जो दिखता है वही बिकता है, इसी तंत्र के चक्कर में TRP की ऐसी अंधी दौड़ लगायी जा रही है कि रियलिटी शो में अब कुछ भी दिखाया जाने लगा है। दिखाने तक तो ठीक था पर धीरे-धीरे इसे बॉउंड्री के बाहर तब ले जाया जाने लगा जब इस कमाई की अंधी दौड़ में बच्चों को उपयोग में लाए जाने की शुरुआत कर दी गयी। बचपन छीन उन्हें उपभोग का सामान बनने के चक्कर में उनकी दशा और दिशा बदलने का काम होना प्रारंभ हो गया।
और पढ़ें- राज कुंद्रा पोर्न मामला: शिल्पा शेट्टी को चाहिए था स्पेशल ट्रीटमेंट, कोर्ट ने साफ मना कर दिया
कोमल काया को चोट देना हो गया है आम
कोमल काया को चोट देना तो टीवी शो का काम बन गया। उन्हें कोई मतलब नहीं है कि संबंधित बालक-बालिका उस दबाव को झेल पाएगा या पाएगी। बच्चों के इस शोषण का कोई औचित्य बताए तो उससे बड़ा मुर्ख व्यक्ति कोई नहीं है। अब इस बार इसका सबसे प्रत्यक्ष उदाहरण शिल्पा शेट्टी और कंपनी हैं जो टीवी पर आकर अपने रुपये कमाने की होड़ में और अपने मनोरंजन के लिए बच्चों के जीवन के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।
दरअसल, इंटरनेट पर एक वीडियो वायरल हुई जिसमें सोनी टीवी के एक शो सुपर डांसर की क्लिप है। इसके जज अनुराग बसु, गीता कपूर और शिल्पा शेट्टी हैं। शो में भाग लेने की बच्चों की आयु सीमा 4 से 13 वर्ष की है। वीडियो में, एक छोटी लड़की एक महिला से घुमाव करना सीख रही है। क्लिप के अगले हिस्से में, लड़की अपने दम पर एक प्रशिक्षित सर्कस की अदाकारा की तरह एक्ट कर रही है।
What an age to learn twerking! What an audience that cheers a kid doing this because “oh, she looks like a toy”
Super Dancer that airs on @SonyTV, with Bollywood icons @TheShilpaShetty, Geeta Kapur and Anurag Basu as judges. A ‘talent’ show for kids from age 4 to 13 https://t.co/MUfIwWCfgx
— Gems of Bollywood बॉलीवुड के रत्न (@GemsOfBollywood) July 5, 2022
21 सेकंड के लंबे वीडियो के अंतिम कुछ सेकंड में, जज गीता कपूर ने सराहना करते हुए कहा कि, “ओह! वह एक छोटे खिलौने की तरह है।” हां, निश्चित रूप से यह उनके लिए एक खिलौने की तरह ही होगा, और उनके मनोरंजन के लिए इससे बड़ा साधन और क्या ही हो सकता था। यह शो निस्संदेह बच्चों के मूल उनकी आत्मा अर्थात उनके बचपन को निचोड़ने के अतिरिक्त और कुछ नहीं कर रहा था। इसी बीच सबसे बड़ा प्रश्न उन माता-पिता के संदर्भ में उठता है जो उपभोक्तावाद के जाल में ऐसे उलझ गए हैं कि “फूल से प्यारे मासूम बच्चों” की जान से ऐसे शो निर्माताओं को खिलवाड़ करने की अनुमति दे रहे हैं।
और पढ़ें- शिल्पा शेट्टी कुंद्रा: बॉलीवुड का नायाब हीरा
आजकल इंस्टा मॉम्स का चलन है
यह भी सर्वविदित है कि आजकल इंस्टा मॉम्स का चलन है। लोग माता-पिता इसलिए नहीं बन रहे हैं ताकि वे एक इंसान को धरती पर लाना चाहते हैं बल्कि वो तो माता-पिता इसलिए बनना चाहते हैं ताकि वे सामाजिक स्वीकृति की संभावना बढ़ा सके। दुर्भाग्य से, समाज शब्द के अर्थ को इस हद तक विकृत कर दिया गया है कि वह अपना अर्थ खो चुका है। सीधे शब्दों में कहें तो आज के माहौल में समाज वही है जो सोशल मीडिया कहता है। कहने की जरूरत नहीं है कि कैसे सोशल मीडिया पर झुंड के सुखवाद का बोलबाला है। वे पैसे के अलावा किसी भी चीज में विश्वास नहीं करते हैं और जीवन में हर चीज को पैसा कमाने के लिए निर्देशित करना पड़ता है।
विडंबना यह है कि, बच्चा पैदा नहीं होता उससे पहले उसका इंस्टा अकाउंट खोल दिया जाता है। जो समाज नवजात के पैदा होने के 10 दिन तक उसका चेहरा दिखाने में झिझकता था और सारी विधि और पूजा होने के बाद उसे सबके सामने लाया जाता था पर अब पश्चिमी बनने के चक्कर में बच्चा पैदा होते ही फोटो का अंबार सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों पर छा जाता है। इसमें अभिभावक ही 100 प्रतिशत ज़िम्मेदार नहीं है, एक बड़ा किरदार सामाजिक जीवन और रहन-सहन का है जो उन्हें इसके लिए प्रेरित करता है। ऐसे शो न केवल नाजुक हड्डियों वाली उम्र के बच्चों के लिए घातक हैं बल्कि उनके बचपने को भी खोखला करने के लिए काफी हैं।
और पढ़ें- ‘मेरे पति Erotica बनाते हैं Porn नहीं’, पूछताछ के दौरान पति के बचाव में उतरीं शिल्पा शेट्टी
TFI का समर्थन करें:
सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की ‘राइट’ विचारधारा को मजबूती देने के लिए TFI-STORE.COM से बेहतरीन गुणवत्ता के वस्त्र क्रय कर हमारा समर्थन करें।