुलाई को पहली किश्त दी जानी थी परंतु इस दौरान केवल कुछ ही लोगों को पैसे मिल पाए जिसके बाद चीनी बैकों के दिवालिया होने के सवाल भी उठने लगे हैं।
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इसी कारण चीन की जनता इसके विरोध में सड़कों पर उतर आई है। वहीं, इन विरोध प्रदर्शनों को रोकने के लिए चीनी सरकार ने PLA के टैंक सड़कों पर उतार दिए। रिपोर्ट्स के अनुसार बैंकों की सुरक्षा करने के लिए और स्थानीय लोगों को बैंकों तक पहुंचने से रोकने के लिए टैंक सड़कों पर उतारे गए हैं। इन टैंकों को मुख्य तौर पर बैंकों और ATM के सामने तैनात किया गया है। सोशल मीडिया पर चीन की सड़कों पर नजर आ रहे इन टैकों की तस्वीरें खूब तेजी से वायरल हो रही हैं जिसके बाद दुनियाभर के तमाम लोग यह प्रश्न पूछते नजर आ रहे हैं कि कहीं चीन फिर से थियानमेन स्क्वायर जैसी घटना को अंजाम देने की फिराक में तो नहीं?
आपको बता दें कि तीन दशक पहले चीन ने विरोध प्रदर्शन को कुचलने के लिए इसी तरह से टैकों का सहारा लिया था। घटना वर्ष 1989 की है जब चीन की जनता सरकार की नीतियों के विरुद्ध सड़कों पर उतर आई थी। सरकार के खिलाफ बीजिंग के थियानमेन स्क्वायर पर विरोध प्रदर्शन किया जा रहा था। इस प्रदर्शन को खत्म करने के लिए चीन सरकार ने सेना को लोगों पर टैंक चढ़ाने के आदेश दे दिए थे। चीनी सरकार की इस क्रूर कार्रवाई में बड़ी संख्या में लोग मारे गए थे जिसमें अधिकतर छात्र शामिल थे। सरकारी आंकड़ें तो 300 मौतों का दावा करते हैं परंतु बताया जाता है कि चीनी सरकार ने असल संख्या छिपाई रखी है। कई रिपोर्ट्स में इस नरसंहार में डेढ़ से ढाई हजार लोगों के मारे जाने की बात कही गई है। तो वहीं एक दावा तो यह तक किया जाता है कि थियानमेन स्क्वायर नरसंहार में 10 हजार लोगों की मृत्यु हुई थी। चीन की इस क्रूरता ने पूरी दुनिया को झकझोंर कर रख दिया था। अब एक बार फिर चीन की सड़कों पर टैंक दिखने से इसी नरसंहार की यादें लोगों के दिलो-दिमाग में ताजा होने लगी है।
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