समय से पहले जब इंसान को बढ़त मिल जाती है तो कई बार उसके परिणाम से अधिक दुष्परिणाम दिखाई देने लग जाते हैं। विराट कोहली के साथ भी कुछ ऐसा ही है। “कैप्टन कूल” महेंद्र सिंह धोनी के बाद भारतीय क्रिकेट टीम की कप्तानी 2016 में सौंपी थी। इसके बाद 2017 तक उन्हें बड़े उम्दा खिलाड़ी के रूप में देखा गया। लेकिन बीते 3 वर्षों से कोहली अपने करियर के उस पड़ाव पर हैं जहाँ वो अपनी हालिया उपलब्धियों को गिनाने में विफल रहे हैं। इसके बाद हाल ही में भारतीय क्रिकेट टीम के बेहतरीन दशक सन 80 के ध्वजवाहक कपिल देव के बयान ने विराट की क्षमता और अकर्मण्यता पर प्रकाश डालते हुए उन्हें टी 20 से बाहर करने का सुझाव दिया है।
यूँ तो यह बहुत ही आम है कि क्रिकेट टीम क्या किसी भी खेल में जब तक आप रन बना रहे हैं, आप तब तक ही उस खेल के लिए उपयोगी और उसके स्टार प्लेयर बने रह सकते हैं। जिस दिन खिलाड़ी का खेल गिरावट दर्ज़ करने लगेगा उसी क्षण से उसकी उपयोगिता टीम में शून्य अर्थात निल बटे सन्नाटा हो जाएगी। अब विराट कोहली का ही संदर्भ लें तो उन्होंने अंतिम शतक 2019 में मारा था। कोहली का आखिरी शतक 22 नवंबर 2019 को बांग्लादेश के खिलाफ आया था। इसके बाद से विराट कोहली 65 मुकाबले खेल चुके हैं। वहीं, आखिरी 10 पारियों में कोहली का बेस्ट स्कोर 52 रन है। ऐसे में जब विराट को लोगों ने शून्य से शिखर पर जाते देखा है तो उनके प्रशंसक, क्रिकेट प्रेमी और आम दर्शक सभी के उनके प्रति भाव शून्य हो गए हैं कि ऐसा भी क्या हुआ जो दिन प्रतिदिन विराट का गेम गर्त में ही जाए जा रहा है। हालिया मैच की बात करें तो इंग्लैंड के खिलाफ पहले टी-20 में वे 1 रन बनाकर आउट हो गए।
इन-फॉर्म खिलाड़ियों को मौका मिलना चाहिए
इसके बाद प्रतिक्रियाओं में सबसे बड़ी प्रतिक्रिया भारत के पूर्व कप्तान और महान ऑलराउंडर कपिल देव की आई। उन्होंने कहा कि भारत को बड़ी प्रतिष्ठा वाले खिलाड़ियों पर इन-फॉर्म खिलाड़ियों को खेलने को प्राथमिकता देनी चाहिए। पिछले कुछ वर्षों में तीनों प्रारूपों में पूर्व कप्तान विराट कोहली का फॉर्म चिंता का विषय रहा है। उनकी अनुपस्थिति में, दीपक हुड्डा जैसे खिलाड़ियों ने क्रिकेट के विस्फोटक ब्रांड की भूमिका निभाते हुए सबसे छोटे प्रारूप में बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है। देव ने आगे कहा कि, “अगर रविचंद्रन अश्विन जैसे गेंदबाज को टेस्ट टीम से बाहर रखा जा सकता है, तो विराट कोहली को क्यों नहीं। अश्विन ने इंग्लैंड के खिलाफ पांच मैचों की टेस्ट सीरीज में एक भी मैच नहीं खेला।” इस बयान का आना बहुत बड़ी प्रतिक्रिया के रूप में देखा जा रहा है, क्योंकि यह यूँही नहीं आया है। आंकड़े भी विराट कोहली की ऐसी परफॉर्मेंस की गवाई दे रहे हैं कि सच में विराट का ग्राफ गिरते ही जा रहा है, ऐसी में यह नियम उनपर भी लागू होना चाहिए जैसे आर आश्विन पर हुआ है।
ज्ञात हो कि विराट कोहली आम तौर पर 130 से 140 के स्ट्राइक रेट से बल्लेबाजी करते हैं। कुछ मौकों पर उन्होंने 180 या 200 का स्ट्राइक रेट भी मेंटेन किया, लेकिन अभी जिस तरह की फॉर्म में वे हैं, यह काम काफी मुश्किल हो सकता है। इस साल इंटरनेशनल और IPL मिलाकर विराट ने जितने भी टी-20 खेले हैं, उनमें उनका स्ट्राइक रेट 120 से भी कम रहा है। ओवरऑल उनका करियर स्ट्राइक रेट 137.54 का रहा है।
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विराट के सामने चुनौती बड़ी है
विराट आयरलैंड-इंग्लैंड दौरे के पहले तीन टी-20 मैचों में भारतीय टीम का हिस्सा नहीं थे। उनकी जगह इन मुकाबलों में दीपक हुड्डा ने टॉप ऑर्डर में बल्लेबाजी की। दो बार वे नंबर-3 पर आए और 1 बार ओपनिंग की। हुड्डा ने इन तीन मैचों में 92 की औसत और 179 के स्ट्राइक रेट से बल्लेबाजी की। हुड्डा की एक और खासियत यह है कि वे ऑफ स्पिन गेंदबाजी भी कर लेते हैं। यानी विराट अगर जल्द फॉर्म में नहीं लौटे और तेज बल्लेबाजी नहीं की तो नंबर-3 का स्पॉट बचाए रखना उनके लिए काफी मुश्किल हो सकता है।
इस बीच उनके सामने एक और विशाल चुनौती आन खड़ी हुई है। चुनौती यह है कि अगर उन्हें भारत की टी-20 टीम में बने रहना है तो 160+ के स्ट्राइक रेट से बल्लेबाजी करनी होगी। ऐसा नहीं होने पर विराट कोहली के हिस्से भारतीय क्रिकेट टीम की कार्यशैली में आई गिरावट का ठप्पा लगने के साथ ही क्रिकेट टीम को बड़ा झटका भी लग सकता है क्योंकि एक ख़राब तकनीक पूरी टीम की योग्यता पर प्रश्नचिन्ह लगा सकती है जिससे खिलाडियों का मनोबल गिरने की अथा संभावना है।
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