मोदी सरकार की एक से बढ़कर एक योजनाएं दर्शा रही हैं नीति आयोग का महत्व

जानिए, देश के विकास के लिए कितना जरूरी है नीति आयोग!

NITI Aayog

देश को योजना से चलाने के लिए संस्था की आवश्कयता होती है। इसी जरूरत को समझते हुए वर्ष 1950 में योजना आयोग का गठन किया गया था।  संस्था का मुख्य उद्देश्य देश में उपलब्ध संसाधनों का सही तरीके से आंकलन करते हुए विकास की आवश्यकता के अनुसार पंचवर्षीय योजना का निर्माण करना था।। योजना आयोग का आइडिया मूल रूप से सोवियत संघ से लिया गया था।

देश के विकास में बाधा बनती गयी यह संस्था

हालांकि जिस संस्था को देश के विकास के लिए बनाया गया था, वहीं प्रशासनिक अक्षमता और राजनीतिक प्रभाव के कारण देश के विकास में बाधा बनती चली गयी। ऐसे में योजना आयोग में बदलाव करना या फिर इसे खत्म करना बड़ी जरूरत बनता प्रतीत हो रहा था। परंतु पूर्व की कांग्रेस सरकारों द्वारा इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाए गए। इस तरह 1950 से लेकर 65 वर्षों तक योजना आयोग चलता आया।

हालांकि वर्ष 2014 में जब नरेंद्र मोदी की सरकार सत्ता में आई तो पीएम मोदी ने योजना आयोग को समाप्त करने का बड़ा निर्णय लिया। साथ ही फैसला यह भी लिया गया कि योजना आयोग की जगह नेशनल इंस्टीट्यूशन फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया (NITI) आयोग का गठन किया जाएगा। एक जनवरी 2015 से नीति आयोग अस्तित्व में आया। अब कोई संस्था अगर करीब-करीब 65 सालों से चली आ रही हो और इस तरह किसी सरकार द्वारा उसे अचानक समाप्त कर दिया जाए तो उसका विरोध होना तो निश्चित ही है। ऐसा ही हुआ नीति आयोग के साथ। विपक्षी नेताओं ने मोदी सरकार के योजना आयोग को खत्म करने के फैसले का विरोध किया और साथ ही नीति आयोग पर प्रश्न भी खड़े किए है। हालांकि नीति आयोग का गठन हुए आज 7 वर्ष से अधिक का समय हो गया है। देखा जाए तो नीति आयोग ने अपने इस सफर के दौरान ऐसे कई काम किए, योजनाएं बनायी, जिसके माध्यम से यह साबित हो रहा है कि नीति आयोग का क्या महत्व है।

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नीति आयोग एक अत्यधिक लोकतांत्रिक और थिंक टैंक निकाय है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नीति आयोग के अध्यक्ष हैं। इसकी गवर्निंग काउंसिल सभी मुख्यमंत्रियों और लेफ्टिनेंट गवर्नरों से बनी है। देश को वर्तमान समस्याओं से लड़ने के लिए नीति आयोग ने 21वीं सदी के स्मार्ट विचारों के साथ स्मार्ट नीतियां बनाने में सहायता की। विकास की पहल के लिए आयोग ने देश के अत्यधिक पिछड़े जिलों को लक्षित किया। अति पिछड़े जिलों को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए यह कदम उठाया गया। नीति आयोग ने जनवरी 2018 में देशभर के 112 जिलों को आकांक्षी जिलों के रूप में चिह्नित किया। जिलों में विकास के लिए नीति आयोग ने निर्धारित मानक तय किए। इन मानकों पर काम की समीक्षा और निगरानी की जाती है। पिछड़ा जिला घोषित होने पर शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि तथा वित्तीय समावेशन पर विशेष कार्य किए जाते हैं।

नीति आयोग ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सलाह पर “नीति व्याख्यान: ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया” नामक एक नयी पहल शुरू की थी, जिसका उद्देश्य विश्व स्तर पर प्रतिष्ठित नीति निर्माताओं, विशेषज्ञों, प्रशासकों को भारत में अपने ज्ञान, विशेषज्ञता, नीति निर्माण में अनुभव साझा करने के लिए आमंत्रित करना था।

नीति आयोग ने वर्ष 2015 में ही अटल इनोवेशन मिशन (AIT) की स्थापना की। मिशन का उद्देश्य स्कूल, विश्वविद्यालय, अनुसंधान संसाधनों  MSME और उद्योग स्तरों पर नवाचार और उद्यमिता का एक पारिस्थितिकी तंत्र बनाना था। AIT के माध्यम से राष्ट्रीय और विश्व स्तर पर नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र एकीकृत करने पर काम किया गया। इसके लिए विभिन्न अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के साथ द्विपक्षीय संबंध बनाए गए। कार्यक्रमों के माध्यम से लाखों स्कूली बच्चों में इनोवेशन लाया गया। AIT समर्थित स्टार्टअप ने सरकारी और निजी इक्विटी निवेशकों से 2000 करोड़ रुपये से अधिक जुटाए और हजारों नौकरियों का भी सृजन किया गया।

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नीति आयोग PLI योजना लेकर आया

आत्मनिर्भर भारत की दिशा में देश आज तेजी से आगे बढ़ रहा है। इसी योजना को ध्यान में रखते हुए नीति आयोग उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन यानी PLI योजना लेकर आया। इस पीएलआई योजना के माध्यम से विभिन्न सेक्टरों को जोड़ा जा रहा है। मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने और वर्क फोर्स को रोजगार से जोड़ने के लिए अलग-अलग सेक्टर में पीएलआई स्कीम की शुरुआत की गयी। यह योजना निवेशकों को आकर्षित करने में सफल साबित होती नजर आ रही है।

आंकड़ों के अनुसार 14 सेक्टरों में इस योजना के तहत 2.34 लाख करोड़ रुपये का निवेश आया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के मुताबिक इस योजना के माध्यम से अगले पांच वर्षों में 60 लाख नए रोजगार के सृजन की संभावनाएं हैं और 30 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त उत्पादन होगा। इसके अलावा 8 मार्च 2018 को समग्र पोषण या पोषण अभियान के लिए एक व्यापक योजना की शुरुआत की गयी थी। योजना का उद्देश्य बच्चों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली मांओं के लिए पोषण संबंधी परिणामों में सुधार लाना था।

राज्यों के बीच विकास और प्रतिस्पर्धा बढ़ाने के लिए नीति आयोग द्वारा विभिन्न मापदंडों के सूचकांक जारी करने की शुरुआत की। जैसे कि भारतीय राज्यों में प्रभावी जल-प्रबंधन को प्रभावी बनाने के लिए समग्र जल प्रबंधन सूचकांक, राष्ट्रीय लिंग सूचकांक, भारत नवाचार सूचकांक, स्कूल शिक्षा गुणवत्ता सूचकांक, राज्य ऊर्जा और जलवायु सूचकांक, सतत विकास लक्ष्य सूचकांक और स्वास्थ्य सूचकांक शामिल है।

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कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि नीति आयोग की पहल से कई योजना शुरू हुईं जिन्हें देश के हित के लिए लायी गयी। यह राज्य और केंद्र के बीच टकराव को कम करने में सहायता कर रहा है, जिससे स्पष्ट हो जाता है कि यह योजना आयोग से कहीं बेहतर है।

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