पंजाब से पलायन क्यों कर रही है इंडस्ट्री?

AAP के सत्ता में आने के बाद एक-एक करके कंपनियां पंजाब छोड़ रही हैं!

Bhagwant Maan

Source- TFIPOST.in

आम आदमी पार्टी की सरकार पंजाब में सत्ता में आते ही राज्य के हालत दिन पर दिन बद से बदतर होते चले जा रहे है। पंजाब पहले ही कर्ज के भारी बोझ तले बुरी तरह से दबा हुआ है। इसके बाद अब बड़ी-बड़ी इंडस्ट्रीज भी पंजाब से अपना कारोबार समेटने को मजूबर होने लगी है। इसके पीछे का कारण हैं वो “आंदोलनजीवी”, जिन्हें कभी आम आदमी पार्टी द्वारा ही शह दी गई। यह “आंदोलनजीवी” अब पंजाब की आम आदमी पार्टी के लिए ही बड़ा सिरदर्द बनते जा रहे है।

यह तो सभी को मालूम है कि नए कृषि कानून के विरोध में शुरू हुए किसान आंदोलन को किस तरह आम आदमी पार्टी का पूरा समर्थन मिला था। किसान आंदोलन तो अब समाप्त हो गया, परंतु पंजाब में आए दिन किसी ना किसी कारण किसान विरोध-प्रदर्शन करते नजर आ ही जाते है। यही प्रदर्शन पंजाब की AAP सरकार के लिए बड़ी परेशानी का कारण बन रहे है।

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किसान विरोध-प्रदर्शन के आगे मजबूर फैक्ट्री

दरअसल, पंजाब की प्रमुख टेक्सटाइल कंपनी ट्राइडेंट ग्रुप के लिए किसानों का आंदोलन मुसीबत बन गया है। पंजाब के बरनाला में किसान ट्राइडेंट ग्रुप के विरोध में प्रदर्शन कर रहे है, जिसके चलते कंपनी को अपनी मुख्य ईकाई में परिचालन को निलंबित करने के लिए मजबूर होना पड़ा। किसान संगठन काफी समय से ट्राईडेंट के विरुद्ध कारवाई की मांग कर रहे हैं। प्रदूषण को लेकर किसान संगठन द्वारा ट्राईडेंट फैक्ट्री के समक्ष धरना दिया जा रहा है, जिस कारण ट्राइडेंट की यूनिट की तरफ से कहीं और स्थिर वातावरण की तलाश करने की तैयारी शुरू हो चुकी है। यानी कंपनी बरनाला से निकलने की योजना पर काम करने को मजबूर हो गई है।

ऑल इंडस्ट्री ट्रेड फोरम (AITF) ने एक बयान के माध्यम से भूमि अधिग्रहण और जल प्रदूषण के मुद्दों को लेकर किसानों के आंदोलन का कड़ा विरोध किया। बयान में कहा गया कि इस प्रकार के आंदोलन से नए निवेश के दरवाजे बंद होते है। इसके साथ ही मौजूदा उद्योगों को भी अन्य राज्यों में विस्तार करने के लिए मजबूर होना पड़ता है।

ट्राइडेंट की पंजाब के बरनाला में दो बड़ी फैक्ट्री है, जिनमें लगभग हजारों की संख्या में कर्मचारी यहां काम करते है। परंतु अब प्रदर्शन के कारण फैक्ट्री बंद होने के चलते इनके लिए गहरा संकट खड़ा हो गया है। इन हजारों कर्मचारियों के रोजगार पर भी संकट आकर खड़ा हो गया है। ट्राइडेंट एक बड़ी टेक्सटाइल कंपनी है, जो हजारों लोगों को रोजगार प्रदान करती है। ऐसे में अगर इसकी फैक्ट्री पंजाब से बाहर निकलने को मजबूर होती है, तो राज्य की अर्थव्यवस्था को इससे बहुत बड़ा झटका लगेगा। बड़ी संख्या में लोग बेरोजगार होंगे।

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अपना कारोबार राज्य से समेटती कंपनियाँ

परंतु इन सबके बावजूद पंजाब की भगवंत मान सरकार इन “आंदोलनजीवी” से निपटने के बजाए इनके आगे सरेंडर करने को मजबूर होती नजर आ रही है। दरअसल, बीते दिनों पंजाब सरकार द्वारा मत्तेवाड़ा टेक्सटाइल पार्क बनाने वाले प्रोजेक्ट से भी कदम पीछे खींच लिए गए। सरकार ने लुधियाना में 900 एकड़ से अधिक जगह पर बनाए जा रहे टेक्सटाइल पार्क के प्रोजेक्ट को रद्द करने का निर्णय लिया। यह प्रोजेक्ट कथित पर्यायवरण प्रेमियों के विरोध का सामना कर रहा था, जिसके बाद मुख्यमंत्री भगवंत मान ने जंगल और जल स्त्रोतों को बचाने हेतु मत्तेबाड़ा के निकट प्रस्तावित जगह पर कोई औद्योगिक यूनिट नहीं लगाने की घोषणा कर दी थी। सरकार द्वारा लिए गए इस फैसले से उद्योगपतियों को बड़ा झटका लगा। उद्योगपति यह मान रहे थे कि अगर लुधियाना में टेक्सटाइल पार्क बनाने से विश्व स्तरीय नई तकनीक आती। साथ ही वहां उद्योगों का विस्तार होता और निर्यात में बढ़ोत्तरी होती, जिससे राज्य की आर्थिक स्थिति मजबूत होने और रोजगार के अवसर पैदा होने की संभावनाए थी। परंतु विरोध प्रदर्शन के आगे झुककर सरकार ने इस परियोजना से पैर पीछे खींच लिए।

देखा जाए तो पंजाब की स्थिति पहले से ही बहुत खराब है। जून में ही अपने श्वेत पत्र के माध्यम से सरकार ने खुलासा किया था कि पंजाब 2 लाख 63 करोड़ के कर्ज के बोझ तले बुरी तरह से दबा हुआ है। देश में सबसे अधिक कर्ज के मामले में पंजाब शीर्ष पर है। AAP सरकार ने आते ही पंजाब के हालत और बिगड़ रहे है। राज्य की कानून व्यवस्था किस तरह बिगड़ चुकी है, यह तो सबके सामने है। इसके अलावा केजरीवाल की फ्री पॉलिटिक्स पंजाब को और अधिक बर्बाद करके रख देगी। ऐसे में अगर तमाम बड़े उद्योग भी एक-एक करके अपना कारोबार राज्य से यूं समेटने लगेंगे, तो पंजाब के संकट को संभालना मुश्किल हो जाएगा।

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