#UberFiles Leaked: उबर का स्याह काला सच सामने आ गया है

उबर सही मायनों में कैब कंपनी है ही नहीं!

Uber leaked

Source- TFIPOST Hindi

क्या कभी सोचा है कि कैसे सिलिकॉन वैली का छोटा सा स्टार्टअप ‘Uber’ तेजी से $43.87 बिलियन अमेरिकी डॉलर की कंपनी में बदल गया? कैसे हर देश हर शहर में उबर छा गया? हालांकि, यह कंपनी की मेहनत थी या कोई ‘डार्क ट्रिक’ इसका सच अब सभी के सामने आ गया है. कैसे इस कंपनी ने नए और बड़े बाज़ारों में पहुंच बनाने हेतु गलत तरीके अपनाये, राजनेताओं, नियामकों और अन्य अधिकारियों को अपने पक्ष में लाने के लिए लाखों करोड़ों रुपए खर्च किये ताकि वे लोग अपने देश में उबर के आने की राह आसान बना सकें. यह सच, सुबूत और स्वीकारोक्ति लीक हुई उबर फाइल्स से. ध्यान देने वाली बात है कि ब्रिटिश कंपनी द गार्जियन के हाथ कुछ दस्तावेज लगे हैं जिसे इंटरनेशनल कंसोर्टियम ऑफ इंवेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स (ICIJ)  और 42 अन्य मीडिया भागीदारों के साथ साझा किया गया. उसे नाम दिया गया है ‘उबर फाइल्स’.

उबर फाइल्स क्या है?

द उबर फाइल्स एक डेटा लीक है जिसके कैश में 2013 से 2017 तक ईमेल, टेक्स्ट संदेश, कंपनी प्रस्तुतियां और अन्य दस्तावेज शामिल हैं. लीक हुई उबर फाइल्स ने उबर की अंदर की कहानी का खुलासा किया है कि कैसे कानून और नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए टेक दिग्गज उबर शहरों में घुसा, कर की चोरी की, अधिकारियों को चकमा दिया, जिस देश में भी यह कंपनी गई उसने वहां के कैब बिज़नेस को हटाकर अपने उबर ड्राइवरों के लिए जगह बनाने की कोशिश की, अपने ड्राइवरों के खिलाफ हुई हिंसा का फायदा उठाया और अपने आक्रामक वैश्विक विस्तार के दौरान इस कंपनी को इमैनुएल मैक्रॉन और पूर्व-ईयू आयुक्त नीली क्रोज़ जैसे शीर्ष राजनेताओं से मदद मिली.

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कैसे हुआ खुलासा?

ज्ञात हो कि उबर का यह काला सच सामने लाने वाला और कोई नहीं बल्कि उबर के ही एक ऊंचे पद पर बैठे कार्यकारी मार्क मैकगैन हैं. 52 साल के मार्क मैकगैन दिग्गज कैब कंपनी उबर के पूर्व शीर्ष लॉबिस्ट रह चुके हैं. लॉबिस्ट वे लोग होते हैं जिनका काम किसी कंपनी या व्यक्ति की ओर से कानून, विनियमन या अन्य सरकारी निर्णयों, कार्यों या नीतियों को उस कंपनी के पक्ष में करना होता है जिसने उन्हें काम पर रखा है. वर्ष 2014 और 2016 के बीच MacGann ने यूरोप, मध्य पूर्व और अफ्रीका (EMA) में Uber के विस्तार प्रयासों का नेतृत्व किया.

वर्ष 2014 में EMA के लिए सार्वजनिक नीति के प्रमुख के रूप में उबर में शामिल होने से पहले मैकगैन ने वेबर शैंडविक, एनवाईएसई यूरोनेक्स्ट और ब्रंसविक जैसी सार्वजनिक नीति फर्मों में काम किया है. इन क्षेत्रों में काम करने के दौरान मैकगैन कई दिग्गज और प्रभावी लोगों के साथ संपर्क स्थापित करने में सफल रहे. वो उबर के सरकारी संबंधों का नेतृत्व करने के लिए “पहली और बेहतर पसंद” थे. आज उबर के उसी शीर्ष अधिकारी मार्क मैकगैन ने कंपनी के डार्क ट्रिक्स का खुलासा किया है.

मैकगैन का काम था पूरे यूरोप, पूरे अफ्रीका और मध्य पूर्व में सरकार की पैरवी करने के लिए उबर की रणनीति विकसित करने और लागू करने हेतु लोगों की एक टीम का नेतृत्व करना ताकि उबर उस देश में प्रवेश कर सके. हालांकि, यह आसान नहीं था क्योंकि ज्यादातर मामलों में देशों के नियम उबर को वहां संचालित करने की अनुमति नहीं देते हैं. अधिकांश देशों में उबर को अनुमति नहीं मिली क्योंकि उबर कानूनी रुप से सही नहीं था.

लेकिन यह भली भांति जानते हुए भी उबर न रुका और न ही उसने अपनी नीतियों में सुधार किया. उसका मंत्र था कि “पहले मार्केट में कैसे भी करके घुस जाओ, बाकी बाद में देखेंगे”. अपने किये गलत कृत्यों का अफ़सोस मनाने के बजाये यह कंपनी खुद को ‘पाइरेट’ यानी ‘समुद्री लुटेरा’ कहती थी क्योंकि लुटेरों की तरह ही वह अनाधिकृत रूप से दूसरे के स्थान में घुस रही थी!

उबर का राजनीतिक कनेक्शन

वर्ष 2014 से 2016 के बीच उबर ने यूके के कैबिनेट मंत्रियों के साथ कई बैठकें की. इसमें पूर्व डच परिवहन मंत्री नीली क्रोस और यूरोपीय आयोग के उपाध्यक्ष के अलावा फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन का नाम भी सामने आया है जिन्होंने 2015 में एक मंत्री के रूप में उबर के मार्क मैकगेन से बातचीत की थी और मैकगेन ने मार्सिले में उबर के स्थगन के बाद मैक्रॉन को मैसेज कर निलंबन आदेश को संशोधित करने के लिए सहायता मांगी थी और तो और मैक्रॉन ने व्यक्तिगत रूप से इस मामले में हस्तक्षेप भी किया था.

राइड-हेलिंग कैब कंपनी उबर अपनी “सफलता की गारंटी” के लिए अपने ड्राइवरों के खिलाफ हो रही हिंसा का भी इस्तेमाल करने से नहीं चुकी और इस बात का ज़िक्र भी द गार्जियन को प्राप्त हुए दस्तावेजों में मिला है. वर्ष 2009 में अपनी स्थापना के बाद से कंपनी को टैक्सी उद्योग में उन लोगों से विरोध का सामना करना पड़ा जिनका जीवन यापन टैक्सी चलाकर हुआ करता था. इस सन्दर्भ में उबर ने कई शहरों और देशों में कंपनी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन देखा जिसमें 2016 में फ्रांस में एक राष्ट्रव्यापी हड़ताल भी शामिल है जिसे शांत करने के लिए कड़ी पुलिस कार्रवाई की गई थी.

फ्रांस में विरोध के बीच उबर के सह-संस्थापक और पूर्व सीईओ ट्रैविस कॉर्डेल कलानिक ने कथित तौर पर फ्रांसीसी उबर अधिकारियों से अपने ड्राइवरों को विरोध कर रहे टैक्सी ड्राइवरों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए कहा. जब गलत ही सही पर उंगली उठाने लगे तो लड़ाई का प्रचंड हो जाना स्वाभाविक है और उबर के ड्राइवरों के साथ भी ऐसा ही कुछ हुआ. विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गए.

फ्रांसीसी अधिकारियों ने कलानिक को चेतावनी दी कि इन्हें शांत करने के Uber कुछ कदम उठाये तो कलानिक ने जवाब दिया, “मुझे लगता है कि इतना तो बनता है और ये लोग जो विरोध कर रहे हैं उन्हें भी तो रोकना होगा. नहीं? हां बस सही जगह और सही समय पर.” फ्रांस के बाद इटली, बेल्जियम, स्पेन, स्विटजरलैंड और नीदरलैंड जैसे अन्य यूरोपीय देशों में भी जब उबर को विरोध का सामना करन पड़ा तो उसने फिर उसी रणनीति को दोहराते हुए अपने ड्राइवरों को आग में झोंक दिया.

उबर का कबूलनामा

इन सभी खुलासों के बाद उबर कंपनी का कहना है कि “हमने जो किया वह स्वीकारते हैं और हम कोई बहाना नहीं बना रहे लेकिन यह सब स्पष्ट रूप से हमारे वर्तमान मूल्यों के अनुरूप नहीं है.” इस समय भले ही उबर सच बोलने वाला शरीफ बच्चा बन रहा हो लेकिन वह जो कर चुका है वह उसके ग्राहकों के साथ एक बहुत बड़ा धोखा है, जिन लोगों ने उबर के कारण अपनी जान गवाई उनके साथ शायद कभी न्याय भी नहीं होगा. और कौन जानता है कि अभी भी उबर कंपनी के कितने ही ऐसे राज हैं जो किसी के सामने नहीं आये. पिछले कुछ समय से उबर के शेयर गिर रहे थे. लॉकडाउन का असर इस कंपनी पर भी हुआ है. एक रिपोर्ट के अनुसार इस समय न तो कंपनी के पास पर्याप्त ड्राइवर हैं और न ही कोई सवारी. ऐसे में #UberFiles उबर कंपनी को किस दिशा में ले जाएगी यह तो भविष्य के गर्भ में छिपा है.

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