भारत में कुछ हफ़्तों पहले निलंबित और निष्कासित भाजपा नेताओं द्वारा पैगंबर पर टिप्पणी के खिलाफ पूरा का पूरा मुस्लिम राष्ट्र एकजुट हो गया था. जिसमें भारत के सबसे करीबी सहयोगियों में गिने जाने वाले संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) भी पीछे नहीं रहा. यह सब देख पाकिस्तान की ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा लेकिन पडोसी देश की यह प्रसन्नता अधिक दिन तक नहीं टिकी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को अरब राष्ट्र पहुंचे जहाँ संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति और अबू धाबी के शासक शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान, शाही परिवार के वरिष्ठ सदस्यों के साथ अबू धाबी के राष्ट्रपति हवाई अड्डे पर मोदी जी की अगवानी करने पहुंचे।
13 मई को 73 वर्ष की आयु में लम्बी बिमारी के बाद शेख खलीफा का निधन हो गया जिसके बाद पिछले महीने मोहम्मद बिन जायद देश के राष्ट्रपति बने. शेख के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए पीएम मोदी ने मोहम्मद जायद को राष्ट्रपति चुने जाने पर भी बधाई दी और शेख के निधन पर शोक व्यक्त किया. दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों की भी समीक्षा की। अब प्रश्न उठता है कि दो देशों के नेताओं के बीच हुई एक वार्ता से पाकिस्तान को क्यों इतनी तख़लीफ़ हो रही है. भारत के पीएम के इस दौरे की चर्चा पाकिस्तान में बड़े जोरशोर से हो रही है।
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पाकिस्तान के पूर्व राजनयिक और भारत में पाकिस्तान के उच्चायुक्त रहे अब्दुल बासित ने सवाल उठाए, ” पीएम मोदी को यूएई के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान ने खुद एयरपोर्ट पर जाकर रिसीव किया। हालांकि, ऐसा बहुत कम होता है या कहें कि होता ही नहीं है… ये तो प्रोटोकॉल के खिलाफ है। वहीं, दूसरी तरफ, हमारे पीएम शहबाज शरीफ जब 15 मई को यूएई गए थे तब उन्हें यूएई के न्याय मंत्री ने रिसीव किया। भारत को अब मेरिका और रूस में भी इतना पूछा जा रहा है. हर जगह भारत को इतनी तवज्जो मिल रही है, यह निश्चित ही हमारे लिए चिंता की बात है।”
इसी को लेकर पाकिस्तानी विदेश राज्यमंत्री हिना रब्बानी खार ने कहा है कि पाकिस्तान की विदेश नीति बेहतर चल रही है और वो अलग-थलग नहीं पड़ा है। हालाँकि मन ही मन वह जानता ही हैं कि पाकिस्तान के लिए यह वाकई में चिंता वाली बात है. पाकिस्तान को लग रहा है कि एक तरफ हिन्दू बाहुल्य देश के पीएम का कतर में ऐसा भव्य स्वागत हो रहा है वहीं दूसरी तरफ पाकिस्तान के नेताओं को बाहर उतनी तवज्जो नहीं मिल रही है. इसी कारण पाकिस्तान को यह डर भी सता रहा है कि कहीं मुस्लिम देशों के बीच भी उसकी पैठ कम तो नहीं होती जा रही है और भारत की करीबी बढ़ती जा रही है.
हालाँकि अब पाकिस्तान को यह समझ जाना चाहिए कि दुनिया में उसे शुरुआत में जो तवज्जो मिली थी वह केवल उसके मुस्लिम राष्ट्र होने की छवि के कारण थी लेकिन अब दुनिया काफी आगे बढ़ चुकी है. पाकिस्तान को समझना होगा की राजनीती में कोई दोस्त और कोई सखा नहीं होता।
भारत और पाकिस्तान के बीच तुलना की जाये तो
– भारत के पास मजबूत सेना, बेहतर अर्थव्यवस्था है साथ ही भारत कूटनीतिक रूप से मजबूत है. वहीं दूसरी तरफ पाकिस्तान कर्ज़े में डूबा एक ऐसा राष्ट्र है जो विश्व भर में आतंकवादियों को पनाह देने के लिए बदनाम है.
– अरब सागर में भारतीय नौसेना यूएई के लिए उपयोगी है और यूएई यह अच्छे से जानता है कि भारत जिसके पास दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी सेना है, जरूरत पड़ने पर उसकी मदद के लिए तैयार रहेगा।
– अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर संयुक्त राष्ट्र COMTRADE डेटाबेस के अनुसार, 2021 के दौरान संयुक्त अरब अमीरात से भारत का आयात 43.07 बिलियन अमेरिकी डॉलर था। जबकि अरब अमीरात से पाकिस्तान का आयात केवल 7.35 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।
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संयुक्त अरब राष्ट्र के पास भारत से मित्रता बनाये रखने के लिए कई कारण हैं
-अब संयुक्त राष्ट्र केवल पाकिस्तान को ‘मुस्लिम देश’ होने के कारण उसे खुश करने के लिए भारत से अपने संबंधों को खराब कर अपना इतना बड़ा नुकसान तो नहीं करवाना चाहेगा. साथ ही भारत एक उभरती हुई अर्थव्यवस्था है जबकि पाकिस्तान एक डूबता हुआ देश जिसे जो भी अपनी नाव में बैठायेगा वही डूब जायेगा.
– भारत एक बेहतर भविष्य, अच्छे सम्बन्ध और अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की बातें करता है जबकि पाकिस्तान हमेशा से कश्मीर राग ही अलापता आया है. हालाँकि अब तक पाकिस्तान को यह समझ आ जाना चाहिए था की कश्मीर न कभी उसका था न ही कभी उसका होगा.
– विश्वभर में पाकिस्तान आतंकियों को पनाह देने वाले देश के रूप में कुख्यात है. एक आतंकवादी पैदा करने वाले देश का साथ डेक्सर यूएई विश्व में अपनी छवि ‘आतंकवाद का सहयोगी’ के रूप में तो कभी नहीं चाहेगा।
चीन में हुई ब्रिक्स सम्मेलन में कई देश शामिल हुए, मगर पाकिस्तान को वहां एंट्री नहीं मिली। और अब अरब राष्ट्र से भारत की नज़दीकियों के बाद पडोसी देश में इस बात ने जोर पकड़ लिया है कि कहीं पाकिस्तान को पूरी दुनिया में आइसोलेट तो नहीं किया जा रहा है?
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